बाउंड्रीवाल फ़ीस जमा नही करने पर निजी स्कूल की मनमानी.. बच्चों को एक घंटे बाहर किया खड़ा..

अम्बिकापुर..(उदयपुर/क्रान्ति रावत)..उदयपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत झीरमिटी में संचालित वियन्नी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों ने गुरुवार को परीक्षा के लिए आए इंग्लिश मीडियम के बच्चों को एक घंटे से भी अधिक समय तक परीक्षा मे न बैठने देने से कैम्पस में खड़े करने का आरोप लगाया है.. अभिभावकों द्वारा इस बात का विरोध करने पर स्कूल प्रबंधन द्वारा ऐसे लगभग 40 बच्चों को परीक्षा में बैठने दिया गया. इस संबंध में मौके पर मौजूद अभिभावक देवी प्रसाद निरणेजक ने बताया कि स्कूल प्रबंधन द्वारा बाउंड्री वॉल के नाम पर ₹1000 फीस की मांग की जा रही है.. पैसा नहीं देने वाले छात्र को परीक्षा में बैठने का अवसर आज नहीं दिया जा रहा था. स्कूल परिसर से बच्चे द्वारा घर में फोन किए जाने पर हम लोग आज विद्यालय उपस्थित हुए तब हमने देखा कि और भी अभिभावकों से स्कूल के प्राचार्य अमरदीप मिंज से इस बारे में बातचीत जारी थी।

ऐसे छात्र जिनका ट्यूशन सहित स्कूल के अन्य फीस पूरा जमा हो गया था. उन छात्रों को भी बाउंड्री वाल का ₹1000 नहीं देने के नाम से बाहर रोक दिया गया था.. कि बाउंड्री वाल की जिम्मेदारी संस्था की है कि वह कैसे इसे बनाएगी यह उन्हें समझना चाहिए. इसकी जवाबदारी अभिभावकों के ऊपर नहीं थोपी जानी चाहिए. परीक्षा के वक्त में बच्चों के ऊपर इस तरह बना कर उन्हें मानसिक तनाव दिया जा रहा है.. जिससे उनके परीक्षा परिणाम पर असर पड़ने की आशंका है. इसी तरह से अन्य अभिभावकों द्वारा अपनी बात रखे जाने पर विद्यालय की एक शिक्षिका द्वारा विद्यालय से नाम कटवाकर ले जाने की बात कही गई. जिससे अभिभावकों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए. दुबारा ऐसी बाते नही कहने की सलाह उक्त शिक्षिका को दी गई.

अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि विगत वर्ष सीबीएसई पाठ्यक्रम संचालन के नाम से फीस वसूली की गई. परंतु पढ़ाई सीजी बोर्ड से कराई गई सीबीएसई के नाम से वसूली गई दुगनी फीस की राशि स्कूल प्रबंधन द्वारा कहां खर्च की गई यह भी जांच का विषय है.

बाल अधिकार की उड़ रही धज्जियाँ

विद्यालय प्रबंधन बाल अधिकार की किस प्रकार धज्जियां उड़ा रही है. इसे साफ समझा जा सकता है. बाल अधिकार अधिनियम की धारा 28 में स्पष्ट रूप से अंकित है.. बच्चों को शिक्षा प्राप्त (पूरी पढ़ाई) करने का अधिकार है. उनकी प्राथमिक शिक्षा निशुल्क होनी चाहिए.. अधिनियम की धारा 37 में यह भी प्रावधान है कि बच्चों के साथ किसी भी तरह का निर्दयतापूर्ण, अमानवीय, कठोर या अपमानजनक व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए तथा उनको सजा नहीं मिलनी चाहिए..

यदि विद्यालय प्रबंधन एवं जनभागीदारी समिति में किसी भी प्रकार का बात विचार कर निर्णय लिया गया था.. तो उसे सीधे मां-बाप से संपर्क कर उन्हें इससे अवगत कराना चाहिए था.. ना कि बच्चों को इस तरह से परीक्षा के दौरान दबाव बनाकर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित नही किया जाना चाहिए था.. स्कूल प्रबंधन की इस लापरवाही पर नाराज होते हुए विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के पालकगण ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी उदयपुर को उक्त संबंध में ज्ञापन सौंपकर विद्यालय प्रबंधन के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग की है..

इस सम्बंध में विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी डॉ डीएन मिश्र ने बताया कि शिकायत प्राप्त हुई है. जांच कर कार्यवाही की जाएगी.

विद्यालय के प्राचार्य अमरदीप मिंज से इस बारे चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि हमारी सोच बच्चों को परीक्षा से वंचित करने की नही थी.. जिन छात्रों को एडमिट कार्ड नही मिला था उन्हें रोका गया था. इसी दौरान बच्चों की मानसिकता बन गई कि फीस क्लियर नही है.. इसलिए खड़ा किया गया है. CBSE प्रोसेस में कमी थी. उसे पूरा करने के लिए समिति के समक्ष बात रखी गयी थी. जिसमें उपस्थित अभिभावकों ने अपनी सहमति जताकर 1000 (एक हजार) ₹ प्रति अभिभावक देने का निर्णय हुआ था.