डिजिटल इंडिया के इस गाँव में लालटेन की रोशनी में पढ़ते है छात्र

अँधेरे में लालटेन की रोशनी में पढने को मजबूर है छात्र

अंबिकापुर देश मे विकास के बडे बडे दावो के बीच छत्तीसगढ के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट मे अब भी ऐसे कई गांव है, जहां विकास की रोशनी नही पहुंच सकी है। इन्ही मे एक गांव का नाम है उरंगा घटगांव, जहां के लोग आज तक ना बिजली की रोशनी देख पाए है और ना ही सडक पर चल पाए है। इतना ही नही गांव के लोग आज भी नाले का पानी पीने को मजबूर है। लेकिन इतनी अंधेरगर्दी के बाद भी जवाबदार अधिकारी कहते है वो मीडिया से बात करने नही काम करने आए है।

इस गाँव को देखकर ऐसा लगता है जैसे सरगुजा के हिल स्टेशन, मैनपाट को छत्तीसगढ का शिमला कह कर उसका मजाक उडाया जा रहा है। क्योकि विकास के नाम पर करोडो खर्च करने के बाद भी यहां के कई गांव आज भी पहुंचविहीनता का दंश झेल रहे है। मामला मैनपाट के घटगांव उरंगा का है, जहां कुछ दिन पहले सडक के नाम पर मिट्टी तो बिछाई गई है, लेकिन उस पर चलना लोगो के लिए जानलेवा है। इतना ही नही बरसात के चार महीने गांव के लोग दूसरे रास्ते से पैदल 9 किलोमीटर का सफर तय कर मुख्य मार्ग तक पहुंचते है और गांव मे अगर कोई बिमार हो गया तो फिर खटिया को स्ट्रेचर बनाना पडता है।

वैसे तो प्रदेश के मुखिया हर मंच से ये दावा करते है कि 2019 तक हर गांव मे सडक और हर गांव मे बिजली पहुंच जाएगी, लेकिन देशी लालटेन के सहारे ककहरा पढते इन नौनिहालो को देखकर ये कहना किसी बेईमानी से कम नही होगा कि शिक्षा हमारा अधिकार है और आज के चकाचौंध भरे युग मे अगर आप लालटेन मे शिक्षा ग्रहण करने वाले इस मासूम से उसी की सिसकती जुबान से जब उसका दर्द सुनेंगे तो आप भी सोंचने पर मजबूर हो सकते है। मासूम बताता है की उसके लिए पढ़ाई कितनी जरूरी है और वह अँधेरे में लालटेन के भरोसे ही पढ़ाई कर रहा है क्योकि शासन की योजनाये उन तक नहीं पहुचाई गई है।

हम सिर्फ सडक, बिजली के कारण इस गांव को पहुंचविहीन नही कह रहे है। बल्कि जिस युग मे सरकार हर गांव के लोगो को स्वच्छ पानी मुहैया कराने का दावा करती है उस युग मे अगर लोग आज भी नाले और प्राकृतिक जल स्त्रोत का पानी पिए ,, तो फिर इस गांव को भला और क्या कहेंगे ? दरअसल इस गांव के लोगो ने स्थानिय विधायक और प्रशासन से कई बार बिजली ,पानी और सडक के लिए गुहार लगाई,, लेकिन मूलभूत आवश्कताओ के लिहाज से घटगांव उरंगा गांव आज तक मुख्यधारा ने नही जुड सका है।

ये कहानी उस मैनपाट हिल स्टेशन के एक गांव की है, जिसकी हरियाली और वादियो को देखने लोग प्रदेश के विभिन्न हिस्सो से यहां पहुंचते है,, लेकिन जब इस गांव की परिस्थितियो को आप नजदीक से देखेंगे तो आप भी ये समझ जाएगें कि यहां के लोगो के सामने हर वक्त मौत चुनौती बनी रहती है,,, लेकिन शायद जिम्मेदार शासन प्रशासन को इन बेचारे ग्रामीणो से कोई लेना देना नही, तभी तो गंदा पानी, पैदल मार्ग और देशी लालटेन आज भी इस गांव की दिनचर्या मे है।

मिथलेश पैकरा सीईओ जनपद पंचायत मैनपाट सरगुजा

इतनी बडी आफत मे जीवन यापन कर रहे लोगो की जानकारी जब हम क्षेत्र की जनपद पंचायत के मुख्य कार्यापलन अधिकारी को देने गए तो पहले तो उन्होने कहा कि हम अभी नए आए है फिर उन्होने हमे कुछ बताने से इंकार कर दिया और हमे उनसे बडे अधिकारी के पास जाने का रास्ता दिखा दिया.