वीडियो : मंत्री जी! डायलिसिस तो करा दीजिये.. आपके सरकारी अस्पताल में पैसा कम लगता है.

अम्बिकापुर. मेडिकल कॉलेज अस्पताल मे व्यापत समस्याओं के कारण मेडिकल काउंसिल आफ इण्डिया कई बार प्रबंधन को चेता चुका है.. और यही वजह है कि मेडिकल कालेज की स्थापना से लेकर अब मेडिकल कॉलेज को शून्य ईयर घोषित किया जा चुका है. लेकिन उसके बावजूद राज्य शासन यहां व्यापत समस्याओ को नजरअंदाज करती आ रही है. चौंकाने वाली बात है कि इस बार मेडिकल कॉलेज अस्पताल की डायलिसिस मशीन ही खराब हो गई है. जिससे पिछले करीब डेढ महीने से यहां डायलिसिस कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों को बैंरग लौटना पड रहा है और उसके बाद मरीजों को मोटी रकम लेकर डायलिसिस करने वाले जांच केन्द्र की ओर रुख करना पडता है.

वहीँ इस सम्बन्ध में जब फ़टाफ़ट न्यूज़ ने पीड़ित वीरेन्द्र सिंह और मरीज रेखा सोनी से बात की तो उन्होंने कहा की मेडिकल कॉलेज अस्पताल की डायलिसिस मशीन खराब हो गई है. जिससे पिछले करीब डेढ महीने से यहां डायलिसिस कराने के लिए पहुंचने पर बैंरग लौटना पड रहा है और उसके बाद मरीजों को मोटी रकम लेकर डायलिसिस करने वाले जांच केन्द्र की ओर रुख करना पडता है.

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ऐसा नहीं कि इस सामान्य चिकित्सकीय उपकरण के खराब हो जाने से प्रबंधन को बहुत ज्यादा परेशानी हैं. जबकि लोगो को हो रही परेशानी के सवाल के साथ जब हम अस्पताल के उप अधीक्षक डॉ एआर वर्मा के पास पहुंचे.. तो उन्होने कहा कि ज्वाईंडिस की डायलिसिस मशीन ठीक है और सामान्य डायलिसिस की मशीन खराब है. इतना ही नही अधीक्षक महोदय की उस बात मे हैरानी हुई . जिसमे उन्होने कहा कि डायलिसिस मशीन आ कर रखी है, बस इंस्टालेशन नही हुआ है.. मतलब डाक्टर साहब आपकी मनमानी से हो रही समस्या को गरीब आदमी ही झेले..

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जानकारी के मुताबिक डायलिसिस की सेवा किसी भी अस्पताल के लिए अब सामान्य चिकित्सकीय सेवा हो गई है. ऐसे मे स्वास्थ्य मंत्री के घर के समीप स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल की डायलिसिस करने वाली मशीन का खराब होना और फिर नई मशीन का इंस्टालेशन ना होना निश्चित तौर पर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए शर्म की बात है.. बहरहाल देखते है कि गरीब लोगो को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधा कब तक बहाल होगी.

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