एजुट्रेक मोबाईल एप्प ने बढ़ाया छात्रो और शिक्षको का स्तर

डिजिटल इंडिया के तहत शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा सरगुजा

सीजी एजुट्रेक मोबाईल एप्प से षिक्षक व विद्यार्थियों की उपस्थिति की होती है निगरानी

अम्बिकापुर  (क्रान्ति रावत) सरगुजा जिले में डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हुए, समस्त सरकारी विद्यालयों में, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति को अधिकतम स्तर तक ले जाने में महत्वपूर्ण सफलता अर्जित की गई है। शिक्षा विभाग द्वारा विभिन्न तौर तरीकों और नियम कायदों के बनाने के बाद भी जो अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा था वो एजुट्रेक नाम के एक साधारण से मोबाईल एप्प से संभव हो पाया है। जिसके उपयोग का खर्च लगभग न के बराबर है। यह एक अभिनव प्रयोग है स्वेच्छा से लोग इस माध्यम से जुड़ रहे और इसका लाभ मिला है। सरगुजा जिले में इसकी उपलब्धि बहुत खास है बीते षिक्षा सत्र में 1895 शालाओं के विरुद्ध 1803 शालाओं के शिक्षक एवं प्रधान पाठक को पंजीकृत कर लिया गया है, प्रतिदिन रिपोर्टिंग 1100 से बढ़कर 1400़ रही है, बच्चों की उपस्थिति का प्रतिशत नवंबर में 58 प्रतिशत से बढ़कर 71 प्रतिशत तक रहा एवं शिक्षकों की उपस्थिति का प्रतिशत 70 से 82 प्रतिषत तक हुआ है। इसके साथ ही शाला स्तर पर शिक्षकों का आपस में सकारात्मक समन्वय बढ़ा है, विभाग के अधिकतम पदाधिकारी शालाओं तक पहुंच कर शिक्षकों को सहयोग कर रहे है, वरिष्ठ शिक्षकों का आधुनिक तकनीक (मोबाईल) के उपयोग को लेकर सकारात्मक रूख देखा गया है, शिक्षकों एवं बच्चों के शाला में मौजूद रहने से सीखने सीखाने की प्रक्रियाओं में बढ़ोतरी हुई है। अभिभावकों का शासकीय शालाओं के प्रति आकर्षण एवं झुकाव बढ़ा है जिससे आने वाले दिनों और इजाफा होने की संभावना है। शिक्षा विभाग के सहयोग से चलाया जाने वाला यूनिसेफ का एजु-ट्रैक कार्यक्रम, शिक्षा के अधिकार के अधिनियम की ‘वास्तविक समय’ में समीक्षा और उसको प्रभावी ढंग से लागू करने का प्रयास है। इस प्रणाली को एंड्राइड आधारित प्रणाली पर बदलते हुए इसे पूरे प्रदेश में समस्त स्कूलों हेतु लागू किया गया है। सीजी एजुट्रेक प्रणाली प्रदेश के 46000़ स्कूलों की वास्तविक समय आधारित मानिटरिंग हेतु एक एंड्राइड मोबाईल आधारित मंच है, जिसका उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह द्वारा 20 नवम्बर 2015 को किया गया था।

