वीडियो और कार्यशाला आयोजित करने से नहीं होगा कैशलेस का सपना साकार

  • सरगुजा संभाग को कैशलेस करना इतना नहीं आसान 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी लोगों की परेशानियां

सूरजपुर (रक्षेन्द्र प्रताप सिंह)

देश को कैशलेस बनाने की कवायद का फैसला अपने आप में अभूतपूर्व है। इस फैसले को लेकर सरगुजा संभाग में जहां शहरी क्षेत्रोें में लोगों द्वारा मिलीजुली प्रतिक्रिया दी जा रही है। वहीं ग्रामीण अंचलों में ग्रामीणों को नोटबंदी से घोर परेषानियों का सामना करना पड़ रहा है। बैंकों द्वारा प्रदान किए जा रहे 2 हजार के नोट का छुट्टा नहीं मिल रहा है। जबकि सर्व सुलभ क्षेत्रों में कुछ हद तक कैशलेस की परिकल्पना की जा सकती है लेकिन कैशलेस की परिकल्पना को अमली जामा तब ही पहनाना था जब पूर्ण तौर पर इसके नुकसान के आकलन कर लिए गए होते।

सरगुजा संभाग की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। जहां सरकार द्वारा अब तक मूलभूत सुविधाएं तो उपलब्ध नहीं करा पाई है। ऐसे ग्रामों में न तो बिजली की आपूर्ति ही ढंग से है और न ही इंटरनेट की उपलब्धता। परेषानियों का आलम इतना ही नहीं है इस ग्रामीण आबादी का शिक्षा का स्तर भी निम्न है। उपर से इतने प्रकार के एप्लिेषन्स हैं कि उनमें एकरूपता न होेने के कारण लोगों को भुगतान करने में परेशानी हो रही है। गौरतलब है कि नोटबंदी को करीब एक महीना हो गया है और लोगों को कैशलेस ट्रांसजेक्षन करने की नसीहत देने के लिए जिला प्रशासन की टीम द्वारा लोगों को महज कुछ वीडियो ही दिखाया जा रहा है। जिला कार्यालयों में मीटिंगों का दौर जारी है। जहां फाइलें और आंकड़े फड़फड़ा रहे हैं। कैशलेस के तरीकों में से एक यूएसएसआईडी जो सामान्य मोबाइल पर भी कार्य करता है। सर्वर की त्रुटियों के कारण इसका प्रयोग करना नामुमकिन सा हो गया है और इस पर ट्रांसजेक्शन नहीं हो पा रहा है। शहरी क्षेत्रों में पेटीएम, चिल्लर, जियो मनी सहित कई एप लोकप्रिय हैं , परन्तु इंटरनेट व सर्वर की मार के चलते ये एप भी प्रभावित हो रहे हैं। वहीं सरगुजा जो आदिवासी बाहुल्य होने व शिक्षा का स्तर निम्न होने के कारण पिछड़ा माना जाने वाला संभाग में लोगों को डिजिटल करने की बात बेमानी ही होगी। जब तक हालात सुधरेंगे तब लोगों के मन में सरकार के विरुद्ध आक्रोष घर कर जाएगा।