ऐतिहासिक पक्की तालाब उपेक्षा का शिकार …

[highlight color=”black”]सूरजपुर[/highlight]-[highlight color=”red”]प्रतापपुर से राजेश गर्ग [/highlight]

 

नगर का ऐतिहासिक पक्की तालाब जिर्णोद्वार एवं सौन्दर्यीकरण के सभी प्रयास प्रषासनीक उपेक्षा से भ्रष्टाचार की भेट चढ़ता जा रहा है। पूर्व में जहां गहरीकरण के नाम पर लाखों रुपए का वारान्यारा किया गया वहीं सौन्दर्यीकरण का कार्य वर्षों से बन्द पड़ा है। इसके लिए नगरीय प्रषासन एवं ठेकेदार एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है जो जांच का विषय है।

नगर का ऐतिहासिक पक्की तालाब उपेक्षित पडा हुआ हैं। अपनें सौंदर्यीकरण की बाट जोहता अपने अस्तित्व बचाने की लडाई लड रहा हैं। जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारीयों की अनदेखी तथा नगरवासियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के करण पक्की तालाब एक पर्यटक स्थल की बजाये शौचालय बना हुआ हैं। नगर के मध्य बने पक्की तालाब को ऐतिहासिक घरोहर माना जाता है। कहा जाता है कि वर्षों पूर्व तात्कालिक राजा ने अपनी महारानी के लिए बनवाया था, ताकि यहा आकर स्नान कर सके । यह भी बताया जाता है कि उनके महल से तालाब तक आने के लिए सुरंग भी बनाई गई थी । तालाब के एक हिस्से में हनुमान एवं सूर्यदेव मंदिर है तथा दूसरी ओर मंदिर नुमा ढांचा है। मंदिरों की मरम्मत एवं देख रेख की वजह से सही सलामत है। किन्तु ढांचा की स्थिति जर्जर हो गयी है। पक्की तालाब की उपेक्षा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिरनुमा ढांचा के पास सफेद पत्थरो से बने दो मठ जो तालाब की सुंदरता को बढाते थे गिर चुके हैं। जबकि ये काफी समय से जर्जर हो चुके थे। किन्तु इसकी मरम्मत कराना किसी ने उचित नहीं समझा। पककी तालाब अपने आप में अन्य तालाबों से अलग तथा आकर्षक हैं। मात्र मछली से ही नगर पंचायत को प्रतिवर्ष हजारों रुपये की आमदनी होती है। तथा इसके पानी से कई एकड खेती की सिंचाई की जाती हैं। साथ ही नगर में भूमिगत जल स्तर को बनाए रखने में इसकी अहम भूमिका हैं। इतने फायदों के बावजुद पक्की तालाब अपने अस्तित्व की लडाई लड रहा है।
पूर्व में इसके सौन्दर्यीकरण के थोडे बहुत प्रयास तो किये गए, किन्तु इसमें भी लाखों रुपये का गोलमाल ही हुआ। पहले पंचायत फिर नगर पंचायत द्वारा वृक्षारोपण कराया गया। किन्तु इन वुक्षों का अतापता नहीं है। किन्तु तालाब के अगल बगल छाडी जरुर उग गई है। कुछ वर्षों पूर्व इसके सौन्दर्यीकरण के लिए लाखों रुपए जल संसाधन विभाग दिए गए थे। किन्तु इस विभाग के द्वारा तालाब में आधा-अधुरा एवं घटिया निर्माण करवाए गए, बाकी पैसों का पता नही चला। इसी तहर सन् 2005-2006 में शासन द्वारा नगर पंचायत को पक्की तालाब सौन्दर्यीकरण के लिए सरोवर धरोवर योजना के तहत लगभग पैतिंस लाख रूपये कि स्वीकृत मिलि थी इसमें पच्चीस लाख स्पये खर्च कर नगर पंचायत द्वारा गहरी करण एवं घाट निर्माण का कार्य कराया गया पर स्वीकृत राषी की दुसरी किष्त शासन से मिलि ही नहीं। इस ऐतिहासिक तालाब के सौंदर्यीकरण एवं सुधार कार्य के लिए जन प्रतिनिधियों एवं शासन द्वारा सार्थक पहल किये जाने कि आवश्कता है।