एजू ट्रैक की पृष्ठभूमि

सर्वशिक्षा अभियान और यूनिसेफ के सम्मिलित प्रयास से शिक्षा के अधिकार के क्रियान्वयन की रियल टाइम निगरानी हेतु धमतरी एवं दंतेवाडा जिलों के समस्त विकासखंडों में 2360 शालाओं में पायलेट आधार पर वर्ष 2014 में लागू किया गया था। धमतरी एवं दंतेवाडा में एजुट्रेक प्रणाली के पायलेट कार्यक्रम के दौरान धमतरी एवं दंतेवाडा में एकत्रित की गई सूचना मुख्यतः शिक्षकों एवं विद्यार्थियों, दोनों की उपस्थिति के बारे में थी, जिसके प्रभाव से स्कूलों में शिक्षकों एवं बच्चों की उपस्थिति को लगभग 80प्रतिषत तक बढाया जा सका था, जो की इस प्रणाली (कार्यक्रम) की एक महत्वपूर्ण सफलता थी । सीजी एजुट्रेक कार्यक्रम वैसे तो पूरे प्रदेश में लागू किया गया है, परन्तु सरगुजा जिले में इस कार्यक्रम ने काफी तेजी से रफ््तार पकड़ते हुए शिक्षकों एवं बच्चों की उपस्थिति को काफी सकारात्मक करते हुए मार्च माह में शिक्षक 82प्रतिषत तक एवं विद्यार्थी उपस्थिति को लगभग 71प्रतिषत तक लाया गया है। इसी सफलता का अध्ययन करने 3 चरणों में विभिन्न टीम के माध्यम से 10 शालाओं का भ्रमण कर जमीनी स्तर से शिक्षकों, बच्चों एवं प्रसाशन के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के साथ चर्चा कर सरगुजा जिले में इसके प्रभाव और उपयोगिता को समझा गया। भ्रमण की गयी शालाओं में प्राथमिक स्कुल सरगवां, उच्च प्राथमिक स्कुल सरगवां, प्राथमिक स्कुल भगवानपुर , प्राथमिक स्कुल बंगालीपारा, उच्च प्राथमिक स्कुल कुल्हाड़ी, प्राथमिक स्कुल भीट्ठीकला, प्राथमिक स्कुल सुन्दरपुर, प्राथमिक स्कुल रजपुरीकला शामिल रहे। शाला भ्रमण के उपरांत, सर्किट हाउस सरगुजा के सभाकक्ष में पावर पॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से सभी साथियों के साथ इस प्रणाली के उपयोगिता और इसके, सरगुजा जिले में हो रहे परिणामों पर विस्तार से चर्चा की गई थी। सरगुजा जिले में इसकी चुनौतियां भी काफी है जिनमें मोबाईल नेटवर्क का न होना, सुदूर ग्रामीण अंचलों के शिक्षकों को इसकी उपयोगिता को लेकर प्रशिक्षण, यूजर के पास एंड्राइड फोन का न होना, नवीन शिक्षा सत्र 2017-18 का यूडायस डाटा अपडेट, शिक्षक उपस्थिति और विद्यार्थी उपस्थिति के अलावा नवीन सूचकांकों को लिया जाना, प्रतिदिन एक से ज्यादा बार शाला से इसकी रिपोर्टिंग करवाना शामिल है।
सर्व शिक्षा अभियान, शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन एवं यूनिसेफ की मदद से विकसित यह प्रणाली नवीनतम डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हुए वास्तविक समय एवं स्थान आधारित शालाओं की रिपोर्टिंग को मजबूती प्रदान करती है। भविष्य में इस प्रणाली से शाला प्रबंध समिति के सदस्यों को, पालकों को, समाज के अन्य सदस्यों को भी जो़ड़ा जाएगा एवं उनके द्वारा की गई रिपोर्टिंग, समुदाय और शाला के संबंधो को और मजबूती प्रदान करने में सहायक होगी। यूनिसेफ और शिक्षा विभाग को अनुमान है कि स्कूलों में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की उपस्थिति और अन्य सूचकों जैसे, सामान्य मानकों की नियमित समीक्षा से ही शिक्षा के स्तर में सुधार संभव है। अतः राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार हेतु डिजिटल तकनीक एक प्रभावी भूमिका निभा सकती है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु एडु-ट्रैक ‘वास्तविक समय में’ बड़े पैमाने पर स्कूलों की प्रभावी निगरानी करने का किफायती उपाय है।

आषीष दुबे जिला समन्वयक

एजु-ट्रैक के बारे में जिला समन्वयक आषीष दुबे ने बताया कि मोबाईल एप्प एजु-ट्रैक के माध्यम से विद्यालय में षिक्षक एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति पर निगरानी रखी जा रही है। बीते सत्र में अनुपस्थित षिक्षकों पर कार्यवाही नही की गई थी, इस वर्ष इसके मानीटरिंग की व्यवस्था बना ली गई है। 20 से 30 प्रतिषत अनुपस्थित रहने वाले षिक्षकों पर जिला प्रषासन की नजर रहेगी। निष्चित रूप से विद्यार्थियों एवं षिक्षकों की उपस्थित बढ़ेगी, षिक्षा का स्तर और भी सुधरेगा।