जांजगीर चांपा। जिले का दुर्भाग्य कहे या बदकिस्मत, जिले के विकास में किसी न किसी प्रकार का रोड़ा जरूर आता हैं। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद जिले में प्रभारी मंत्री के तौर पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस बाबा को इसका प्रभार दिया गया था .लेकिन प्रभारी मंत्री बनने के बाद सिर्फ गिनती के एक ही बार जिले में अधिकारीयांे के साथ बैठक में शामिल हो पाये उसके बाद साल निकल जाने के बाद दोबारा जिले में बैठक में शामिल नही हुए. बाद में प्रदेश में सभी प्रभारी मंत्रीयों का प्रभार जिले को बदल दिया गया। इसके बाद श्रम मंत्री जय सिंह अग्रवाल को जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया। जिनके बनने के बाद जय सिंह अग्रवाल एक ही बार जिले में बैठक लिये हैं। कई महीने बीत जाने के बाद जिले में प्रभारी मंत्री न तो अधिकारीयों का बैठक लिये हैं और न ही जिले हो रहे निर्माण कार्यो का समीक्षा किये हैं। जिले में इस प्रकार प्रभारी मंत्रीयों के न आने से अधिकारीयों से चर्चा नही होती। आम जनता की समस्याओं का समाधान समय पर नही हो पाता,वही जिले के विकास कार्य में तेजी नही आती। शहर में प्रभारी मंत्रीयों के नही आने से कई प्रकार की चर्चा इन दिनो जिले में हो रही हैं।
संगठन हो रहा कमजोर..
जिले के प्रभारी मंत्री का दौरा नहीं होने के कारण संगठन में लगाकर गुटबाजी और बढ़ रही है वही संगठन कमजोर पड़ने लगा है जिसके कारण कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में निराशा है ,आने वाला समय में यही हाल रहा तो कांग्रेस की स्थिति जिले में और खराब हो जाएगी। शुरुआत के दिनों में प्रभार मिलते हैं जिले के प्रभारी मंत्री कार्यकर्ताओं के साथ बैठक लेकर बड़ी-बड़ी बातें कर कार्यकर्ताओं में जोश भरा था लेकिन कुछ महीने बाद कार्यकर्ताओं में प्रभारी मंत्री के नहीं आने से नाराजगी देखी जा रही है वही संगठन में अलग-अलग चर्चाएं शुरू हो गई है।