छत्तीसगढ़ में 3.35 लाख वनवासी परिवारों को वन अधिकार मान्यता पत्र वितरित

रायपुर, 28 जुलाई 2014

  • उन्हें खेती के लिए 2.58 लाख हेक्टेयर भूमि आवंटित
  • समितियों से खेती के लिए ऋण लेने की भी मिली पात्रता
  • छह हजार से ज्यादा सामुदायिक वन अधिकार पत्र भी बांटे गए

 राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के 27 में से 24 जिलों में तीन लाख 34 हजार 781 वनवासी परिवारों को व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्रों का वितरण किया है। उन्हें दो लाख 57 हजार 924 हेक्टेयर भूमि वितरित की गयी है। इसके अलावा लगभग छह हजार सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र भी विभिन्न समितियों और संस्थाओं को दिए गए हैं। इन मान्यता पत्रों के जरिए उन्हें 68 हजार 980 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गयी है। राज्य सरकार के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र मिलने के बाद अब राज्य के इन वनवासी परिवारों को खेती के लिए सहकारी समितियों से खाद और बीज सहित नगद ऋण सुविधा की भी पात्रता मिल गयी है। सामुदायिक वन मान्यता पत्र ग्राम पंचायतों को सार्वजनिक भूमि के लिए आवंटित किए गए हैं, ताकि ग्रामीणों को निस्तारी आदि की सुविधा मिल सके। ग्राम सभाओं में अनुमोदन तथा अन्य जरूरी प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद ये अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं।

   उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम 2006 और नियम 2007 के तहत ये मान्यता पत्र वितरित किए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार प्रदेश के तीन जिलों-रायपुर, बेमेतरा और दुर्ग में वनभूमि नहीं होने के कारण वहां मान्यता पत्रों का वितरण नहीं हुआ है। शेष 24 जिलों में चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 की प्रथम तिमाही तक यानी माह जून 2014 तक सर्वाधिक 48 हजार 461 परिवारों को व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र कोण्डागांव जिला में दिए गए हैं। कोरबा जिले में 31 हजार 793, बस्तर (जगदलपुर) जिले में 30 हजार 651, उत्तर बस्तर (कांकेर) जिले में 21 हजार 212, सूरजपुर जिले में बीस हजार 263, सरगुजा जिले में 19 हजार 573, बिलासपुर जिले में 15 हजार 786, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में 14 हजार 679, गरियाबंद जिले में 14 हजार 402, रायगढ़ जिले में बारह हजार 084 और धमतरी जिले में बारह हजार 038 परिवारों को व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र दिए जा चुके हैं। इस अवधि में कोरिया जिले में दस हजार 423, कबीरधाम (कवर्धा) जिले में दस हजार 160, राजनांदगांव जिले में नौ हजार 886, सुकमा जिले में नौ हजार 626, महासमुंद जिले में आठ हजार 556, दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले में नौ हजार 325, बीजापुर जिले में सात हजार 438, मुंगेली जिले में चार हजार 725, नारायणपुर जिले में चार हजार 030, बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में तीन हजार 961, बालोद जिले में एक हजार 690 और जांजगीर-चाम्पा जिले में 754 परिवारों को व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र दिए जा चुके हैं।

अधिकारियों ने बताया कि इस कानून के तहत सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्रों का भी वितरण किया गया है। बस्तर (जगदलपुर) जिले में सर्वाधिक एक हजार 890 सामूहिक वन अधिकार मान्यता पत्र दिए गए हैं। राजनांदगांव जिले में 671, कोरिया जिले में 667, सुकमा जिले में 306, कोण्डगांव जिले में 386, बिलासपुर जिले में 311, उत्तर बस्तर (कांकेर) जिले में 262, धमतरी जिले में 246, दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले मेे 208, सरगुजा जिलें में 154, जशपुर जिले में 173, बीजापुर में 102, बलोदाबाजार-भाटापारा में 97, कबीरधाम जिले में 96, बालोद में 93, गरियाबंद जिले में 57, नारायणपुर जिले में 50 और मुंगेली जिले में भी 50 सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्रों का वितरण किया गया है। राज्य में जून 2014 तक व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्रो ंके लगभग 29 हजार और सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्रों के दो हजार 454 आवेदन प्रक्रिया में है।