अपनी परम्परा और प्रकृति को जिंदा रखने आदिवासियों ने जलाए सैकड़ों दीपक.. धरना स्थल पर ही मनाया दीपावली, पढ़िए पूरी ख़बर!

अम्बिकापुर..(उदयपुर/क्रांति रावत)..एक ओर जहां पूरा देश में लोग अपने-अपने घरों में दीपावली का त्यौहार मना रहे थे. वही 20 गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रकृति की रक्षा के लिए जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए विगत 15 दिनों से जारी धरना प्रदर्शन स्थल पर ही दीपक जलाकर दिवाली का त्यौहार मनाया. धरना प्रदर्शन की शुरुआत सूरजपुर जिले के ग्राम तारा में की गई, एसडीएम की अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए सरपंच द्वारा धरना स्थल बदलने के नोटिस दिए जाने के बाद आंदोलनकारी आदिवासी परिवार के लोग का धरना प्रदर्शन सरगुजा जिले के परसा कोल ब्लॉक के प्रभावित ग्राम फतेहपुर में लगातार जारी है.. पहले दिन से ही लोग अपनी जमीनों को कोल खदान के लिए नहीं देने का संकल्प लिए हुए हैं और उस पर अडिग है.. ग्रामीणों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में आदिवासी व अन्य ग्रामीण उपस्थित होकर कोल खदान के विरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं परंतु आज तक ना तो किसी जनप्रतिनिधि ना किसी जिम्मेदार अधिकारी और ना ही शासन के किसी नुमाइंदे ने इन आंदोलनकारियों की सुध ली है.. इनकी मांग क्या है और आखिर क्यों यह लोग धरना प्रदर्शन पर उतारू हैं ग्रामीणों की सुनने वाला कोई नहीं है..

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले कोल खदान से प्रभावित होने वाले २० गांव के लोगों द्वारा धरना स्थल पर ही पारंपारिक “करमा नृत्य” का भी आयोजन किया गया । प्रदर्शन कारियों का कहना है कि पीढ़ियों से निवासरत जमीन में लाखों की संख्या में इमारती, औषधीय पेड़ पौधे दर्जनों प्रकार के वन्य प्राणी, जलीय जीव, आदिवासियों के देवस्थल ,देवगुड़ी , सरई, साजा, करमी, भरही, चिल्ही, भेलवा, हर्रा, महुआ आदि जो आदिवासियों के पूजनीय वृक्ष है को सहेज कर सैकड़ों साल से रखा गया है.. वह सब कोयला खदान खुलने से समूल नष्ट हो जाएंगे दर्जनों प्रकार के फूल फल व छायादार वृक्ष कट जाएंगे वह भी लाखों की संख्या में, नदी नाले झरने सब सुख जाएंगे जिससे आसपास ही नही पूरे प्रदेश के लोगों को भीषण जल संकट और गर्मी का सामना करना पड़ेगा। आम जनता की परेशानी को एसी में बैठने वाले लोग नही समझ सकते। इस लिए प्रभावित गांव के लोग मिलकर प्रकृति की रक्षा का संकल्प लिए तथा एक साथ १०० दिया जलाए..

गौरतलब है इनमे पहला दीपक – ग्राम देवी डिहारीन दाईं के नाम से संगठन की एकता के प्रतीक स्वरूप. दूसरा दीपक- गांव के शिवरिहा देवता के नाम से जो की गांव के रक्षा के प्रतीक हैं.. तीसरा दीपक-ठाकुर देवता के नाम से जो सत्य ,अहिंसा व न्याय के प्रति सजग व अन्याय के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक स्वरूप.. चौथा दीपक- आदि शक्ति,प्रकृति शक्ति,बड़ा देव के नाम ~जल ,जंगल,जमीन,पर्यावरण के प्रतीकात्मक दिया जलाया गया। पांचवां दीपक – गौरी गौरा के नाम जो प्रकृति के समस्त जीवों के रक्षा के प्रतीक हैं..

धरना प्रदर्शन में फत्तेहपुर घाटबर्रा, परोगिया, सैदू,सुसकम, हरिहरपुर, साल्ही, ठिर्रीआमा,गिद्धमुड़ी,पतुरियाडांड,मदनपुर,पुटा, मोरगा,धज़ाक,उचलेंगा, खिरटी, केतमा, पुटा, चारपारा,परसा, अरसियाँ, जामपानी सहित २दर्जन से भी अधिक गांव के लोग सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन शामिल हो रहे हैं.