गुणवत्ता अभियान का नही दिखा असर नए शिक्षा सत्र में भी शिक्षा व्यवस्था बदहाल…

बुनियादी सुविधाओं का आभाव,कई स्कूल अभी भी एकल शिक्षकीय, संलग्नीकरण हावी
कोरिया
सोनहत से “राजन पाण्डेय”
सोनहत। सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं में अब भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है । कई स्कूलों में ना तो पीने के पानी की व्यवस्था है और ना ही बिजली की। पानी के लिए स्कूल में पदस्थ स्टॉफ और अध्ययनरत बच्चों को भटकना पड़ता है। स्कूलों की यह समस्या मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक व्याप्त है। शिक्षा गुणवत्ता अभियान के चरण पूरे होने के बाद भी इन समस्याओं को दूर करने के लिए अब तक कोई पहल नहीं की गई है। हालांकि अभियान के दौरान स्कूलों में गुणवत्ता परखने के लिए पहुंचे जनप्रतिनिधि व अधिकारी इन समस्याओं से रूबरू हो चुके हैं। बावजूद इसके अभी तक कोई ठोस पहल नही हो पाई है। सोनहत विकासखंड अंर्तगत कई ऐसे स्कूल है जहां एक ही कमरे में सभी कक्षों का संचालन किया जा रहा है साथ ही कुछ ऐसे स्कूल भी है जो पिछले कई वर्षो से एकल शिक्षकीय रहे जिनमें लोलकी बदना सेमरिया नवाटोला कोठाडांड़ देसर एवं कुल 11 स्कूल शामिल है और वर्तमान में उनकी हालत बेहद खराब है। सोनहत विकासखंड ग्राम देवतीडांड़ उधैनी कछुवाखोह मझगवां एवं अन्य स्कूलों की हालत इतनी दयनीय है की यहां की अव्यव्स्था से ही शिक्षा का आकलन किया जा सकता है। पिछले वर्ष तो कछुवा खोह के ग्रामीणों ने यह शिकायत किया था की यहां के स्कूल में शिक्षक साल में मात्र 26 जनवरी और 15 अगस्त दो दिन ही आया करते है बावजूद इसके यहां पर अव्यवस्था जस की तस बनी हुई है। शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत अलग अलग अधिकारीयों और जनप्रतिनिनधियों ने अलग अलग स्कूलों को गोद लिया और गुणवत्ता सुधारने की बात कही लेकिन वो प्रयास भी महज कागजी ही साबित हुए।
संलग्नीकरण से चैपट हुई व्यवस्था
दूर-दराज के सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षा कर्मियों का मुख्यालय के आसपास के स्कूलों में संलग्नीकरण कर देने से सोनहत के कई स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था चैपट हो गई है। शिक्षाकर्मियों के संलग्नीकरण पर पूरी तरह प्रतिबंध के बाद भी सोनहत विकासखंड में लंबे समय से यह खेल धड़ल्ले से चल रहा है। इस विकासखंड अंतर्गत वनांचल क्षेत्र ठकुरहत्थी बसवाही क्षेत्र के स्कूलों पदस्थ शिक्षकों को केशगवां हाई स्कूल में पदस्थ किये जाने से बसवाही और ठकुरहत्थी के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरीके से चैपट हो गई है वही हाई स्कूल केशगवां में शिक्षकों की पर्याप्त बाहुलता के बावजूद इन शिक्षकों को मूल शाला में वापस नही भेजे जाने से जहां ग्रामीणों में आक्रोश का आलम निर्मित हो रहा है ।
दूर-दराज के स्कूलों से बड़ी संख्या में शिक्षाकर्मियों का संलग्नीकरण विकासखंड मुख्यालय  के आसपास के स्कूलों में हो जाने के बाद यहंा कई जगह हास्यासपद स्थिति निर्मित हो गई है। उल्लेखनीय है की जिला पंचायत ने संलग्न पंचायत शिक्षको को उनके मूल पदस्थापना में भेजे जाने का आदेश बहुत पहले ही जारी कर दिया है जिसका खुलेआम माखौल उड़ाने में अधिकारीे कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
स्थिति सुधारने ठोस पहल नहीं
शिक्षा का अधिकार अधिनियम को केंद्र सरकार द्वारा 6 वर्ष पुर्व  ही लागू कर दिया गया है। अधिनियम के लागू होने के 6 साल बाद भी यह इस कानून का लाभ पूरी तरीके से नही मिल पा रहा है। इस अधिनियम में 14 साल के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करने के साथ मित्रवत और भयमुक्त वातावरण में शिक्षा देना सुनिश्चित किया गया है। अधिनियम के लागू होने के बाद प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों पर तो लगाम तो कसी है, लेकिन सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति को सुधारने के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है। शिक्षा गुणवत्ता अभियान के दौरान सरकारी स्कूलों में पहुंचे जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के सामने बुनियादी सुविधा से जुड़ी ढेरों समस्याएं सामने आईं। इन समस्याओं में भवन, पानी, बिजली, खेल मैदान जैसे समस्याएं प्रमुख रहीं। अभियान के दौरान शिक्षा की गुणवत्ता को परखने के लिए तैयार किए गए बिंदुओं के प्रश्नावली के आधार में गुणवत्ता को परखा गया, लेकिन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को पूरी तरह से उपेक्षित कर दिया गया।
ं7 साल में नही बन पाया भवन 
ज्ञात हो की ग्राम मझगवां में 7 साल पुर्व माध्यमिक शाला भवन स्वीकृत किया गया था लेकिन उसका आज पर्यन्त तक निर्माण नही हो पाया है । स्कूल के परिसर में माध्यमिक शाला भवन निर्माण की नीव बनी हुई है जिस पर इतने अधिक कचरे जम गए है की वह नीव दिखाई ही नही पडती है । इस संबंध में मिली जानकारी अनुसार ग्राम पंचायत को माध्यमिक शाला भवन निर्माण के लिए एजेंसी बनाया गया था और राशी भी उपलब्ध कराई गई थी लेकिन ग्राम पंचायत की लापरवाही के कारण स्कूल भवन आज तक मात्र नीव तक ही सिमित रह गया और इसका खामियाजा छात्र एवं शिक्षकों को भुगतना पड रहा है। इसी क्रम में ग्राम चकड़ड़ धनपुर समेत कई स्कूलों में कही अतिरिक्त कक्ष तो कही प्रधान पाठक कक्ष का निर्माण नही होने से विद्यार्थीयों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इनका कहना है। 
गुणवत्ता लाने के लिए विभाग सतत प्रयासरत है। साथ ही संलग्नीकृत शिक्षकों को मूल शाला में वापस भेजने आदेश जारी कर दिया गया है।
शोभनाथ सिंह
बी ई ओ सोनहत।
जिन स्कूलों में निर्माण कार्य अधूरे है वहां पर निर्माण ऐजेसी को कई बार रिमांईडर भेजा गया है साथ ही जनपद पंचायत में भी इसकी जानकारी दी गई है।
एरोन बखला 
बी आर सी सोनहत।