झीरम नरसंहार मामले में CBI जांच से गृह मंत्री को पसीना क्यों आ रहा है : कांग्रेस

  • सरकार झीरम नरसंहार के षडयंत्र की जांच के लिए केंद्र/एनआईए को लिखे पत्र: कांग्रेस
  • गृह मंत्री को तथ्यों का पता नहीं, सीबीआई के नाम पर पसीना क्यों आ रहा है.?

 

 

रायपुर 

 

जीरमघाटी हमले के सम्बन्ध में गृहमंत्री रामसेवक पैकरा के बयान पर कांग्रेस ने कहा है कि उन्हें पहले तथ्यों से अवगत हो जाना चाहिए। पहली बात तो यह कि एनआईए ने अपनी जांच बंद कर दी है और दूसरी यह कि प्रशांत मिश्रा आयोग के कार्यक्षेत्र में झीरम के षडयंत्र की जांच नहीं है। तीसरा यह कि राज्य की पुलिस भी इसकी जांच नहीं कर रही है. ऐसे में गृहमंत्री का सुझाव किसी काम का नहीं है.
प्रदेश कांग्रेस मीडिया सचिव सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यदि राज्य की भाजपा सरकार सचमुच झीरम को लेकर संजीदा है तो उसे पहले केंद्र सरकार और एनआईए को एक पत्र लिखकर कहना चाहिए कि वे झीरम कांड के पीछे षडयंत्र की नए सिरे से जांच करें. उसके बाद कांग्रेस को सुझाव दें कि फलां जगह शपथ पत्र देना चाहिए. वैसे सरकार को चाहिए था कि वह झीरम कांड के षडयंत्र के मसले को सीधे सीबीआई को सौंप दे. सीबीआई की आर्थिक शाखा को मामला सौंपने के दिखावे से कुछ नहीं होगा.
उन्होंने कहा है कि गृह मंत्री झीरम के नरसंहार की दुर्दांत घटना की सीबीआई जांच से क्यों घबरा रहे हैं? सीबीआई जांच से किस बात के खुलासा होने का डर पूरी सरकार को सता रहा है? सरकार में साहस हो तो सीबीआई जाँच की घोषणा करे, कांग्रेस अध्यक्ष उपलब्ध सारे साक्ष्य सीबीआई के समक्ष प्रस्तुत कर देंगे। सरकार की नीयत में शुरू से खोट रहा है यही कारण है परिवर्तन यात्रा को सुरक्षा नही दी गयी। जीरम घाटी में जब इतनी बड़ी संख्या में लोगो की नृशंस हत्याये हुई थी उस समय भी सरकार में बैठे हुए जिम्मेदार लोग लगातार गलत बयानी करते रहे थे, यात्रा के रूट बदलने की भ्रामक बातें फैलाई गई। सरकार जीरम की सच्चाई सामने लाने नही देना चाहती।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के जेल में बंद एक आरोपी से मुलाकात से इतनी तिलमिलाहट हो गयी कि इस मुलाकात के जाँच के आदेश दे दिए गए लेकिन पूरी सरकार पर झीरम की घटना में संलिप्तता के आरोप के बाद भी सीबीआई जांच से दूर भागने से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है। कुछ ऐसी सच्चाई है जिसे सामने नही आने दिया जा रहा है।
झीरम का नर संहार कोई सामान्य घटना नही थी इस घटना में प्रदेश और देश ने अपने होनहार नेताओं के साथ 31 लोगों को खोया है। छत्तीसगढ़ की जनता चाहती है कि झीरम के असली षडयंत्रकारियों का चेहरा बेनकाब होकर सामने आएं. कारण क्या है कि सीबीआई जाँच के नाम पर सरकार के माथे पर पसीना आ रहा है?