150 करोड साल पुरानी ज्ञान शिला बनेगी सरगुजा विश्वविद्यालय की पहचान.. और गहिरा गुरू जलाशय होगा खूबसूरत केन्द्र….

अम्बिकापुर
सरगुजा विश्व विद्यालय के कुलपति ने विश्व विद्यालय के सभागार मे पत्रकारों से बहुत सी महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा की..  और नए शैक्षणिक सत्र की प्राथमिकताओ और छात्रों को इस वर्ष दी जाने वाली सहूलियत के साथ भकुरा गांव मे बनने वाले विश्व विद्यालय कैंपस के निर्माण के बारे मे विस्तार से चर्चा की…

विश्व विद्यालय की नई प्राथमिकता
पहली प्राथमिकता..  प्रवेश समय मे हो, जिससे परीक्षाएं एंव सत्र बेहतर ढंग से संचालित हो सके
दूसरी प्राथमिकता…  उपस्थिति पर जोर देने के लिए हर तीन महीने मे महाविद्यालय प्रबंधन को विद्यार्थियो की उपस्थिती का रिकार्ड विश्वविद्लाय को भेजना पडेगा.. उपस्थिती नियमानुसार नही होने पर विद्यार्थी परीक्षाओ मे शामिल नही हो सकेंगे…
तीसरी प्राथमिकता…. महाविद्यालय के बाद विश्वविद्यालय भी महाविद्यालयो का मूल्यांकन करेगा..
चौथी प्राथमिकता… फार्म समय से भरे जाएगें… इस वर्ष परीक्षा समय पर कराने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने फाईनल परीक्षाओ के फार्म भरने की अवधि 5 महीने तक रखी है.. जिसके तहत 1 सितंबर से 31 जनवरी तक फार्म भरे जा सकेंगे ।
पांचवी प्राथमिकता… इस बार फार्म भरने की अवधि बढाने के साथ ही परीक्षाएं भी समय से कराने की प्राथमिकता तय की गई है… प्रबंधन के मुताबिक परीक्षा इस बार फरवरी के अंतिम सप्ताह मे शुरु करा दी जाएगी…
छठवी प्राथमिकता…. छात्र हित मे इस बार विश्वविद्यालय स्पेशल लेक्चर की व्यवस्था करने वाला है.. जिसके के लिए देश के नामचीन विश्वविद्यालय से ख्यातिलब्ध प्रोफेसर को बुलाने की तैयारी है,, इसके अलावा यूजीसी से संबधित वर्कशाप और एआईसीटी से संबधित वर्कशाप का भी इस बार आयोजन कराया जाएगा…
सातवी प्राथमिकता…. नेट सेट उत्तीरण छात्रो का प्रवेश प्रारंभ कर दिया गया है.. विश्वविद्यालय ने 76 गाईड के साथ ही 44 विषयो के लिए 16 कालेजो मे शोध केन्द्र भी बनाए गए हैं..

कैंपस निर्माण की शुरुआत…
सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपति रोहणी प्रसाद ने बताया कि भकुरा गांव मे बनने वाला सरगुजा विश्वविद्लालय कैपस के निर्माण के पहले चरण के लिए 18 करोड रुपए का टेंडर हो चुका है.. राज्य सरकार से मिली इस राशि से सबसे पहले प्रशासनिक भवन , ऐकडमिक भवन और 20 स्पाफ माकान का निर्माण होगा.. इस निर्माण के लिए टेंडर की प्रकिया हो चुकी है.. श्याम इन्फाट्रेक एण्ड ब्रदर्श दुर्ग द्वारा इसका निर्माण डेढ वर्ष मे किया जाएगा…. और एक सप्ताह के भीतर निर्माण कंपनी को वर्क आर्डर भी मिल जाएगा… इसके अलावा रूसा फंड से हुए 14 करोड का टेंडर सिंगल टेंडर के कारण निरस्त हो गया है.. लेकिन उसका टेंडर भी दोबारा हो चुका है.. जो जल्द ही खुल जाएगा,, उसके बाद रुसा फंड के 14 करोड रुपए से लाईब्रेरी, कम्युनिटी सेंटर, पानी टंकी, वीसी बंगला, रजिस्टार बंगला जैसे कार्य कराए जाएगें….. इधर कुलपति ने बताया कि इन निर्माण के साथ ही 3.65 करोड का छात्रावास और 88 लाख रुपए कीमत का मुख्य गेट भी स्वीकृत हुआ है.. लेकिन इसके टेंडर की प्रकिया अभी नही हुई है.. इतना ही नही कुलपति के मुताबिक 3.50 करोड रुपए के गर्लस हास्टल का प्रपोजल भी तैयार कर लिया गया है.. जो स्वीकृति के लिए पोसेज मे है। गौरतलब है कि अगले प्रथम चरण का भूमिपूजन अलगे महीने के बीच किसी भी दिन हो सकता है… जिसका भूमिपूजन मुख्यमंत्री डाँ रमन सिंह करेंगे…

