बोल पाती तो जरूर पूंछती.. क्या मजबूरी थी कि पैदा होने के आठ महीने बाद मुझे आपने ट्रेन मे छोड दिया…. ट्रेन मे मिली लावारिस बेटी का दर्द…

कोरिया : हर बार जब अपनी किस्मत से कोई लावारिस बच्चा कहीं पर जिंदा मिल जाता है तो समाज मे तरह तरह की बातें होती है और उन बातों की गुंज गुम होने से पहले ही वो बच्चा अनाथ कहा जाने लगता है और फिर उसे समाज के अच्छे लोग किसी अनाथ आश्रम या प्रशासन के हवाले कर देते हैं.. लेकिन अवैध संबंध या मजबूर परिस्थिति मे पैदा वैध संतान आखिर कब तक अनाथ या लावारिस कहलाती रहेगी ये सवाल हर कोमल ह्रदय व्यक्ति के मन मे लोटता रहता है.. ऐसा ही एक मामला आज छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ मे सामने आया है.. जहां ट्रेन के भीतर तकरीबन 8 माह का बच्चा लावारिस हालत मे पाया गया है…

दरअसल दिन को तकलीफ देने वाला मामला मनेनद्रगढ मे उस वक्त सामने आया जब रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (rpf) के जवान चंदिया चिरमिरी ट्रेन में सर्चिंग कर रहे थे.. और उन्हे ट्रेन के भीतर के सीट के पास से 8 माह का शिशु मिला.. जिसे फोर्स की टीम ने बडी हिफाजत से बाहर निकाला और अब उसे प्रशासनिक मदद से जिला मुख्यालय बैंकुठपुर स्थित चाइल्ड केयर को सौपने की प्रक्रिया की जा रही है…

लेकिन फिर एक सवाल कि आखिर समाज की ये ह्रदयविदारक बुराई आखिर कब खत्म होगी.. कब हमारे समाज के लोग खुद ऐसे घिनौने कृत्य से बरी होंगे.. फिलहाल आठ माह की बच्ची किसकी है और वो कौन सी बात है जिसकी वजह से किसी ने इस बच्ची को ट्रेन मे छोडना मुनासिब समझा इस बात का पता नहीं चल पाया है..