जैविक खेती से समृद्ध हुए बजरंग , स्व-सहायता समूह के सदस्य

 रायपुर

श्यामचरण वर्मा ग्राम भुरसुदा विकास खंड तिल्दा के रहने वाले है। खेती एवं पशुपालन इनका पैतृक व्यवसाय रहा है। पुराने समय में खेती में रासायनिक उर्वरको का उपयोग  नही होता था और आधुनिक संचार के साधन उपलब्ध नही होने के कारण वैज्ञानिक सलाह भी नही मिलती थी। सीमित साधन होनेे से आय भी सीमित थी। जिससे परिवार का भरन पौषण भी मुश्किल होता था। वर्मा को जैविक खेती के बारे में आत्मा प्रोजेक्ट से जानकारी मिली।  वर्मा ने परंपरागत खेती के साधन को छोड़कर अब जैविक खेती को अपनाया ओर अपने आसपास के सभी किसानो का एक बजरंग स्व सहायता समुह बनाया ओर उन्हे जैविक खेती करने की सलाह दी। आज समूह के सभी सदस्य जैविक खेती कर पहले से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। उन्हेने बताया कि जैविक खेती करने के अलावा बकरियों के विक्रय एवं सब्जियों की खेती का भी व्यवसाय करते है।

सब्जी की खेती करने से लगभग चालीस पचास हजार तक की आय हो जाती थी। इस तरह समूह प्रतिवर्ष एक लाख के करीब आय हो जाती थी। जैविक खेती करने से समूह की आय लगभग दुगुनी से अधिक हो गई है।  वर्मा ने जैविक खेती के प्रशिक्षण के साथ ही पशु चिकित्सा विभाग द्वारा पशु चिकित्सा हेतु टेनिंग भी ली। अब वह अपने पशुओ का एवं साथी किसानो के पशुओ का टीकाकरण भी स्वयं करने लगे है। श्री वर्मा आसपास के ग्रामों में पशुओ के टीकाकरण एवं इलाज के लिए जाते है। जिससे उनको अतिरिक्त आय हो जाती है। जैविक खेती का मुख्य आधार पशुओ का मलमूत्र ही है जो पशुपालन से मिलता है। इस प्रकार वह सब अपने परिवार को सुख समृद्धि से रख रहे है।