बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गजब की मनमानी.. गस्ती वाहनों में भी सैलानी

अवैध कमाई की होड़ में सुको-एनटीसीए की गाइड लाइन का सत्यानाश

शहडोल-(शुभम तिवारी) विश्व विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व एवं नेशनल पार्क के वन एवं वन्य प्राणियों का अस्तित्व संकट में है, क्योंकि इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये शासन द्वारा अधिकारियों -कर्मचारियों को उपलब्ध कराए गए वाहन ही नहीं पेट्रोलिंग एवं गस्ती वाहनों को भी नियम-कायदों को दरकिनार कर सफारी में लगा दिया गया है जिससे फील्ड डायरेक्टर एवं सहयोगी अधिकारी-कर्मचारी प्रतिदिन लाखों रुपये की अवैध कमाई कर रहे  हैं। अवैध पार्क भ्रमण घोटाले पर गौर किया जाए तो करोड़ों रुपये का चूना हर साल पार्क प्रबंधन द्वारा शासन को लगाया जा रहा है।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व एवं नेशनल पार्क के फील्ड डायरेक्टर मृदुल पाठक ने जब से कार्यभार ग्रहण किया तब से पार्क की दशा एवं दिशा में व्यापक बदलाव हुआ है। इसके पूर्व असिस्टेंट फील्ड डायरेक्टर रह चुके श्री पाठक ने फील्ड डायरेक्टर बनने के बाद से सिर्फ एक ही कार्य को सर्वोच्च प्राथ्मिकता दी और वह है अवैध धनार्जन। अधिकाधिक धन संग्रहण की चाहत में उन्होंने न सिर्फ स्वयं सुप्रीम कोर्ट एवं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के नियम निर्देशों की धज्जियां उड़ाई बल्कि अपने अधीनस्थों को भी मनमानी की खुली छूट दे दी, परिणाम स्वरूप अब पार्क में केन्द्र व राज्य सरकार के कानून, सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन एवं एनटीसीए के निर्देशों के बजाय जंगलराज का बोलबाला है। टाइगर रिजर्व प्रबंधन पर लग रहे इन आरोपों की दास्तान हम नहीं बल्की तस्वीरे और स्थानीय लोग बयाँ कर रहे है।

टिकटों की कालाबाजारी

जनकारी के अनुसार यहा टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटकों को अधिक दर पर टिकट उपलब्ध कराकर प्रायवेट के बजाय विभागीय वाहनों में सफारी कराने का गोरखधंधा जोर-शोर से जारी है। सफारी के लिये ऑनलाइन टिकट बुकिंग का प्रावधान है जिसमें 6 टिकटें ऑन लाइन बुक होती हैं। पूर्व फील्ड डायरेक्टर सीके पाटिल के कार्यकाल में यह संख्या 3 थी और 3 टिकटें पार्क के टिकट विण्डो से दिया जाता था लेकिन अब 6 टिकटें ऑन लाइन बुक होती हैं। इसके अलावा पार्क के टिकट विण्डो से चार टिकट एवं ऑनलाइन बुकिंग से बचने वाली टिकटों की बिक्री विण्डो से किये जाने का प्रावधान है। विण्डो से बिकने वाली टिकटों में ही सारा खेल खेला जाता है, यानि अधिक दर पर सैलानियों को टिकट बेच कर पार्क के लोग सैलानियों का खुलेआम शोषण कर रहे हैं।

वाहन क्षमता निर्धारित

सुप्रीमकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के तहत एक बार देश के सभी टाइगर रिजर्व एवं नेशनल पार्क बंद कर दिये गए थे। बाद में जब राज्य सरकारों द्वारा अपने सभी पार्कों के लिये वाहनों की क्षमता निर्धारित कर उक्ताशय का शपथपत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया गया तब कहीं जाकर पार्कों में भ्रमण की अनुमति सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई थी। उक्त हलफनामें के अनुसार राज्य शासन द्वारा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिये कुल 111 वाहन की क्षमता निर्धारित की गई है। जिसमें सुबह 56 एवं शाम को 55 वाहनों को पार्क भ्रमण के लिये रवाना किया जाता है। इनमें ताला गेट से सुबह-शाम 20-20 जिप्सी वाहन, मगधी गेट से सुबह-शाम 20-20 वाहन एवं खितौली गेट से सुबह 16 एवं शाम को 15 वाहनों को पार्क भ्रमण के लिये रवाना किया जाता है।

