पुत्र मोह में आकर सूदखोर के चंगुल में फंसा था व्यवसायी परिवार

  • परिवार के मिलने के बाद हुआ खुलासा, और कई लोगों से लिया है कर्ज

अम्बिकापुर

पुत्र मोह में पड़कर उसे हर चीज की छूट देने व उसके हाथों में लाखो रूपये थमा देने का खामियाजा व्यवसायी परिवार को भुगतना पड़ा। आज व्यवसायी परिवार के मिलने के बाद कोतवाली में नगर पुलिस अधीक्षक के सामने यह खुलासा हुआ। व्यवसायी परिवार की यह गलती थी कि माता-पिता दोनों ने अपने पुत्र को जरूरत से ज्यादा छूट दे दी थी। पुत्र द्वारा लाखों रूपये सूद पर लेने-देने का काम किया जाता रहा और धीरे-धीरे पूरा परिवार कर्ज में डूब गया। इसी वजह से नौबत यहा तक आ गई कि कर्ज दारों के बार बार घर में आने से उनका घर से निकलना दुभर हो गया और अंततः पूरे परिवार को शहर छोड़ कर भागना पड़ा। यह रणनीति भी उसी पुत्र ने रची थी जो परिवार को कर्च के तले दबा दिया था। इस पूरे मामले में पिता की भूमिका ऐसी है कि तीन साल से पुत्र अपनी मनमानी करता रहा और पिता को इसकी भनक तक नहीं थी। पुत्र का मोह इस कदर माता-पिता पर हावी हो गया था कि दोनों उसकी हर बात मानते थे और उसकी के कहने पर माता पिता शहर छोड़ने तक का फैसला ले लिया। पुलिस व लोगों को गुमराह करने के लिए व्यवसायी पुत्र द्वारा पत्र व सीडी घर में छोड़ कर गया हुआ था। पत्र में आत्महत्या करने का उल्लेख के बारे में माता पिता तक को मामूल नहीं था। यही नहीं व्यवसायी पुत्र द्वारा और कई लोगों से सूद पर पैसे लिये गये थे।

जानकारी के अनुसार नगर के बिही बाड़ी के समीप रहने वाले व्यवसायी सुशील गुप्ता अपनी धर्म पत्नी रमा गुप्ता व पुत्र प्रिंस गुप्ता के साथ रहस्यमय ढ़ंग से 2 मार्च से लापता थे। परिवार ने अपने रिश्तेदारों को वैष्णव देवी धाम जाने की जानकारी दी थी। 3 मार्च को पूरा परिवार बिलासपुर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही पुत्री से मुलाकात कर उसे भी वैष्णव देवी जाने व 10-15 दिन में वापस लौटने के बात कहकर वहां से चले गये थे। पुलिस के हाथ लगे व्यवसायी परिवार के पुत्र ने आज कोतवाली में नगर पुलिस अधीक्षक के समझ बताया कि मई 2014 में बरेजपारा निवासी अजय अग्रवाल से परिजनों को बिना बताये उससे दुकान में हुये घाटा को दुरूस्त करने के लिए कर्ज के तौर पर 15 प्रतिशत ब्याज पर  1 लाख रूपये लिये थे। जिसके बाद सूदखोर द्वारा अपनी रकम लौटाने के लिए उसके दुकान में हर वक्त पहुंच जाता और पैसा वापस नहीं करने पर मारपीट व परिवार धमकी देने लगा। जिससे परेशान होकर व्यवसायी पुत्र ने घटना की जानकारी अपनी मां को दी। जिससे डर कर उसकी मां ने उसके साथ कोर्ट में जाकर एक अनुबंध को बिना पढे ही उसमें हस्ताक्षर कर दिया। फर्जी रूप से किये गये एग्रीमेन्ट में सूदखोर ने उनके मकान को गारंटी के तौर पर लिखवा लिया था। इससे पूर्व ही व्यवसायी परिवार ने पुत्र के कर्ज चुकाने के लिए अपने मकान को कुवंर बस संचालक अखिलेश प्रताप सिंह से 1 करोड़ 1 लाख में सौदा तय कर अनुबंध व एड़वास के तौर पर लगभग 36 लाख रूपये भी ले लिये थे। जिसे पुत्र ने अपने कर्ज चुकाने के लिए पिता लेता गया और धीरे उनके पास रखी रकम भी खत्म हो गई। इस बीच सूदखोर उनके साथ किये अनुबंध के माध्यम से 1 लाख की जगह 1 करोड़ की मांग करने लगा। जिससे पूरा परिवार परेशान रहने लगा। इसी बात को लेकर विगत 2 मार्च को पूरा परिवार शहर छोड़कर बिलासपुर अपनी पुत्री के पास गये जहां से वे वैष्णवदेवी जाने की बात कहकर चले गये लेकिन वे वैष्णदेवी जाने के बजाय ट्रेन से टाटा नगर गये और वहां दो घंटे रहने के बाद आसन सोर चले गये जहां से पूरा परिवार शिरड़ी पहुंचे वहा भी दो दिन रहे और अंततः नागपुर क्षेत्र से लगभग 30 किमी दूर पुराने देवी मंदिर के प्रसिद्ध ग्राम कोराड़ी पहुंचे और धर्मशाला में रह रहे थे।