ग्रामीण अब भी बाहर शौच जाने को मजबूर..स्वच्छता अभियान यहां सिर्फ कागजो पर…

 

बलरामपुर/शंकरगढ़

शंकरगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम कारौंध में शौचालय निर्माण अभी भी पूरा नहीं हो रहा है। ग्राम पंचायतों में खुले में शौच जाने के कुप्रथा को दूर करने के लिये स्वाच्छता अभियान के तहत शौचालय के निर्माण किया जा रहा है पर यहां ग्रामीणों के लिये शौचालय तो बने हैं लेकिन यह आज भी उपयोग के लायक नहीं है। शौचालय में ज्यादातर से सेप्टिक टैंक ही नहीं बनाये गये हैं और ढांचा मात्र खड़ाकर दिया गया है। ग्रामीणों की शिकायत पर शंकरगढ़ जनपद के ग्राम कारौंध में शौचालयो ंकी पड़ताल की गई तो इसमें चैकाने वाले तथ्य सामने आये है। हैरानी की बात तो यह है कि इन शौचालयों को बने 6 माह से अधिक का समय हो गया है किन्तु किसी भी अधिकारी की नजर इसके अधूरे व घटिया निर्माण पर नहीं पड़ी। अनुपयोगी शौचालय में ग्रामीण लकड़ी व कंडे रख रहे हैं, जहां जिम्मेदारों ने ऐसे शौचालय बना दिये जो ग्रामीणों के उपयोग के लिये किसी भी तरह से ठीक नहीं है। निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत के द्वारा शौचालय निर्माण में की जा रही लापरवाही का खामियाजा अब ग्रामीण भुगत रहे हैं।

ग्राम पंचायत को सौंपा था निर्माण एजेंसी का जिम्मा-

ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम कारौंध में शौचालयों का ढांचा तो बना दिया गया, लेकिन कहीं दरवाजा नहीं लगवाया गया तो कही सेप्टिक टैंक का काम अधूरा किया गया, न ही टैंक को पैक किया गया है न ही अन्य कार्य।

तकनीकी टीम ने भी कर दिया मूल्यांकन

कारौंध के ग्रामीणों ने शिकायत करते हुये बताया कि शौचालयों के निर्माण का मूल्यांकन करने वाले तकनीकी टीम भी ग्राम में पहुंचकर यह सब देखी थी लेकिन कैसे आंख बंद कर कार्य का मूल्यांकन कर दिया। इस लापरवाही में जितनी पंचायत दोषी है मूल्याकंन वाले भी दोषी हैं।

लोटा प्रथा आज भी जारी

ग्राम पंचायत के द्वारा बनाऐ गयेे घटिया किस्म के शौचालय का निर्माण कार्य अधूरा होने की वजह से ग्रामीण इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से ग्रामीण आज भी परेशानी झेल रहे हैं और कई ग्राम पंचायत में लोटा प्रथा जारी है। मनी राम ने बताया कि उसके घर में शौचालय का ढांचा तो बना दिया गया है लेकिन वह बिना काम का है, इसलिये उसे आज भी लोटा लेकर खेत तरफ जाना पड़ता है।