हिल स्टेशन मैनपाट के आसमान से गिरी आफत से तबाही ही तबाही ….

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मैनपाट छत्तीसगढ के खूबसूरत हिल स्टेशन के रुप मे चर्चित मैनपाट के लोग कभी मौसमी बिमारी से काल के गाल मे समा जाते है , तो कभी आकाशीय बिजली से यहां के लोगो को अपनी जान गवानी पडती है। मौजूदा मामला भी आसमान से गिरी आफत से जुडा है। दरअसल मैनपाट मे कल से शुरु आकाशीय बिजली का कहर दूसरे दिन भी जारी रहा , और आज दूसरे दिन भी एक युवती की आकाशीय बिजली की चेपट मे आने से मौत हो गई। वही तीन की अलग अलग गांव के लोग गाज गिरने से घायल हो गए है। लेकिन आसमान से गिरी आफत के बाद मैनपाट मे पदस्थ तीनो डाक्टर अपनी ड्यूटी से नदारद रहे । जिससे यहां के अस्पताल मे भर्ती एक और युवती को जिंदगी और मौत से जंग लडना पड रहा है।

पिछले दो दिनो से आकाशीय बिजली गिरने से मैनपाट मे तबाही का दौर शुरु हो गया है,, कल इलाके के रोपाखार मे गिरी आकाशीय बिजली से कापू निवासी 28 वर्षीय मनोज नट की मौत हो चुकी थी, मृतक मनोज नट मवेशी खरीद बिक्री का व्यापार करता था और कल इसी सिलसिले मे मैनपाट के रोपाखार आया हुआ था। मनोज की मौत के बाद भी इस आफत से मौत का सिलसिला नही थमा और आज दोपहर बाद गिरी गाज की चपेट मे आने से जहां बरिमा निवासी एक पंद्रह वर्षीय किशोरी मे दम तोड दिया तो वही केसरा निवासी 25 वर्षीय दिनेश यादव , कमलेश्वरपुर निवासी चंद्र किशोर और 23 वर्षीय संगीता आकाशीय बिजली की चपेट मे आ गए। कुदरत की इस आफत मे सिर्फ इंसान ही परेशान नही हो रहा है बल्कि मवेशी भी इसके प्रभाव से नही बच पाए है , जानकारी के मुताबिक आज गिरी गाज ने बिललौहवा निवासी रामगहन यादव के मवेशियो को अपनी चपेट मे ले लिया , जिससे उनकी 6 भैंसो की मौत हो गई।

इलाज को तरस रहे है घायल 

जैसा की सब जानते है कि मैनपाट अपनी खूबसूरती के साथ मौसमी बिमारी के लिए भी चर्चित है,, और पिछले वर्ष मौसमी बिमारी से कई लोगो की मौत भी हुई थी। लिहाजा इस साल बरसात के पहले स्वास्थ विभाग अपनी व्यवस्थाओ की दुरुस्त कर लेने का दावा कर रहा है। लेकिन बरसात के सुगबुगाहट से पैदा हुए मौजूदा हालात ने ही स्वास्थ विभाग की व्यवस्थाओ की पोल खोल दी है। दरअसल गाज गिरने से घायल चंद्रकिशोर को तो संजीवनी 108 से अम्बिकापुर जिला अस्पताल ले आया गया,, लेकिन दिनेश यादव और नाजुक हालत मे पंहुच चुकी 23 वर्षीय संगीता के इलाज के लिए समाचार लिखे जाने तक मैनपाट के कमलेश्वरपुर सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र मे कोई डाक्टर मौजूद नही था। जिससे संगीता अब जिंदगी से जंग लड रही है। वैसे हकीकत तो ये है कि यहा पदस्थ तीनो डाक्टर यहां कभी कभी नजर आते है और अस्पताल की व्यवस्था तीन नर्सो के सहारे ही संचालित होती है । जानकारी तो यहां तक भी है कि संगीता को अम्बिकापुर लाने के लिए मैनपाट सीएससी मे कोई एम्बुलेंस नही था,, इसलिए उसे उसी की हालत मे छोड दिया गया है।

 नही काम रहा है तडिक चालक

जानकारी के मुताबिक आकाशीय बिजली से बचाव के लिए तात्कालिक कलेक्टर रितु सैन ने मैनपाट के सभी ग्राम पंचायतो को पंचायत भवन या शासकीय भवनो के आसपास ग्राम पंचायत के ही मद से तडिक चालक लगाने के निर्देश दिए थे। उसके बावजूद आकाशीय बिजली गिर कर लोगो की मौत का कारण बन रही है। जिससे ये साफ जाहिर हो रहा है कि या तो पंचायतो मे तडिक चालक लगा नही है और लगा भी है तो फिर खराब किस्म का तडिक चालक लगाया गया है , जिसके लगने और नही लगने का फर्क नही पड रहा है।