प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन से ही हो सकती है कांग्रेस की नैइया पार … कांग्रेस पार्टी के हार का अंतर महज .75 प्रतिशत हो सकता का पूरा …..

 

– सभी पार्टी एससी वोटरो को साधने की कर रही कोशिश
– जाति समीकरण में एससी वोटरो की संख्या ज्यादा

जांजगीर चांपा। (संजय यादव) राष्ट्रीय स्तर पर उत्तरप्रदेश सहित तमाम राज्यों में कांग्रेस विभिन्न दलों के साथ महागठबंधन को तैयार हो चुकी है । वही प्रदेश में कांग्रेस से अलग होकर चुनौती देने वाली नई पार्टी जोगी कांग्रेस के सुप्रीमो अजीत जोगी को सतनामी समाज से खासा समर्थन मिलता रहा है इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है । इन सब बदलती परिस्थितियों में कांग्रेस ने अपने पारंपरिक अनुसूचित जाति वोट बैंक को फिर से साधने सम्मेलन के अलावा बसपा से गठबंधन के रास्ता खुला रखा है । कांग्रेस ने जिस तरह कर्नाटक में अपने से छोटे दल जेडीएस का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा को पटखनी दी है । उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस हर हाल में भाजपा को हराना चाहेगी । छत्तीसगढ़ में बसपा कांग्रेस गठबंधन को लेकर फिलहाल कोई अंतिम फैसला भले ही नहीं हुआ है लेकिन पिछले दिनों प्रदेश प्रवास पर आए बहुजन समाज पार्टी के प्रभारी ने इसके स्पष्ट संकेत दे चुके हैं ! इनका कहना है किए बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए उनकी पार्टी कांग्रेस सहित किसी भी दल से तालमेल कर सकती है ।

पिछले चुनाव में ही पिक्चर बदल जाती
यह गौर करने वाली बात है पिछले विधानसभा चुनाव में भले ही बहुजन समाज पार्टी महज 4.27 पाकर एक सीट पाने में कामयाब रही थी। जबकि सत्ताधारी बीजेपी को 41.04 प्रतिशत और कांग्रेस को कुल 40. 29 प्रतिशत वोट हासिल हुए यानि हार जीत का अंतर महज .75 के करीब ही रहा था । अगर 2013 के पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर रहने वाली बीएसपी यदि उस वक्त कांग्रेस के साथ मिल गई होती तो आज तस्वीर कुछ और ही होती । इसीलिए इस बार ये दोनों ही पार्टियां एक दूसरे से तालमेल बिठाने के लिए गंभीर नजर आ रहीं हैं। पिछले चुनाव में राज्य की अनुसूचित जाति आरक्षित 10 में से 9 सीटें भाजपा की ही झोली में गई थी । यानि पिछली सरकार भी इसी कारण बन सकी थी !

बीएसपी की हर चुनाव में अहम भूमिका

पिछले तीन चुनाव से बीएसपी छत्तीसगढ़ में लगातार अपनी उपस्थिति तो दर्ज करवा रही हैए लेकिन उसका वोटों का प्रतिशत घटता जा रहा है। दुसरे विधानसभा चुनाव 2008 में जहाँ बीएसपी को 6.11 प्रतिशत वोट मिले थे तो पिछले चुनाव यानि वर्ष 2013 में घटकर 4. 27 प्रतिशत पर आ गया ।

बीजेपी द्वारा दलितों को साथ लाने कवायद

अनुसूचित जाति वोटों के संभावित नुकसान से निपटने प्रदेश भाजपा सरकार द्वारा बीते साल नवम्बर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सतनामी समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल गिरौदपुरी धाम के दर्शन का अवसर प्रदान किया ! इसी तारतम्य में 14 अप्रैल से बीजेपी ने छत्तीसगढ़ सहित राष्ट्रीय स्तर पर अंबेडकर जयंती को राष्ट्रीय न्याय दिवस के रूप में मनाया था ! तब सभी मंत्री और सांसद अंबेडकर जयंती पर कार्यक्रमों ,प्रेस कॉन्फ्रेंस और सभाओं के जरिए जनता के बीच जाकर यह संदेश देने की कोशिश किए बीजेपी दलितों के साथ खड़ी है !

छत्तीसगढ़ की राजनीति को समझने वाले ये अच्छी तरह से जानते है किए अनुसूचित जाति वर्ग चुनाव परिणाम की दशा और दिशा प्रभावित करने में सक्षम है ! ज्यों.ज्यों चुनाव की तारीखे नजदीक आती जा रही है समाज विशेष की पूछपरख भी अपेक्षाकृत स्वाभाविक रूप से ज्यादा बढ़ती जाएगी ।