सूखे से जूझ रहे किसानों को मनरेगा से मिल रही है राहत

कोरबा

लगभग डेढ़ एकड़ खेत के मालिक 55 वर्षीय किसान पाल सिंह ने वह दौर भी देखा है जब कभी बारिश नहीं होती थी, गांव में अकाल पड़ जाता था तब अपनी कीमती मवेशियों को उनके हालात पर छोड़कर परिवार सहित गांव से पलायन कर जाते थे। रोजी-रोटी की तलाश में गांव से पलायन करना सबकी मजबूरी बन जाती थी। इस बीच गैर प्रदेश जाकर काम करते न सिर्फ जुल्म भी सहने पड़ते थे बल्कि बंधक बनकर कोल्हू की बैल की तरह दिन-रात खटना भी पड़ता था। पलायन के दर्द को भली-भांति समझने वाला किसान पाल सिंह इस बार हुई कम बारिश से चिंतित तो था, लेकिन गांव में ही रोजगार गारंटी योजना में काम मिल जाने से उनकी चिंता छू मंतर हो गई है। सूखाग्रस्त प्रभावित क्षेत्रों में शासन प्रशासन द्वारा किसानों एवं ग्रामीणों के हित में उठाए गए एतिहयाती कदम ने ग्राम पंचायतों के हजारों ग्रामीणों को गांव में ही मनरेगा के माध्यम से रोजगार के साथ समय पर मजदूरी की गारंटी सुनिश्चित कर दी है। इस कदम से काफी हद तक पलायन पर भी अंकुश लगा है।
कोरबा विकासखंड के अंतिम छोर स्थित ग्राम कछार में भी रोजगार गारंटी योजना से नये तालाब निर्माण का कार्य जारी है। इस तालाब के बनने से बारिश के दिनों में तालाब में जहा पानी होगी वही आने वाले गर्मी के दिनों में मवेशियों को जल के लिये इधर उधर भटकना भी नही पड़ेगा। गत 28 नवंबर 2015 से शुरू हुए इस कार्य में लगभग 120 मजदूर कार्यरत हैं। मनरेगा के मजदूरों को यहां प्रतिदिन 159 रूपये की दर से पारिश्रमिक प्रदान किया जाता है।
ग्राम पंचायत कछार के ग्रामीण भी इस वर्ष सूखे से प्रभावित हैं। अनेक किसान हैं जिनका 75 प्रतिशत तक के फसलों को नुकसान पहुंचा है। सूखे की वजह से चिंतित किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है, वहीं रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से कार्य स्वीकृत करके ग्रामीणों को रोजगार से जोड़कर राहत पहुंचाई जा रही है। यहां नए तालाब निर्माण कार्य में मजदूरी कर रहे पालसिंह ने बताया कि इस बार बहुत कम फसल हुआ है। मनरेगा से जुड़ने के बाद उनकी चिंता कम हुई है। पालसिंह का कहना है कि गांव में यदि काम नहीं मिलता तो कहीं और पलायन करना मजबूरी बन जाती। अब तक 12 गोदी खुदाई पर 1908 रूपये मजदूरी प्राप्त कर चुके पालसिंह ने रोजगार गारंटी योजना को सार्थक कदम बताते हुए कहा कि इससे ग्रामीणों को रोजगार और गांव में नया विकास कार्य संभव हो पाता है। ग्रामीण ढोलाराम भी शुरू से मनरेगा के कार्यों से जुड़ा हुआ है। ढोलाराम ने बताया कि पहले फसल नहीं होने और गांव में कुछ काम नहीं मिलने से वे किसी दूसरे शहर की ओर पलायन कर जाते थे। अब सरकार की ओर से गांव में ही काम दिया जा रहा है, तब पलायन की जरूरत नहीं है।
कछार पंचायत अन्तर्गत ग्राम ढेंगूमाड़ा में भी तालाब निर्माण का कार्य संचालित है। यहां कार्य करने वाली फूलबाई अपने दो बेटे कन्हैया और हीरालाल के साथ मिलकर कार्य कर रही है। फूलबाई ने बताया कि मनरेगा से जुड़ने के बाद उन्हें फसल बर्बादी की ज्यादा चिंता अब नहीं होती। यहां प्राप्त मजदूरी से उनका घर खर्च भी आसानी से चल रहा है। मनरेगा अंतग्त तालाब निर्माण कार्य में मजदूरी कर रही गीता बाई और उनके पति हरिचंद ने 36 गोदी में 4200 रूपये, संतोषी बाई और हरिनारायण ने 24 गोदी में 35 सौ रूपए मजदूरी प्राप्त किया है। सभी के लिए रोजगार गारंटी लाभदायक होने के साथ ही फसल बर्बादी की बनी चिंता को दूर करने में मददगार साबित हो रही है।
311 ग्रामों में 785 कार्य संचालित- 3 फरवरी 2016 की स्थिति में मनरेगा अन्तर्गत 311 ग्रामों में 785 कार्य संचालित है। जिसमें कुल 39475 श्रमिक नियोजित हैं। जिले में 600 परिवारों ने 100 दिन का रोजगार, 123 परिवारों ने 150 दिन का रोजगार प्राप्त किया है। अब तक चौदह करोड़ रूपये से अधिक मजदूरी भुगतान किया जा चुका है। ग्रामीणों को रोजगार के साथ ग्राम विकास की दिशा में मनरेगा एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो रही है। कूप निर्माण, डबरी, तालाब निर्माण, पहुंच मार्ग पुलिया निर्माण, तालाब गहरीकरण, कोटना निर्माण, नहर, खेल मैदान समतलीकरण कार्य के साथ अन्य शासकीय योजनाओं के साथ अभिसरण कर कार्य किए जा रहे हैं।