थोड़ी सी अक्ल लगाने से ऐसे बनते है काम आसान..पढ़े हड़ताल कैसे बदल गई कार्यशाला में..

अम्बिकापुर आपने कर्मचारियों या विभिन्न संगठनों के हड़ताल के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी हड़ताल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें कर्मचारियों ने हड़ताल भी किया और काम भी। सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन यह सच है इस हड़ताल में काम भी हुआ और हड़ताल भी, अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है।

जैसे विदेश में जूता बनाने वाली एक कंपनी का अनोखा हड़ताल सुर्खियों में था, जिसमें कर्मचारी जूता तो बनाते थे, लेकिन एक पैर का। इससे काम तो हो रहा था, लेकिन प्रबंधन सप्लाई नहीं कर पा रहा था। आखिर में जब दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ तो दूसरे पैर का जूता बनाया गया। इससे प्रबंधन को आर्थिक नुकसान भी नहीं और समय पर काम भी पूरा हो गया। आज हम जिस हड़ताल की बात कर रहे हैं, वो विदेश का नहीं बल्कि हमारे देश और प्रदेश का है, जहाँ पर हड़ताल का स्वरूप कुछ ऐसा ही था।

दरअसल छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में पंचायत सचिव अपनी वेतन विसंगति एवं अन्य सुविधाओं के लिए हड़ताल पर थे, लेकिन सरगुजा जिला पंचायत के सीईओ अनुराग पाण्डेय की पहल पर हड़तालियों ने आधा दिन हड़ताल और आधा दिन काम का फार्मूला निकाला।

इस कार्ययोजना के तहत सीईओ ने स्थानीय पीजी कालेज के आडोटोरियम में एक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें जिले के सभी जनपद के 325 सचिव शामिल हुए। इसमें सरकार की योजना हमर जंगल हमर आजीविका पर चर्चा हुई। इस कार्यक्रम में एफआरए हितग्राहियों का पैच निर्धारण, ली फेसिंग, समतलीकरण, डबरी, मुर्गीपालन और मुनगा की खेती से आय दुगुनी करने के बारे में जानकारी दी गई।

बहरहाल इस तरह हड़ताल करने से हड़ताल करने वालो की बात भी रह गई, और काम पर भी असर नही पड़ा, हड़ताल के लिए सभी सचिव एकत्रित हुए ही थे और लगे हाथ एक कार्यशाला भी आयोजित ह्यो गई। लिहाज इस अनूठे प्रयास से यही साबित होता है की इंसान अपनी अक्ल और मृदुभाषिता से बड़ा से बड़ा काम आसानी से कर सकता है।