एक ऐसा गांव जंहा पंहुचने में लगते है 3 दिन : डि़जिटल हो गया इण्डिया

सुनिए सरकार………….. एक गांव कांटो भी है

  • बीच जंगल में सरकारी योजनाओं से कोसो दूर स्थित है ग्राम कांटोkanto village 2
  • राशन लाने के लिए 100 किलोमीटर की करनी पड़ती है यात्रा,3 दिन में पहुच पाते है ब्लाक मुख्यालय
  • शिक्षा का अधिकार बना दिखावा, यहां पर आज तक नही खुल पाया स्कूल 

कोरिया (सोनहत से राजन पाण्डेय सोनहत)
विकासखंड मुख्यालय सोनहत से लगभग 100 किलोमीटर दूर सघन वनों के बीच स्थित ग्राम कांटो जो की आजादी बाद से अभी तक उपेक्षा का दंश झेल रहा है। वहीं विकास के मददेनजर शासन प्रशासन की नजर अभी तक इस ग्राम में नही पड़ पाई है। आलम है की ग्राम वासी लंबे समय से उपेक्षा का दंश झेलते हुए अब अपनी नियति को कोसने लगे है। रविवार को पत्रकारों की टीम ने ग्राम कांटों का जायजा लिया तो वहां के हालात बद से बदतर नजर आए । ग्राम कांटो निवासी महिला कविता यादव के अलावा कांता प्रसाद गुलाब यादव जिरजोधन यादव एवं अन्य ने जानकारी देते हुए बताया की ग्राम कांटो भले ही सोनहत विकासखंड में स्थित है लेकिन पंचायत सचिव को छोड़ कर कोई भी अधिकारी कर्मचारी यहां पर नही आते है। साथ ही उन्होने बताया की ग्राम स्तर पर सड़क की स्थिती अत्यंत जर्जर है पहांड़ों पर बनी पगडंडियों एवं पथरीले चटटानों के बीच लबें समय से किसी तरह अवाजाही कर रहे है साथ ही ग्राम स्तर पर पुल पुलिया का व्यापक स्तर पर आभाव है।
पशुपालन है जिविका का आधार
ग्रामीण महिला कविता कांता प्रसाद एवं अन्य ने जानकारी देते हुए बताया की ग्राम स्तर पर बच्चे एवं बड़े मिलाकर लगभग 22 लोग निवास करते है जिनके जिविका का आधार कृषि एवं पशु पालन है आगे बताया की ग्राम के अधिकांश पुरूष जंगल में ही रहते है और पशुओं का पालन पोषण करते है और महीने कभी कभार ही ग्राम आते है दूध खोवा एवं घी बेच कर अपना भरण पोषण करते है । साथ ही बताया की पानी के आभाव के कारण कृषि कार्य भी अच्छे से नही हो पाता है लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत आनाज उगाते है जिससे उनका गुजर बसर हो सके।

handpump
खराब पडा हैण्डपंप

कोसों दूर तक नही है स्कूल
ग्रामीणों ने बताया की ग्राम स्तर पर आज तक स्कूल नही खुल सका है इस लिए यहां के बच्चे पढ नही पाते है एक आंगन बाड़ी जरूर स्वीकृत हुआ है लेकिन भवन नही बन सका है कच्चे के मकान में किसी तरह आंगन बाड़ी चल रहा है लेकिन समुह वाले समय पर यहां तक रेडी टू ईट नही पहुचा पाते है साथ ही मध्यान भोजन भी भगवान भरोषे ही संचालित है ऐसे में बच्चों का आगे भविष्य क्या होगा यह सोच कर भारी चिंता है।
राशन लेने 100 किलोमीटर का सफर
कांटो के ग्राम जनों ने बताया की उनका पंचायत बंशीपुर पड़ता है जो की ग्राम कांटो से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है ऐसे में उन्हे राशन लाने के लिए आना जाना मिलाकर 100 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है इस कारण वहां के लोग हर महीने राशन लेने नही जा पाते है। उन्होने बताया की कंधे पर राशन ढो कर लाना पड़ता है और दूरी अधिक है इस लिए ज्यादा राशन नही ला पाते है। कभी कभी तो आधे राशन को बीच जंगल में ही छोड़ कर आ जाते है और फिर दूसरे दिन उसे लेने फिर जंगल जाते है।
यहां योजनांए बनी दिखावा
ग्राम कांटो में सरकारी योजनाएं खुद बीमार नजर आने लगी है आलम है की शिक्षा का अधिकार, रोजगार गारंटी, इंदिरा आवास, के सी सी ,सड़क, सौर उर्जा आदी योजनाओं एवं सुविधाओं का नामो निशान नही है शासन के तरफ से एक हैंड पंप जरूर लगाया गया है लेकिन वह लंबे समय से खराब है जिसके वजह से ग्राम वासीयों को पानी लेने लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित नदी में जाना पड़ता है हलाकी ग्रामीणों ने बताया की 1 किलोमीटर दूर में भी एक प्रकृतिक ढोढी है लेकिन उसका गंदा पानी पीने से बीमार पड़ जाते है इस लिए 5 किलोमीटर दूर नदी में जाना पड़ता है।

