मध्यान्ह भोजन योजना बनी खिलवाड़ : बच्चों को नहीें मिल रहा गुणवत्तायुक्त भोजन

बलरामपुर-रामानुजगंज (कुसमी)

विकासखण्ड़ कुसमी के अशासकीय स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को पौष्टिक व गुणवत्तायुक्त भोजन देने के उद्देश्य से शुरू की गई मध्यान्ह भोजन योजना अधिकारियों व स्वयं सहायता समूहों की सांठ गांठ से भ्रष्टचार की भेट चढ़ गई है। यह योजना बस अवैध कमाई का जरिया बन चुकी है। मध्यान्ह भोजन विकासखण्ड़ के 310 प्राथमिक शालाओें व 81 माध्यमिक शालाओं में संचालित है। जहां स्वयं सहायता समूहों द्वारा घटिया खाद्य सामग्री की सप्लाई की जा रही है। और स्कूलों में बच्चों को मीनू के अनुसार भोजन नहीं मिल रहा है। कुछ वर्षो पूर्व मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन ग्राम पंचायत के माध्यम से कराया जाता था तो स्कूलों मेे खाद्य सामग्री सही समय और सही मात्रा में दी जाती थी । लेकिन अब यह योजना स्वयं सहायता समूहों के हाथ में चले जाने से पूरी व्यवस्था चरमारा गई है। ऊची राजनीतिक पंहुच रखने वाले कुछ लोगों ने सामग्री वितरण में अपना कब्जा जमाकर घटिया स्तर की सामग्री एवं बच्चों की दर्ज संख्या के हिसाब से कम मात्रा में आबंटन स्कूलों मंें किया जा रहा है। इससे उक्त योजना का सही लाभ अध्ययनरत बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। एक तरफ शासन प्रशासन द्वारा बच्चों को ताजा व पौष्टिक भोजन देने की दावा किया जा रहा है वहीं इसकी वास्तविकता कुछ और ही बयान कर रही है।

नहीं मिलती हरी सब्जी
खाद्य सामग्री सप्लाई करने वालों द्वारा केवल सब्जी के रूप में आलू व बरी की सप्लाई की जाती है। बच्चों को पूरे महीने आलू की ही सब्जी ही खिलाया जाता है। नियमतः भोजन मे बच्चों को प्रतिदिन 10 ग्राम चावल , 20 ग्राम दाल और 50 ग्राम सब्जी देने की प्रावधान है। लेकिन मध्यान्ह भोजन सप्लाई करने वालें स्वयं सहायता समूहों की आड़ में कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा बच्चों की दर्ज संख्या के हिसाब से कम मात्रा में सामग्री स्कूलों में भेजी जा रही है।

दाल के भाव बढ़ने से परोसा जा रहा हल्दी पानी का घोल
बढ़ती महंगाई की मार मध्यान्ह भोजन योजना में दिखायी दे रही है। स्वयं सहायता समूहों द्वारा दाल के भाव बढ़ने से मध्यान्ह भोजन में हल्दी वाली दाल बच्चों को दिया जा रहा है। वे खुद मानती है कि ये गलत है परन्तु शासन की ओर से प्रति बच्चे दिए जा रहे खर्च बहुत कम है।

घटिया किस्म के तेल -हल्दी की सप्लाई
मध्यान्ह भोजन में घटिया तेल व हल्दी और मसाले की सप्लाई कर स्कूलों में खपाई जा रही है ।इनके पैकेटों मे न तो पैकिंग की तिथि है और न ही एक्सपायरी । घटिया सामग्री सप्लाई कर उच्च क्वालिटी के सामग्री भुगतान किया जा रहा है।

 

नहीं मिल रहा मीनू के अनुसार भोजन
शासन के मीनू के अनुसार बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। मीनू के मुताबिक बच्चों को चावल , दाल और सब्जी के साथ पापड़ आचार देना है, लेकिन बच्चों को गुणवत्तायुक्त व मीनू केे अनुसार भोजन नहीं मिल पा रहा है।  सब कुछ  सिर्फ कागजों में ही संचालित हो रहा है। मध्यान्ह भोजन देने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।

शिकायतों के बाद भी कार्यवाई नहीं
मध्यान्ह भोजन को लेकर कई स्कूलों के टीचरों ने स्वयं सहायता समूहों के खिलाफ कई बार शिकायत बीईओं और बीआरसी से भी कर चुके है परन्तु आज तक कोई कार्यवाई अथवा किसी प्रकार का जांच नहीं करवाया गया है ।जिसके आड़ में स्वयं सहायता योजना अवैध कमाई का जरिया बन गया है।

शिकायत मिलने पर होगी जांच
कुसमी बीईओं एसपी चतुर्वेदी ने कहा कि इस माह मेरे द्वारा जहां जहां नीरिक्षण किया गया इसके लिए मुझे लिस्ट देखना पडेगा । हमारी कोशिश है कि बच्चों को अच्छा भोजन मिले । मध्यान्ह भोजन में कहीं कमी है तो शिकायत मिलने पर उसकी जांच की जायेगी । जांच में अगर कुछ गलत मिलेगा तो तत्काल समूहों को बदलकर प्रधानपाठको के द्वारा मध्यान्ह भोजन संचालित करवाया जायेगा । जनशिक्षको को भी गुणवत्तावता को लेकर विशेष तौर पर कहा गया है ।