Chhattisgarh News: बगैर जाति प्रमाण पत्र के बन गया आरक्षित सीट से सरपंच… मचा हंगामा तो प्रशासन की खुली नींद..

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..जिले के ग्राम जमुआटांड के सरपंच द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जाति प्रमाण पत्र के स्थान पर जाति के सम्बंध में शपथ पत्र देकर चुनाव लड़ने व चुनाव जीत ने के बाद निर्वाचन कार्यालय में जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नही करने का मामला सामने आया है..वही सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत हुए इस खुलासे के बाद ग्रामीणों ने सरपंच के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए एसडीएम समेत जिला निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है।

गौरतलब है कि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दो वर्ष पहले हुआ था..और हाल ही में पंचायत उप चुनाव सम्पन्न हुए है..लेकिन सूचना के अधिकार के तहत एक नया खुलासा हुआ है..जिसमे अनुसूचित जाति जनजाति के लिए आरक्षित सरपंच के पद पर बगैर जाति प्रमाण पत्र के चुनाव लड़ने तथा चुनाव जीतने के बाद भी निर्वाचन कार्यालय में जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नही गई है।

बता दे कि बलरामपुर ब्लाक के ग्राम जमुआटांड से सरपंच है अशोक सिंह.. और अशोक सिह के द्वारा अपने नाम निर्देशन पत्र जमा करने के दौरान जाति के सम्बंध में शपथ पत्र देकर चुनाव मैदान में रहे है..लेकिन चुनाव जीतने के बाद अशोक सिह ने निर्वाचन कार्यालय में अपने जाति से सम्बन्धी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नही की है.

जानकर सूत्रों की माने तो चुनाव जीतने के बाद अभ्यर्थी को अपने जाति से सम्बंधित दस्तावेज निर्वाचन कार्यालय में जमा करनी थी..और सम्बंधित दस्तावेज उपलब्ध नही करने के स्थिति में चुनाव शून्य भी घोषित किया जा सकता है!..हालांकि की नामनिर्देशन पत्रों को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान अभ्यर्थियों के द्वारा नामनिर्देशन पत्रों के साथ जमा किये गए दस्तावेजो को सार्वजनिक कर दावा आपत्ति का समय दिया जाता है..

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सम्पन्न हुए दो वर्ष बीत चुके है..और अब जब मामले तह सतह पर आयी है ..तब एसडीएम बलरामपुर भरत कौशिक का कहना है..की जमुआटांड के सरपंच के जाति के सम्बंध में उन्हें ग्रामीणों द्वारा शिकायत मिली है..व सरपंच से इस सम्बंध में पत्राचार कर उनके जाति सम्बन्धी दस्तावेज मंगाए जाएंगे..

सरपंच के द्वारा आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने और चुनाव जीतने के बाद जाति सम्बन्धी दस्तावेज निर्वाचन कार्यालय में जमा नही कराया जाना एक गंभीर विषय है..और यह सब स्थानीय निर्वाचन की लापरवाही के चलते ही सम्भव हो पाया है..और रही बात तो इस मामले का खुलासा सूचना के अधिकार से ही सम्भव हो पाया है.. देखने वाली बात है कि जिले में कितने ऐसे ग्राम पंचायत है..जहाँ के सरपंचों ने अपने जाति सम्बन्धी प्रमाण निर्वाचन में प्रस्तुत नही किए है..यह जांच का विषय है।