ODF के बहाने बकरा-मुर्गा… सरकारी खजाने को चूना.. सवाल 34 हजार 5 सौ रुपए का?

बलरामपुर..कलेक्टर जनदर्शन में आज एक ऐसा शिकायत भी कलेक्टर के संज्ञान में लाया गया। जिसे देखकर खुद कलेक्टर रिमिजियूस एक्का भी हैरान दिखे..और पंचायत विभाग से सम्बंधित उक्त शिकायत को जांच के लिए जिला पंचायत के सुपुर्द कर दिया हैं।

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दरअसल, बलरामपुर जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम भेलवाडीह से पहुँचे कुछ ग्रामीणों ने बताया कि, तत्कालीन सरपंच-सचिव ने साल 2017 में ओडीएफ के समय बकरा, मुर्गा, दाल, चाँवल के नामपर चौतीस हजार पांच सौ रुपये का आहरण किया हैं। अब सवाल यह हैं कि, ओडीएफ घोषित करने से पहले स्वच्छ भारत मिशन के अधिकारियों की टीम गांव-गांव पहुँचती थी..और निरीक्षण करती थी कि, गांव में स्वीकृत शौचालयों का निर्माण हुआ हैं या नही। जिसके बाद उन गांवों को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) का दर्जा दिया जाता था..और ठीक ऐसा ही निरीक्षण करने अफसरों की टीम गांव पहुँची थी..और अनुमान लगाया जा रहा हैं कि, टीम के स्वागत सत्कार के खर्च का ब्यौरा चमत्कार की तरह नजर आ रहा हैं।

जानकारों की माने तो सरकारी खजाने के पैसों का इस तरह से दुरुपयोग नही किया जा सकता हैं। ऐसी स्थिति में उक्त चौतीस हजार पांच सौ रुपये के बिल को पास करने वाले सरकारी नुमाइंदों के कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया हैं। ग्रामीणों का तो यह भी आरोप हैं कि, गांव को ओडीएफ घोषित करने से पहले तत्कालीन अधिकारियों-कर्मचारियों की डिमांड भी कुछ हटकर होती थी। ऐसे में ये समझा जा सकता हैं कि, किस कदर मजबूर होकर तत्कालीन पंचायत सचिव व सरपंच ने बकरा-मुर्गा का बिल सरकारी खजाने से चुकाया।

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बता दें कि, देश मे साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही एक क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला था। हर-घर शौचालय की मुहिम चली थी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत् हितग्राहियों का चयन कर नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण कराया गया था..और ओडीएफ के नामपर वाह- वाही भी बटोरी गई थी। लेकिन, अब उसी ओडीएफ के दौरान का एक नमूना सामने आया हैं। जो हैरान कर देने वाला हैं..और जिले का एक पंचायत ऐसा भी हैं। जहाँ ओडीएफ के समय बकरा, मुर्गा, चाँवल, दाल और नाश्ते के नामपर चौतीस हजार पांच सौ का आहरण किया गया हैं।

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फिलहाल, कलेक्टर ने जांच का आश्वासन दिया हैं। लेकिन, सवाल यह हैं कि, जांच के बाद बकरा-मुर्गा डकारने वाले जिम्मेदार अफसरों पर क्या कार्यवाही होगी। जिन्होंने अपने सत्कार के लिए तत्कालीन सरपंच-सचिव को मजबूर किया होगा।

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