पड़ताल! कलेक्ट्रेट के रंग बदले…

@संजय यादव/30 जनवरी 2022

कलेक्ट्रेट के रंग बदले..!

जांजगीर चाम्पा जिले के कलेक्ट्रेट कार्यालय इन दिनों बदले -बदले से लग रहे हैं । नए कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला के आने के बाद कलेक्टर दफ्तर का रंग बदल गया है .दफ्तर के अंदर एवं बाहर अब बदले बदले से दिखाई दे रहे हैं । लेकिन यह बदलाव सिर्फ रंगो एवं फर्नीचर में ही दिखाई दे रहा है । जिला प्रशासन के कार्यप्रणाली में कुछ खास बदलाव नहीं दिख रहा हैं। जिस दावे के साथ जितेंद्र शुक्ला शुरुआती दौर पर लोगों एवं पत्रकारों से चर्चा के दौरान मुखातिब हुए थे तो ऐसा लग रहा था कि अब जिले का दशा एवं दिशा बदलने वाला है, लेकिन महीने बीत जाने के बाद वही पहले जैसे ही स्थिति बनी हुई है. दीवाल के रंग एवं फर्नीचर के बदलाव से कोई खास फर्क आम जनता को नहीं पड़ता। जिले की जनता अपेक्षित है कि जिले में कुछ नया हो.. लेकिन अभी तक ऐसा कुछ होते दिखाई नहीं दे रहा है।

सक्ति जिला घोषित होने के बाद भी बना हुआ संशय…

छत्तीसगढ़ में जिन 4 नए जिले की घोषणा मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के दिन की थी उसका अस्तित्व में आना अभी भी संशय लग रहा है। 6 महीने बीत जाने के बाद भी सीमांकन को लेकर अभी भी विवाद की स्थिति बना हुआ है। सक्ति जिला में भी विवाद की स्थिति है । जिला घोषित होने के बाद अभी तक कलेक्ट्रेट, एसपी कार्यालयों का जगह का फाइनल चयन नहीं हुआ है। न ही किसी प्रकार की सुगबुगाहट देखने को मिल रही है। इसलिए लोगों के मन में अभी भी सक्ति जिला बनने के बाद संशय की स्थिति बनी हुई है। सक्ति जिला घोषणा के बाद स्वागत कार्यक्रम में डॉ चरण दास महंत की कहीं एक बात याद आ रही है..जिसमें उन्होंने पुराने दिनों की याद दिलाते हुए कार्यकर्ताओं से कहा था कि सक्ति जिला पूरी तरह बन गया है ऐसा नहीं समझना चाहिए क्योंकि पूर्व में कई जिले की घोषणा के बाद भी जिला नहीं बन पाया था। जिसमे कोरबा जिला का जिक्र कर रहे थे।

जिला प्रशासन कर रहा था मुख्यमंत्री के निर्देश का इंतजार…

जिले में इन दिनों अवैध खनन का धंधा खूब फल फूल रहा है ऐसा नहीं है इसकी जानकारी खनिज विभाग एवं जिला प्रशासन को नहीं है कई बार इसकी शिकायत ग्रामीण एवं विभिन्न संगठन के लोग प्रशासन से करते रहें , लेकिन अभी तक किसी प्रकार की ठोस कार्यवाही होते नहीं दिखी थी । लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश आया तब से जिला प्रशासन के कान खड़े हो गए. और आनन-फानन में रेत माफियाओं पर कार्यवाही करना शुरू कर दी दिया . लेकिन सबको पता है यह कार्यवाही सिर्फ दिखावे के अलावा कुछ नहीं है. कुछ दिन कार्यवाही करने के बाद फिर वही ढर्रा शुरू हो जाएगा। खनिज विभाग को पता है कि किन लोगों द्वारा रेत का अवैध खनन किया जाता है बावजूद किसी प्रकार की कार्यवाही उनके द्वारा नहीं की जाती। क्योंकि बताया जाता है कि उनके पास बकायदा महीने में सफेद लिफाफा दफ्तर पहुंच जाता है ।जिसके चलते उनके हाथ मजबूरी में ही सही बंदे हैं इसलिए कारवाही नहीं करते।

बड़े हादसे के बाद नींद से जागा प्रशासन..

एक कहावत है जब चिड़िया चुग गई खेत तो काहे को पछताएं..ठीक इसी तरह जिला प्रशासन ने काम किया गया है । अटल बिहारी मड़वा तेंदू भाटा पावर प्लांट के परिक्षेत्र में बाहरी लोगों को आना जाना प्रतिबंध लगा दिया है । लेकिन आपको बता दें की अगर यही काम जिला प्रशासन मड़वा तेंदूभाटा आगजनी ,लाठीचार्ज जैसे घटना के पूर्व करती तो आंदोलनकारियों द्वारा जिस प्रकार की घटना घटित की है वह नहीं होती। पुलिस एवं जिला प्रशासन के कुप्रबंधन के कारण बड़ी घटना घटीत हुई है जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन को ही जाता है । अब सारे घटना होने के बाद पॉवर प्लांट के परिसर से 3 कि.मीटर तक किसी अनजाने व्यक्तियों का प्रवेश प्रतिबंध है। इस घटना से पावर प्लांट के करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था।

जिले को मिला MBBS पुलिस अधीक्षक..

जांजगीर-चांपा जिले के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है की जिले की कप्तान अभिषेक पल्लव एमबीबीएस डॉक्टर भी है, हालांकि उन्होंने डॉक्टरी पेशा को छोड़ आईपीएस बनना पसंद किया है। अब वह जांजगीर-चांपा जिला के पुलिस अधीक्षक है। जिले के लोगों को अब उनका अनुभव का भी लाभ मिलेगा । पुलिस कसावट के साथ-साथ लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में सलाह एवं सुझाव डॉक्टर पल्लव से भी मिल सकते हैं। उन्होंने दंतेवाड़ा में नक्सली बेल्ट के बीच रहते हुए भी बहुत नाम कमाया है। बताया जाता है कि जंगल में सर्चिंग के दौरान आदिवासियों को बेहतर स्वास्थ सुविधाएं दिलाने में बहुत काम किए हैं।

कार्यकारणी लिस्ट में वही पुराने लोग..

जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष द्वारा बड़े अंतराल के बाद अब ब्लॉक कार्यकारिणी की लिस्ट जारी की जा रही है । जिसमें ज्यादातर देखा जा रहा है कि वही पुराने घिसे पीटे लोगों को तवज्जो दी जा रही है जिसके कारण नए कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष से असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। लगता है ब्लॉकों की लिस्ट में वही चेहरे दिख रहे हैं जो पूर्व में पदाधिकारी के रूप में कार्य कर रहे थे। इसलिए जो जमीनी कार्यकर्ता हैं उनको जगह नहीं मिल पाने से दुखी नजर आ रहे हैं। वही चर्चा हो रही है कि जिलाध्यक्ष आखिर किसके दबाव में आकर इस तरह लिस्ट जारी कर रहे हैं लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि इस लिस्ट में जिन नामों को रखा गया है वह किसी एक खास बड़े नेता के कार्यकर्ता ही लग रहे हैं।

https://youtu.be/pRItmF3GZfE