[highlight color=”orange”]अतिक्रमण हटा पर बाउंड्री नहीं…….[/highlight]
तालाब के किनारे मुख्य सड़क से लगे मेढ़ पर किये गये अतिक्रमण को हटा कर शासन ने इसे अतिक्रमण से तो मुक्त कराया पर भविष्य में पुनः अतिक्रमण न हो इसके लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया। वाउंड्री एवं सौंन्दर्यीकरण के अभाव में यह ऐतिंहासिक स्थल गन्दगी एवं असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है।
भगवान सूर्य एवं हनुमान जी के मंदिर है लोगो के आस्था का केन्द्र-
तालाब के तट पर भगवान सूर्य एवं हनुमान जी के दो ऐतिहासिक मंदिर बने है। जिनका निर्माण यहां के रक्सैल राजा विध्येश्वरी सिंह देव ने कराया था। आध्यात्मिक प्रवृत्ति के राजा विध्येश्वरी सिंह देव अपने पुत्र चन्द्रशेखर सिंह देव को राज्य सौंप स्वयं तपस्या करने लगे। 11 वर्ष तक तपस्या पूर्ण करने के उपरांत बारहवें वर्ष कि तपस्या के दौरान इनका देहान्त हो गया प्रतिवर्ष तपस्या पूर्ण होने पर इनके द्वारा पक्की तालाब के तट पर हवन किया जाता था। सूर्य एवं हनुमान जी के मंदीर इसी दौरान कराया गया बारहवें वर्ष में भगवान ब्रम्हा मंदीर का निर्माण कराया जा रहा था जो इनके तपस्या के दौरान देहावसान हो जाने से अधुरा रह गया तालाब के उत्तरी तट पर निर्माणाधिन मंदीर आज भी खड़ा है।

[highlight color=”orange”]खजाने कि लालच. में चोरों ने राजा रानी के स्मारक को किया क्षतिग्रस्त [/highlight]

खजाने की लालच में चोरो ने इस ऐतिहासिक आस्था के केन्द्र को भी नही बक्शा निर्माणाधिन ब्रम्हा मंदिर एवं उससे लगे राजा एवं रानी के स्मारक को चोरों ने खजानें की खोज में खोद ड़ाला इसके कुछ आरोपी पुलिस के गिरीफ्त में भी आये जिन पर कार्यवाही भी की गई।

[highlight color=”orange”]प्रतिवर्ष छठ पर्व पर होती है भींड़ [/highlight]

पक्की तालाब के तट पर बने ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में प्रतिवर्ष छठ पर्व, हनुमान जयंती पर भक्तों के आस्था का सैलाब उमड़ता है। प्रति वर्ष छठ पूजा समिति द्वारा छठ पूजा एवं उपासकों के लिए छठ घाट पर सजावट एवं आवश्यक व्यवस्था की जाती है। गत वर्ष छठ पूजा के दौरान कई श्रधालु भक्तो ने व्यवस्था को और सुधार के लिए आर्थिक सहयोग देने का घेषणा भी किया गया था। पर आज तक छठ पूजा समिति या शासन द्वारा किसी भी प्रकार का विकास या सूधार कार्य प्रारम्भ नही किया गया है।

[highlight color=”orange”]पुष्प वाटिका का कार्य अधूरा [/highlight]

तालाब के सौदर्यीकरण के लिए शासन द्वारा लगभग बीस लाख रुपए स्विकृत किया गया है नगर पंचायत द्वारा टेंण्डर के बाद कार्य प्ररम्भ कराया गया पर ठेकेदार और नगर पंचायत प्रशासन के आपसी खींचतान  की वजह से कार्य अधुरा पड़ा है ठेकेदार कंचन सोनी जहां नगर पंचायत पर किए गये कार्यों के लाखों रुपए का भुगतान बकाया होने की बात कह रहे है वहीं नगर पंचायत के मुख्य नगर पालिका अधिकारी इंद्रेश्वर सिंह ठेकेदार का भुगतान बकाया होने की बात को नकारते हुए बताया ठेकेदार को एडवांस राशि का भुगतान किया जा चूका है। अब मामले की सच्चाई जांच के बाद ही सामने आ सकती है। नगर वासियों ने मामले की जांच करा अधुरे निर्माण को षिघ्र पूरा कराने एवं धार्मिक आस्था के केन्द्र ऐतिहासीक तालाब की सफाई एवं सुरक्षा के लिए आवष्यक पहल करने की मांग की है।

[highlight color=”orange”] कंचन सोनी- ठेकेदार नगर पंचायत प्रतापपुर[/highlight]

मेरे द्वारा नगर पंचायत में कराये गए विभिन्न निर्माण कार्यो का लाखों रुपए का भुगतान बकाया है जिसका भुगतान नहीं होने से मैने कार्य बन्द कर दिया है।

[highlight color=”orange”]इंद्रेश्वर सिंह- सीएमओ नगर पंचायत प्रतापपुर[/highlight]

ठेकेदार को उक्त कार्य का आकलन के अनुरुप भुगतान किया जा चुका है। उनको एडवांस भुगतान भी किया गया है। अधुरे कार्य को षिघ्र पूरा करने पत्र जारी किया जायगा। छोटे घाट निर्माण के लिए भी टेंण्डर किया जा चुका है बारिष के बाद शीघ्र कार्य प्रारम्भ होगा।