मनरेगा की मजदूरी खा गये सरपंच और पंचायत कर्मी..

शिकायत पर लोकपाल ने जांच में पाया दोषी..

अम्बिकापुर

मनरेगा में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिल्ली में एक्सीलेंसी आवार्ड पाने वाले सरगुजा जिले में मनरेगा की असल तस्वीर ठीक इसके विपरीत है। यहाँ मनरेगा के कामो में व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायते आम हो चुकी है। दरअसल यहाँ सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक ने मिली भगत कर खुद के हस्ताक्षर से मजदूरों की मजदूरी गबन कर ली है और मामले की शिकायत पर जाँच के बाद लोकपाल ने भी दोषी करार दे दिया है। सरगुजा जिले के सीतापुर विकाशखंड की तीन पंचायत हरदी सांड, बनया और रिठुवा में मनरेगा के कार्य में लगे मजदूरों की मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ बल्कि इन पंचायतो के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायको की मिली भगत से मजदूरों का वेतन खुद के हस्ताक्षर से फर्जी तरीके से आहरण कर लिया गया । जिसकी शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता ए.एन.पाण्डेय ने लोकपाल से की थी।

बहरहाल सरगुजा जिले में मनरेगा में घोटाले की शिकायत कोई नई बात नहीं है यहाँ मनरेगा के लगभग हर काम में गड़बड़ी है लेकिन कार्यवाही की जगह जिला प्रशासन को सरकारों के द्वारा एक्सीलेंसी अवार्ड दिया जाना लोगो के गले से नीचे नहीं उतर रहा है। लिहाजा इस मामले में लोकपाल ने तो जांच में दोष पाया है लेकिन क्या उच्च अधिकारी कार्यवाही करेंगे या ठन्डे बसते में जाएगा यह मामला।

ए.एन.पाण्डेय…..सामजिक कार्यकर्ता

शिकायतकर्ता ने बताया की इन पंचायतो में सरपंच सचिव और रोजगार सहायक के द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार किया जा रहा था जिसकी शिकायत एक वर्ष पहली ही लोकपाल के समक्ष की गई थी।  जिस पर लोकपाल महोदय ने जांच की है। इन्होने यह भी बाताया की इन पंचायतो के पास कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है फर्जी तरीके से मजदूरों की राशी आहरण की है है जो पूरी तरह विधि विपरीत है। श्री पाण्डेय ने दोषियों पर शख्त कार्यावाही की मांग की है।

मनोज पाण्डेय…लोकपाल सरगुजा

वही इस मामले की जांच कर चुके लोकपाल ने बताया की तीनो ग्राम पंचायतो की जांच की गई है। जिसमे मजदूरी भुगतान व रोड निर्माण की जांच की गई जिसमे दोष पाया गया है और लोकपाल ने प्रतिवेदन उच्चाधिकारियों को सौंप दिया है। वही लोकपाल की जाँच के आधार पर दोषियों पर कार्यवाही होना तय है।

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