जनप्रतिनिधियों को सुनाई व्यथा
ग्राम कांटो का दौरा करने गए सोनहत क्षेत्र के जनप्रतिनिधी पुष्पेन्द्र राजवाड़े लव प्रताप सिह एवं अजय कुमार को कांटो के लोगों ने अपनी व्यथा सुनाते हुए विस्थापन कराए जाने की मांग किया ग्रामीणों ने बताया की चुनाव के समय विकास की बात कह कर लोग बाद में भूल जाते है। उन्होने कहा की या तो कांटो में विकास कार्य कराया जावे या फिर हमारा विस्थापन हमारे ग्राम पंचायत मुख्यालय बंशीपुर के नजदीक कही भी आस पास कर दिया जावे ताकी लोगों को शिक्षा स्वास्थ्य एवं अन्य योजनाओं का लाभ मिले सके

बरसात में संपर्क कट जाता है।
बरसात के दिनों में पहांड़ो से पानी का रिसाव होने एवं कई स्थानों पर पुल पुलिया का आभाव होने के कारण ब्लाक मुख्यालय से सपर्क पूरी तरीके से कट जाता है उक्त स्थिती में कोई चाहे भी तो वहां तक नही पहुच सकता है । बरसात के दिनों में वो ज्यादातर मनेन्द्रगढ ब्लाक के केल्हारी ग्राम पर ही आश्रित रहते है। साथ ही वर्तमान समय में भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए केल्हारी ग्राम का सहारा लेते है।

दूसरे ब्लाक से रास्ता
ग्राम कांटों जाने का रास्ता भी बेहद अटपटा है पहले सोनहत के ग्राम पंचायत बंशीपुर से ग्राम निगनोहर एवं कचोहर जाने के बाद मनेन्द्रगढ वनमंडल के बिहारपुर वन परिक्षेत्र के वनमार्ग होते हुए जटाशंकर तिराहा पहुचने के बाद कांटों जाने का मार्ग मिलता है।

इनका कहना है।kato village in korea
पुष्पेन्द्र राजवाड़े सामाजिक कार्यकर्ता सोनहत हम लोगों ने रविवार को ग्राम कांटों का दौरा किया था वहां के हालात बेहद खराब है वहां पर सरकारी योजनाओं ने दम तोड़ दिया है। ग्राम वासी किस कदर जीवन यापन कर रहे है यह बयां करने के लिए शब्द कम पड़ जावेंगे ग्राम वासीयों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने एवं उनकी मांगों के संबंध में प्रशासनिक अधिकारीयों को विस्तार पुर्वक अवगत कराया जावेगा

लव प्रताप सिह ब्लाक महांमंत्री कांग्रेस सोनहत प्रशासनिक उपेक्षा के कारण कांटो के ग्राम वासीयों की हालत बेहद खराब है। वहां पर शासन के योजनाओं का बेहतर क्रियान्वन होने पर ही कुछ हो पाएगा अन्यथा उक्त ग्रामीणों के बीच में योजनाओं का क्रियान्वयन कराने के लिए उनका विस्थापन ही एक विकल्प है

धन सिह सचिव ग्राम पंचायत बंशीपुर रास्ता बेहद खराब होने के कारण परेशानी होती है। कुछ दिवस पुर्व मैं स्वयं कांटो गया था और वहां रूक कर मैने उक्त ग्राम में शौचालय निर्माण करवाया है।