अम्बिकापुर..(कृष्णमोहन कुमार)..प्रदेश में इन दिनों हाथियों की एक बाद एक हो रही मौतों पर वन महकमे में हड़कम्प मच गया है.. और सप्ताहभर में हाथियों की मौत का आंकड़ा 6 हो गया है. वही हाथियों की लगातार हो रही मौतों के मामले ने वन विभाग के हाथियों के संवर्धन की योजना पर भी सवालियां निशान लगा दिया है.
दरअसल प्रदेश में हाथी विचरण क्षेत्र सरगुजा के सूरजपुर जिले से 02 मादा हाथियों की मौतों की खबर निकलकर आयी थी. जिसके बाद बलरामपुर जिले से भी एक मादा हाथी की मौत की खबरें मिली थी.. और मामले ने तूल पकड़ लिया था. राज्य शासन ने फौरी तौर पर वन महकमे में कार्यवाही कर दी. बलरामपुर डीएफओ प्रणय मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी की गई.. तथा राजपुर के एसडीओ केएस खूंटिया, राजपुर रेंजर अनिल सिह समेत दो वनकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था.. और इस कार्यवाही के पीछे की वजह मादा हाथी की मौत की सूचना लेट लतीफी से क्यो मिली इसे माना गया था.. हालांकि शोसल मीडिया में डीएफओ प्रणय मिश्रा को हटाए जाने की खबरे भी वायरल हुई थी.
वही अबतक प्रदेश में 06 हाथियों की मौत हुई है. सूरजपुर, बलरामपुर, धमतरी, धरमजयगढ़ वन मंडल के जंगलों में हुई है. राज्य सरकार हाथियों की मौतों पर मंथन में जुटी हुई है.. और हाथियों के मौतों के पीछे की पुख्ता वजह सामने नही आ पाई है. हालांकि रायगढ़ में हुई एक हाथी की मौत का कारण करंट लगने से होना बताया जा रहा है.
बता दे कि बलरामपुर के वन महकमे पर हुई कार्यवाही से वन अमले में हड़कम्प मच गया था. दिलचस्प तो यह है की हाथियों की मौत पर जो वजह बताकर कार्यवाही की गई. असल मे वह फौरी तौर पर मामले को शान्त करने के लिए लिया गया फैसला ही माना जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि बीते 11 मई को सूरजपुर वनमण्डल के प्रतापपुर रेंज में करंजवार आरएफ 36 में एक दंतैल हाथी का शव मिला था.. और हाथी के शव को देखकर यह सहज ही अनुमान लगाया गया की हाथी की मौत डेढ़ महीने पहले हुई होगी.. और हाथी का दांत भी मौके से गायब था. वन अमले ने वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हाथी के क्षत विक्षत शव का पोस्टमार्टम कराकर उसके शव को दफना दिया था.. लेकिन सवाल अब यह भी है की आखिर हाथी की दांत कहा गई.. और हाथी की मौत की सूचना मिलने में इतनी लेट लतीफी आखिर कैसे हुई? दंतैल हाथी की मौत का कारण क्या रहा होगा?
बहरहाल नर हाथी की मौत गुमनामी में कैद होकर रह गई.. और वन महकमे के सरगुजा सीसीएफ एबी मिंज कहना है कि उक्त मामले में कार्यवाही तो हुई है.. पर उन्हें पता नही है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है की जिस हाथी को बचाने राज्य सरकार लाखो रुपये खर्च कर रही है.. और उनके हर पल के लोकेशन्स का दावा वन महकमा करता है. उसी महकमे के अधिकारी हाथी की मौत पर कितने गम्भीर है.