हिंदी माध्यम के बच्चो को अंग्रेजी मे परोसा गया पेपर.. बहिष्कार के बाद फिर से परीक्षा कराने की मांग..

अम्बिकापुर. अपनी व्यवस्थाओ को लेकर आय दिन चर्चा मे रहने वाले सरगुजा विश्वविद्यालय एक बार अपनी बदइंडतजामी को लेकर चर्चा मे आ गया है. जिसको लेकर लेकर अम्बिकापुर के पीजी कालेज मे आज विद्यार्थियो ने प्रबंधन के खिलाफ जमकर हल्ला बोला.. मामला हिंदी माध्यम के छात्र छात्राओ को अंग्रेजी के प्रश्न पत्र देने का है. जिसके बाद नाराज विद्यार्थियो ने परीक्षा का बहिष्कार कर दिया है..और नए तारीख का एलान कर फिर से परीक्षा कराने की मांग की है.

अम्बिकापुर मे स्थित संत गहिरा गुरु शासकीय विश्वविद्यालय मे व्याप्त बदइंतजामी छात्र छात्राओ के आय दिन मुसीबत का सबब बनी रहती है. आदिवासी बाहुल्य इलाके मे स्थापित.. ये विश्वविद्यालय वैसे तो शिक्षा की बेहतरी और कालेजी छात्रो की बेहतरी के लिए खोला गया था.. लेकिन यहां के गैर अनुभवी स्टाफ की वजह से ये विश्वविद्यालय हमेशा छात्र छात्राओ की नाराजगी का केन्द्र बना रहता है. इस बार भी मामला छात्र छात्राओ के स्वाभाविक आक्रोश का है ..और ये आक्रोश पनपे भी क्यो ना ? दरअसल सोमवार की सुबह शहर के पीजी कालेज मे एलएलएम के फस्ट सेमेस्टर की परीक्षा थी. लिहाजा इस विभाग के छात्र छात्राएं परीक्षा देने के लिए एक्जाम हॉल मे पहुंचे. तो हिंदी विषय मे पढाई कर रहे छात्रो को अंग्रेजी माध्यम का प्रश्न पत्र परोस दिया गया. फिर क्या था करीब एक घंटे तक परीक्षा हॉल मे हिंदी का प्रश्न पत्र आने का इंतजार के बाद छात्र छात्राएं संविधान विषय के पेपर का बहिष्कार कर दिया.

सोमवार को एलएलएम के संविधान विषय के पेपर मे विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा की गई लापरवाही की वजह से कानून की उच्च स्तरीय पढाई कर रहे छात्र छात्राएं परीक्षा से वंचित रह गए. इसलिए पेपर का बहिष्कार निकले छात्र छात्राओ ने पीजी कालेज के प्राचार्य से इस मामले की शिकायत की और साथ ही ये मांग की सविंधान विषय का पेपर फिर से नई तारीख मे कराया जाए. जिस पर शासकीय पीजी कालेज के प्राचार्य डॉ एस के त्रिपाठी ने छात्राओ की मांग को विश्वविद्यालय प्रबंधन तक पहुंचाने की बात कही है ..लेकिन हिंदी माध्मय से पढाई कर रहे छात्र छात्राओ को अंग्रेजी माध्यम का पेपर देने के मामले मे खुद प्राचार्य ये नही समझ पा रहे है कि इतनी बडी त्रुटि किस लेबल पर हुई है ..हांलाकि कालेजी छात्रो की मांग को यूनिवर्सिटी भेजने के बाद क्या निर्णय होगा.. इस पर भी प्राचार्य महोदय साफ साफ नही कह पा रहे है कि विश्वविद्यालय इस संबध मे क्या निर्णय लेगा.

सरगुजा विश्वविद्यालय स्तर का ये पहला मामला नहीं है जब प्रबंधन की लापरवाही की खामियाजा छात्र छात्राओ को उठाना पडा हो. बहरहाल अब देखना है कि इस नाईंसाफी मे छात्र छात्राओ को फिर से परीक्षा वाला न्याय मिलता है ..या फिर इस विषय मे इनको फेल कर दिया जाता है.

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