गंगा की मिट्टी से देते है मूर्तिकार मूर्ती को मूर्त रुप..!

अम्बिकापुर

गणेश पूजा के मद्देनजर नगर मे मूर्तीकार गणेश प्रतिमाओ को अंतिम रुप दे रहे है प्रशासन के आदेश के बाद इस बार मूर्तिया की उंचाई 5-6 फिट तक ही रखी गई है। इसके बावजूद कुछ समितियो के विशेष मांग पर मूर्तीकारण लुक छिप कर 10 से 20 फिट तक उंची प्रतिमाए बना रहे है। इन मूर्तियो को बनाने मे खासबात ये है कि मूर्तियो को गंगा की मिट्टी के बिना मूर्त रुप नही दिया जा सकता है।

प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी नगर सहित पूरे क्षेत्र मे गणेश पूजा की धूम रहेगी। जिसके तहत नगर काली बाडी, गांधीनगर मैदान, भगवानपुर जैसे क्षेत्रो मे मूर्तीकार हजारो की संख्या मे गणेश प्रतिमाओ को बनाने मे जुट गए है। अधिकांश प्रतिमाओ को अंतिम रुप दिया जा रहा है। इस संबध मे देवीगंज रोड स्थित काली बाडी के प्रमुख मूर्तीकार सचिन मण्डल ने पायनियर से चर्चा करते के दौरान बताया कि बदलते समय के साथ खासकर गणेश पूजा मे मूर्तियो की मांग बढ गई है। उन्होने बताया कि प्रतिमाओ को अंतिम रुप दिया जा रहा है। प्रतिमा बनाने के संबध मे श्री मण्डल ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण कार्य प्रतिमाओ को मूर्त रुप देने होता है। जो कि गंगा की मिट्टी के बिना संभव नही है। इसलिए बंगाल से गंगा की मिट्टी लाई जाती है। जिस मिट्टी से ही प्रतिमा के चेहरे और अंगो को मूर्त रुप दिया जाता है। दरअसल गंगा की मिट्टी इतनी चिकनी होती है कि मूर्तीकार किसी भी मूर्ती के चेहरे औऱ अंगो का बनाने मे सहुलियत मिलती है , इसके अलावा प्रतिमाओ को सजाने के लिए श्रंगार का सामान कलकत्ता से लाया जाता है। जबकि कपडा सूरत से मंगाया जाता है।

मूर्तीकारण सचिन मण्डल ने बताया कि इस बार जिला प्रशासन ने मूर्तियो की उंचाई के लिए एक विशेष निर्देश जारी किए है जिसके अनुसार प्रतिमा की ऊंचाई 5-6 फिट तक ही रखी जाएगी। लेकिन नगर की बडी सार्वजनिक समितियो की मांग पर कुछ मूर्तीकार बडी मूर्ती बना रहे है। उन्होने बताया कि बढती मंहगाई के साथ मूर्ती की कीमत 700 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक है।