सरकारी वाहनों से अवैध कमाई

अवैध कमाई के अभियान के तहत न सिर्फ टिकटों की कालाबाजारी को बढ़ावा दिया बल्कि शासकीय वाहनों में पर्यटकों को सफारी कराकर अवैध कमाई को कई गुना बढ़ा लिया है। अधिकारी-कर्मचारियों को पार्क क्षेत्र की निगरानी के लिये मिले वाहनों के साथ ही वन कर्मियों को गस्त व पेट्रोलिंग के लिये मिले वाहनों में भी पार्क डायरेक्टर द्वारा सैलानियों को वीआईपी या गेस्ट बताकर सफारी कराई जा रही है और इससे होने वाली आय से अपना बैंक बैलेंस बढ़ाया जा रहा है। यहां तक कि पार्क के फील्ड डायरेक्टर के वाहन में भी लोगों को पार्क की सफारी करते देखा गया है।

प्रतिदिन लाखों का कारोबार

अवैध सफारी एवं शासकीय वाहनों  के दुरुपयोग के माध्यम से पार्क प्रबंधन के अधिकारियों द्वारा प्रतिदिन लाखों रुपये का अवैध कारोबार किया जा रहा है। पार्क भ्रमण के लिये टिकट की दर 1550 रुपये है एवं वाहन शुल्क के रूप में 2200 रुपये जमा कराए जाते हैं। पार्क प्रबंधन के पास स्वयं की 6 जिप्सी अधिकारियों -कर्मचारियों के लिये तथा 5 जिप्सी पेट्रोलिंग के लिये हैं। एक वाहन में 6 पर्यटक, एक गाइड एवं एक ड्रायवर को भेजा जाता है। पार्क में जाने वाले वाहनों में यदि प्रबंधन ने अपने आधा दर्जन वाहन भी भेज दिये तो एक ही दिन में एक लाख रुपये से अधिक का अवैध कारोबार हो जाता है। इस लिहाज से यदि जोड़ा जाए तो पार्क के फील्ड डायरेक्टर द्वारा प्रतिमाह तीस लाख और पूरे सीजन में ढाई करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की जाती है।

प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी सफारी

सुप्रीम कोर्ट एवं एनटीसीए द्वारा पार्क के कुछ क्षेत्रों में सैलानियों के भ्रमण पर प्रतिबंध लगाया गया है। पार्क प्रबंधन की गाडिय़ां होने के कारण प्रबंधन द्वारा इन प्रतिबंधित क्षेत्रों मे भी पर्यटकों को घुमाया जाता है जिससे वन्यजीवों एवं उनकी सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

ऊपर तक जाता है लाभांश

सूत्रों की मानें तो फील्ड डायरेक्टर मृदुल पाठक के नेतृत्व में होने वाली करोडों रुपये सालाना की अवैध कमाई का कुछ हिस्सा राजधानी भेपाल में बैठे कतिपय वरिष्ठ अधिकारियों तक हर महीने भेजे जाने की पुख्ता व्यवस्था की गई है जिसके कारण तमाम शिकायतों के बावजूद उक्त फील्ड डायरेक्टर के विरुद्ध अब तक कोई सख्त कार्यवाही नहीं हो सकी और पाठक का जंगलराज बेरोक-टोक जारी है। यदि यही आलम रहा तो पार्क में वन एवं वन्य प्राण्यिों के अस्तित्व को शायद ही बचाया जा सकेगा।

डायरेक्टर नाट रीचेबल

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व एवं नेशनल पार्क के फील्ड डायरेक्टर मृदूल पाठक से इस संबंध में चर्चा कर वास्तविकता जानने के लिये कई बार उनके सेल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन हर बार उनका फोन नाट रीचेबल मिलने के कारण उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

गौरीशंकर शेजवार वन मंत्री, म.प्र. शासन

इस सम्बन्ध में प्रदेश के वन मंत्री गौरी शंकर शेजवार ने कहा है की आप के द्वारा यह बात संज्ञान में लाई गई है, आप प्रकाशित समाचार हमें प्रेषित कर दें, हम जांच करा लेंगे। जांच में किसी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।

के. पी. बांगर संयुक्त संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व

वही इस मामले के सवाल पर रिजर्व के संयुक्त संचालक ने बताया की मैं अभी कुछ दिनों से अवकाश पर हूं, ऐसी जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। फिर भी आपने जो जानकारी दी है उसकी जांच कराएंगे। आवश्यक कार्यवाही भी की जाएगी।