पापा जल्दी मिलने आएगें…. पापा अधूरा घर बनवाएगें …… दर्द भरी कहानी , शहीदो के परिजनो की जुबानी

सोमवार को छत्तीसगढ के सुकमा जिले मे हुए नक्सली हिंसा मे 25 जवानो ने देश की सेवा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए है। छत्तीसगढ के लोगो की सुरक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान करने वाले सीआरपीएफ 74 बटालियन के ज्यादातर शहीद जवान दूसरे प्रदेशो के थे। इन शहीद जवानो मे कुछ ने अपनी मासूम बच्ची से तो कुछ ने अपनी पत्नियो से कुछ ना कुछ वादा किया था, लेकिन सोमवार को नक्सलियो ने वीर जवानो पर घात लगा कर जो हमला किया , उससे शहीदो के परिजनो मे मातम पसर गया है…. पढिए शहीद के परिजनो और बच्चो की वो आप बीती ,,, जिसे पढकर शायद आप का भी कलेजा पसीज जाए,, लेकिन कायर नक्सलियो को भला किसी की भावना से क्या लेना है।

बेटे को अच्छे कालेज मे एडमीशन और अधूरा माकान पूरा करना था 

नक्सली हमले में शहीद दरभंगा के जवान नरेश यादव इसी साल 10 जनवरी को लंबी छुट्टी बिताने के बाद छत्तीसगढ़ के सुकमा लौटे थे. 45 वर्षीय नरेश हेड कांस्टेबल के पद पर सीआरपीएफ की 74 बटालियन में तैनात थे. उन्होंने अपने गांव अहिला में छुट्टियों के दौरान एक पक्के मकान का निर्माणकार्य शुरू करवाया था. दो दिन पहले नरेश यादव ने अपनी पत्नी रीता देवी से भी बात की थी और बड़े बेटे को अच्छे कॉलेज में दाखिला कैसे मिले इसको लेकर चर्चा की थी ।

शहीद का बड़ा बेटा दसवीं कक्षा में पढ़ता है जबकि छोटा बेटा पांचवीं में है. उनकी एक बेटी भी है जो नौवीं कक्षा में पढ़ती है । बातचीत के दौरान नरेश ने अपनी पत्नी से वादा किया था कि वह बहुत जल्द वापस अपने गांव आएंगे और मकान का काम को पूरा करवाएगा. लेकिन सोमवार को हुए नक्सली हमले में वो शहीद हो गए ।
बेबस पिता ने कहा मुंह तोड जवाब देना चाहिए

नरेश यादव 1994 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में शामिल हुए थे । नरेश बिहार के उन 6 जांबाजो में से एक हैं जिन्होंने सोमवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है ।  नरेश यादव अपने पीछे ने बुजुर्ग मां-बाप, बीवी और 3 बच्चे छोड़ गए हैं । नरेश यादव अपने मां-बाप के एकलौते बेटे और परिवार में अकेले कमाने वाले भी थे । नरेश के परिजनों को उनकी शहादत की खबर सोमवार की रात टीवी के जरिए मिली जिसके बाद घर में मातम छा गया । नरेश यादव के के पिता राम नारायण यादव केंद्र सरकार से काफी नाराज हैं और सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर कब तक माओवादियों के आगे देश के जवान शहीद होते रहेंगे? नरेश के पिता ने मांग की है कि माओवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाए ।

नन्ही बेटी को छोडकर आया था शहीद जवान 

छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में हिमाचल प्रदेश के दो जवान शहीद हुए हैं। हमले में शहीद सीआरपीएफ जवानों में एक जवान जिला कांगड़ा का है तो दूसरा मंडी का। मंडी जिला के नेरचौक के सुरेंद्र कुमार तो डीसी मंडी से संदीप कदम सीआरपीएफ 74 बटालियन में तैनात थे। सुरेंद्र की अभी जल्द ही शादी हुई थी और एक नन्ही मासूम बेटी ने भी इसी शर्त पर पापा को पोस्टिंग पर जाने दिया था की वो जल्द ही उससे मिलने आएंगे।

कैसी हुई थी घटना

छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के घात लगाकर किए गए हमले में सीआरपीएफ के 26 जवानों को शहादत देनी पड़ी जबकि 7 जवान घायल हो गए । ये जवान सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के थे । घटना सोमवार दोपहर 12 बजे की है जब जवानों की टीम रोड ओपनिंग के लिए निकली थी ।  सड़क निर्माण की सुरक्षा में लगे ये जवान खाना खाने की तैयारी कर रहे थे उसी दौरान घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी । खास बात यह है कि 2010 में इसी जगह हुए नक्सली हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे । फिलहाल घटनास्थल पर सीआरपीएफ की कोबरा टीम तलाशी अभियान चलाया जा रहा है । इस घटना के बाद दूसरे इलाकों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है । इसी दौरान दंतेवाड़ा में भी सुरक्षा बलों ने IED को डिफ़्यूज कर दिया । नक्सलियों ने रोड ओपनिंग पार्टी के सुरक्षाबलों के रास्ते में ये IED लगाई थी ।