संत गहिरा गुरु जलाशय होगा आकर्षण का केन्द्र
पत्रकारो से चर्चा के दौरान कुलपति रोहणी प्रसाद ने बताया कि भकुरा स्थित विश्वविद्यालय कैंपस मे जलाशय का निर्माण किया जाना है.. जिसका नाम संत गहिरागुरु जलाशय रखने पर भी सहमति बनी है… ये जलाशय तीन भाग मे बनाया जाएगा… जिसका उपयोग नौका विहार, तैराकी और मछली पालन जैसे कार्यो मे किया जाएगा.. जो कैंपस की शोभा भी बढाएगा..

22 हजार पौधे लगाने की तैयारी
किसी भी कैंपस को खूबसूरत और आक्सीजन युक्त बनाने के लिए पौधा लगाना आवश्यक होता है और इसी सोंच से विश्वविद्यालय प्रबंधन ने सरगुजा वन विभाग के प्रमुख सीसीएफ के के बिसेन से बात की और उनकी अनुमति के बाद इस बार वन महोत्सव का कार्यक्रम निर्माणाधीन सरगुजा विश्वविद्यालय कैंपस मे किया जाएगा.. इस दौरान वहां पर करीब 22 हजार फलदार , छायादार और खूबसूरत पौधो का रोपण किया जाएगा…

IMG 20180530 WA0040150 करोड़ साल पुरानी है… ज्ञान शिला
विश्वविद्यालय ज्ञानस्थली होता है.. यहां छात्र छात्राए अपना भविष्य गढते है… और ऐसी ही ज्ञान स्थली सरगुजा विश्वविद्यालय मे प्रबंधन ने एक ऐसा नायाब पत्थर स्थापित किया है.. जिसका इतिहास एक दो चार दस सौ साल नही बल्कि 150 करोड साल पुराना है… जी हा सुनकर अचरज जरुर होता है . लेकिन जिले मुख्यालय से लगे साडबार इलाके से मिले इस पत्थर को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कैंपस मे स्थापित भी कर दिया है… कुलपति के मुताबिक इस पत्थर का वैज्ञानिक परीक्षण कराने के बाद ही ये तय हो पाया है कि ये 150 करोड़ साल पुराना पत्थर है… दरअसल हम जिस पत्थर की बात कर रहे है वो 5 तरह की पत्थरो से मिलकर बना है.. जिसकी ऊंचाई 14 फिट है और वजन 12 टन है.. जिसको सांडबार से भकुरा ले जाने के लिए प्रबंधन को काफी परिश्रम करना पडा था… और इसको शिफ्ट कराने के लिए स्पेशल क्रेन बुलवाना पडा था.. फिलहाल प्रबंधन ने भकुरा गांव स्थित विश्वविद्यालय कैंपस मे इस पत्थर को स्थापित किया है , जिसके कारण ये 4 फिट जमीन के नीचे और 10 फिट जमीन के ऊपर है…. और ये कयाल लगाए जा रहे है कि विश्वविद्यालय कैंपस बनने के बाद ये 150 साल पुराना पत्थर आकर्षण का केन्द्र होगा…