“जवाबदारो की जवाबदेही” NH कहे या गौरवपथ.. यहाँ मसला एक ही है..फिर भी सड़क के गढ्ढो को पाटने..इसकी टोपी उसके सर …

बलरामपुर: बड़े ही ताम झाम के साथ सूबे के मुखिया डॉक्टर रमन सिंह ने वर्ष 2012 में 9 नए जिलों की घोषणा की थी..और ये घोषणाएं धरातल पर भी उतरी ..उन्ही में से एक बलरामपुर को पुलिस जिले के बाद राजस्व जिले का दर्जा मिला..तमाम भौतिक संसाधनों समेत एनएच 343 के किनारे बसे एक कस्बे बलरामपुर को जिला मुख्यालय का स्वरूप देने की कवायद शुरू हुई..और उन्ही स्वरूपों के बीच मुख्यालय में गौरवपथ निर्माण की प्रक्रिया तेज हुई..तथा गौरवपथ बना भी लेकिन जिस तरीके से गौरव पथ को लेकर प्रशासन का सुस्त रवैय्या दिख रहा है..वह समझ से परे है…

दरसल वर्ष 2015- 16 में गौरवपथ की मुहिम ने रफ्तार पकड़ी..तथा तत्कालीन कलेक्टर रहे एलेक्स पाल मेनन ने बलरामपुर के मध्य से होकर गुजरने वाली एनएच 343 पर गौरवपथ निर्माण का निर्णय लिया.. बकायदा एनएच से इस सम्बंध में स्थानीय प्रशासन ने करार किया… बलरामपुर के बीएसएनएल आफिस से लेकर निर्माणाधीन कम्पोजिट बिल्डिंग सेमली मोड़ तक गौरवपथ निर्माण किये जाने की प्रक्रिया शुरू हुई..और लगभग 10 करोड़ की लागत से 2 किलो मीटर तक गौरवपथ बना..जिसकी नीव बतौर तत्कालीन कलेक्टर रहे मेनन ने रखी..अब गौरव पथ बन भी गया लेकिन..भरी बरसात में आफत की बात तो यह है की जहाँ से गौरवपथ बना और जहाँ बनाकर छोड़ा गया सड़क के दोनों छोरो पर गढ्ढो ने जन्म लिया..जिनका आकार दिन ब दिन बढ़ रहा है..जिस पर ध्यान देने वाला कोई नही है..शर्म की बात तो यह है..जिस सड़क से रोजाना कई दफे गुजरने वाले आला अधिकारियों ने भी अपनी आँखों के साथ ही कान भी बन्द कर लिए है..अब इन गढ्ढो का क्या इन्हें तो इन्तेजार है..किसी अप्रत्याशित दुर्घटना की…

वही अब एनएच कहे या गौरवपथ यहाँ के लिए तो एक ही बात है..सड़क पर आकार ले रहे गढ्ढो को पाटने की बात करे तो एनएच के अधिकारी गौरवपथ के समय की गई करार का हवाला देते है..तो वही नगर पालिका के अधिकारी गौरवपथ के हैंडओवर नही होने की बात कहते है..अब सवाल यह है की गौरवपथ बीएसएनएल ऑफिस से लेकर सेमली मोड़ तक बनना था तो अधूरा क्यो बना?..इस पर भी अधिकारियों का तर्क कुछ अलग है..बजट नही है तो कहा से बनाये…
फिलहाल इस मसले को रायता जैसे फैलाने का कोई फायदा नही है..सरकारी नुमाइंदे तो इसकी टोपी उसके सर कर रहे है..उन्हें इतना तो समझना होगा की भविष्य में कोई बड़ी अनहोनी हो जाये तो जवाबदेही स्थानीय प्रशासन की ही होगी..तो जवाबदेह प्रशासन को ही जनसरोकार के लिए गढ्ढो को भरना होगा..