CG- बारिश की बेरुखी से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें, लगातार बढ़ते तापमान से मुरझा रही धान की नर्सरी व फसल

Surajpur News: मानसून की बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है और उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ तौर पर दिखाई देने लगी है. बारिश न होने व आसमान से आग बरसने से खेती किसानी पर प्रतिकूल प्रभाव दिखने लगा है. खेतों में लगे धान के नर्सरी को लेकर भी किसान चिंतित हैं. तापमान में लगातार वृद्धि होने से धान के नर्सरी भी झुलस रहे है. जिसे किसान बचाने के लिए किसी तरह ट्यूबवेल के माध्यम से पानी की व्यवस्था कर बार-बार सिंचाई कर रहे है. यदि ऐसा ही मौसम रहा तो धान की रोपाई पिछड़ सकती है. इसका असर धान के उत्पादन पर भी पड़ेगा.

सूरजपुर जिले के सूरजपुर, प्रतापपुर, रामानुजनगर, प्रेमनगर, ओड़गी, भैयाथान सहित लगभग सभी जगहों पर धान की रोपाई अभी तक महज 10-15 फीसदी ही हो सकी है. जबकि 85-90 फीसदी रोपाई अभी तक नहीं हो पाई है. हालांकि, कई किसान जिनके पास पानी के साधन उपलब्ध हैं वे रोपाई के कार्य में जुटे हुए हैं, लेकिन भूमि में नमीं नहीं होने के कारण खेतों में पानी लबालब भरने में काफी समय लग रहा है. इसके साथ ही पानी बहुत जल्दी सुख भी जा रहा है. जिससे किसान लगातार खेती में पिछड़ रहे हैं और उत्पादन प्रभावित हो रहा है.

वहीं, जिले के कई किसानों का कहना कि, अभी तक उन्होंने धान के रोपाई की बोहनी भी नहीं की है और नर्सरी नष्ट होने की कगार पर है. कई किसान तो यह भी बता रहे हैं उन्होंने अपने खेतों में जो ब्रांडेड हाईब्रीड धान का नर्सरी तैयार करने के लिए धान की रोपाई किए थे, बारिश न होने के कारण अंकुरित भी नही हो पाया. जिसके कारण उन्हें आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ रही है. बहरहाल किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं और इसके लिए वे अखण्ड रामायण पाठ के साथ विधि-विधान से पूजा-अर्चना भी कर रहे हैं. ताकि इन्द्रदेव जल्द बारिश करें और वे खेती-बाड़ी के कार्य में जुट सकें.

किसान बेसब्री से कर रहे झमाझम बारिश का इंतजार

जिले के किसान झमाझम बारिश का इंतजार पिछले कई दिनों से कर रहे हैं. ताकि वे खेतों में रोपाई का काम शुरू कर सकें. किसानों का कहना है कि संभवतः यह पहला ऐसा साल है जब लगभग पूरा सावन गुजर जाने के बाद भी खेतों में लबालब पानी नहीं भर पाया है, जिसके कारण धरती माता की प्यास नहीं बुझी है. उनका यह भी कहना है कि पिछले वर्षों के बारिश का आंकड़ा देखें तो सावन के मौसम में झमाझम बारिश होती है. भले ही खेती होने के बाद बारिश कम होती है. ऐसी स्थिति में तालाब, पोखर, कुंआ सहित अन्य जगहों पर पानी भरा रहता है और वे धान की फसल में पानी डाल देते थे. लेकिन इस वर्ष तो बारिश ही नहीं हुई है.

बांध व नहर के साथ विद्युत व्यवस्था चौपट

जिले में तालाबों व नहरों की दयनीय स्थिति होने के कारण उनमें कभी भी पूरे साल भर पानी नहीं ठहरता है. वहीं इस वर्ष मानसून के देर से आने के कारण वे पूरी तरह से लबालब भरे भी नहीं है. कहीं-कहीं पानी की सुविधा उपलब्ध तो है, लेकिन बदहाल विद्युत व्यवस्था के कारण खेती का कार्य प्रभावित हो रहा है. जिले में लचर विद्युत व्यवस्था और आए दिन बिजली की आंख-मिचौली के कारण किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है विद्युत विभाग हर आधे घण्टे में बिजली गुल कर देती है. जिसके कारण कई किसानों के पास सिंचाई के साधन उपलब्ध होने के बावजूद वे सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. पूरे जिले में बांधों और नहरों की बदहाल स्थिति किसानों की जरूरतों को कितना पूरा करेंगे, इसे लेकर सभी सशंकित नजर आ रहे हैं.

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