जैविक खेती आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत: डॉ. रमन सिंह

अम्बिकापुर

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के किसानों का आव्हान किया कि वे खेती के उन्नत तौर-तरीकों को अपनाने के साथ-साथ जैविक खेती से भी जुड़े। मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक युग में खेती के लिए रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से जमीन की उपज शक्ति धीरे-धीरे कम हो जाती है। इसे देखते हुए कृषि के क्षेत्र में देश और दुनिया में जैविक खेती आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत बन गयी है।

मुख्य अतिथि की आसंदी से ऑडिटोरियम में सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जैविक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें हरसंभव सहयोग देने को तत्पर है। सरगुजा और बस्तर संभागों के पहाड़ी इलाकों में वहां की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप जैविक खेती के लिए काफी अनुकूल हैं। बड़ी संख्या में दन्तेवाड़ा जिले के किसान जैविक खेती जुड़ गए हैं। विगत कुछ वर्षो में सरगुजा और सूरजपुर जिलों में भी खेती के क्षेत्र में किसानों ने सराहनीय प्रदर्शन किया है। सरगुजा में मैनपाट का पहाड़ी अंचल आलू की खेती के लिए प्रसिद्ध है साथ ही वहां पर सेब और अंजीर की खेती को बढ़ावा देने की भी योजना बनायी जा रही है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के युवाओं को कृषि शिक्षा से जोड़ने और कृषि अनुसंधानों को बढ़ावा देने के भी लगातार प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री ने आज सूरजपुर जिले के ग्राम अजिरमा में जैविक खेती पर आधारित कार्यशाला और किसान सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने वहां लगभग 12 करोड़ रूपए की लागत से शासकीय कृषि महाविद्यालय और कृषि अनुसंधान केन्द्र भवन तथा सभागृह (ऑडिटोरियम) का लोकार्पण भी किया। इनमें से कृषि महाविद्यालय का निर्माण आठ करोड़ 74 लाख रूपए की लागत से और ऑडिटोरियम का निर्माण तीन करोड़ 09 लाख रूपए की लागत से किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कार्यशाला और किसान सम्मेलन में सूरजपुर और सरगुजा जिलों के अनेक प्रगतिशील किसानों को जैविक खेती में उनके सराहनीय योगदान के लिए सम्मानित किया। उन्होंने कार्यक्रम में ‘जैविक खेती-निरापद खेती’ शीर्षक एक पुस्तिका का विमोचन भी किया।
5796 B%281%29cmcc%282%29%281%29

उन्होंने उम्मीद जतायी कि अम्बिकापुर के नजदीक ग्राम अजिरमा में आज कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केन्द्र का विशाल भवन बन जाने के बाद छात्र-छात्राओं को कृषि शिक्षा के लिए अच्छी सुविधा मिलेगी और यहां कृषि अनुसंधान कार्यो में भी तेजी आएगी। डॉ. सिंह ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से राज्य में खेती की नयी तकनीकों और फसलों की नयी प्रजातियों का विकास हो रहा है। इन कृषि विज्ञान केन्द्रों में जैविक खेती के लिए प्रदर्शन प्रक्षेत्र बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी खेतों की मिट्टी का समय-समय पर वैज्ञानिक परीक्षण भी करवाना चाहिए।इसके लिए किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने वहां सरगुजा संभाग के चार कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा लगायी गयी फलों और सब्जियों की प्रदर्शनी को भी देखा।

कार्यशाला को महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशिला साहू, भटगांव क्षेत्र के विधायक  पारसनाथ राजवाड़े और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति  एस.के. पाटिल ने भी सम्बोधित किया। सूरजपुर जिले के कलेक्टर  जी.आर. चुरेन्द्र ने जिला प्रशासन की ओर से मुख्यमंत्री सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में जांजगीर-चांपा की लोकसभा सांसद श्रीमती कमलादेवी पाटले, अध्यक्ष जिला पंचायत सरगुजा श्रीमती फुलेश्वरी सिंह, कलेक्टर सरगुजा श्रीमती ऋतु सैन और अन्य अनेक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।