“विकलांग” की जगह “दिव्यांग” शब्द की इज्जत देकर ये कैसा मजाक

अम्बिकापुर विकलांगो को दिव्यांग नाम देकर सरकार ने उनका सम्मान भले ही बढा दिया हो, लेकिन शायद नाम बदलने से दिव्यांगो की बेहतरी नही हो सकती है, क्योकि इन दिनो सरगुजा जिले मे वो ही ऐसा कारनामा कर रहे है जिनको इन दिव्यांगो की बेहतरी का जिम्मा दिया गया है,, दरअसल मामला गरीब परिवार के उस कमाउ सदस्य की अनदेखी से जुडा है जिसके दोनो पैरो से दिव्यांग होने की परेशानी समाज कल्याण विभाग के अधिकारी दोनो स्वस्थ आंखो से भी नही देख पा रहे है।

दिव्यांगो के लिए केन्द्र औऱ राज्य सरकार भले ही कितनी भी योजना बना ले लेकिन सरगुजा जिला मे दिव्यांगो की बेहतरी के लिए काम करने वाले पंचायत एंव समाज कल्याण विभाग के अधिकारियो को उससे कोई फर्क नही पडता है, और शायद यही वहज है कि जिला मुख्यालय अम्बिकापुर के बौरीपारा निवासी मुन्ना सोनी जो पैरो से 100 प्रतिशत विकलांग है, लेकिन सरकारी नुमाईंदो को ना ही उनका दर्द महशूश हो रहा है और ना ही उनकी परेशानी किसी को दिख रही है, यही वजह है कि मुन्ना ट्राईसाईकिल के लिए घसीटता हुआ रोजना इस दफ्तर के चक्कर काट रहा है।

अम्बिकापुर के पंचायत एंव समाज कल्याण विभाग के दफ्तर मे घसीटता मुन्ना चार साल पहले अपने स्वस्थ पैरो की मदद के बलबूते फेरी लगाकर कपडा बेंचता था, लेकिन पैर मे हुई एक बिमारी के इलाज के दौरान जब 18 अगस्त 2013 को मुन्ना का जिला अस्पताल मे आपरेशन किया गया तो मुन्ना का पैर खराब हो गया, जिसके बाद स्वास्थ विभाग ने इसका आपरेशन बिलासपुर मे लगे एक कैंप मे कराया, लेकिन उसके बाद तो मुन्ना पैरो से 100 प्रतिशत दिव्यांग हो गया,,

गौरतलब है कि अम्बिकापुर के बौरीपारा के रहने वाला मुन्ना पहले जंहा साईकिल से कपडे बेंच कर अपने परिवार का पेट पालता था, तो वही अब खराब पैरो के सहारे ही मुन्ना अपनी दो बेटी और पत्नी का पेट पालने के लिए बिस्कुट नमकीन की गुमटी संचालित करता है।

लाचार मुन्ना परिवार का एकलौता कमाने वाला सदस्य है,, ऐसे मे मुन्ना पिछले चार महीने से पंचायत एंव समाज कल्याण विभाग के दफ्तर का चक्कर सिर्फ इसलिए काट रहा है क्योकि अगर उसे विभाग द्वारा बैटरी से चलने वाली ट्राईसाईकिल दे दी जाती है, तो फिर उसे घर के पालन पोषण के लिए कम तकलीफ होगी, लेकिन महज एक ट्राईसाईकिल के लिए चार महीनो से घसीट घसीट कर विभाग के चक्कर काटने वाले मुन्ना कहते है कि अब तो उनको सिर्फ कलेक्टर और मीडिया पर ही भरोसा है।

देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री दोनो अपने अपने मंचो से दिव्यांगो की बेहतरी के तमाम दावे करते है और दिव्यांगो के लिए सरकार की योजना भी सतह पर है, लेकिन योजनाओ को संचालित करने की जिम्मेदारी रखने वाले अधिकारियो का रवैया औऱ मुन्ना की लाचारी को देखकर तो ये नही लगता कि अधिकारी कर्मचारी सरकार की संवेदनशीलता की परछाई हितग्राहियो तक आने देना चाहते है।

राजेश कुमार चंद्रा, उप संचालक पंचायत एंव समाज कल्याण विभाग सरगुजा

मुन्ना जिस पंचायत एंव समाज कल्याण विभाग के अधिकारियो के चक्कर काट काट कर तंग हो चुका है। उसके जिम्मेदार अधिकारियो की माने तो उनका कहना है कि मुन्ना का आवेदन तब आया है, जब पूरी ट्राईसाईकिल का वितरण हो चुका था, और बैटरीयुक्त जो ट्राईसाईकिल बची थी, वो खराब है, इसलिए मुन्ना को अभी तक ट्राईसाईकिल नही दी जा सकी है।