15 साल पहले इन युवाओं ने इस अंदाज में किया था स्वच्छ भारत का आगाज़…

अम्बिकापुर – देश दीपक “सचिन” आज पूरे देश में सबसे आवश्यक काम कोई बन चुका है तो वो है स्वच्छता.. स्वच्छ भारत मिशन एक ऐसा सेगमेंट बन चुका है जिसे एड करके आप किसी भी इवेंट की टीआरपी बढ़ा सकते है.. अपने जन्म दिन को इस मिशन से जोड़ कर ख़ास बना सकते है और मीडिया की सुर्खियाँ बन सकते है,  लोग ऐसा कर भी रहे है.. प्रसिद्धी पाने के लिए नेता हो या व्यापारी सब खुद को स्वच्छ भारत मिशन से जोड़कर प्रसिद्धी हासिल करने की होड़ में लगे है..

लेकिन अंबिकापुर के इन युवाओ ने 15 साल पहले जो शुरू किया था तब इन्हें पता भी नहीं था की झाडू पोछा लगाना भी कभी इतनी प्रसिद्धी का कारण बनेगा.. इन युवाओं ने तों बस श्रद्धा और सफाई के नाम पर अंबिकापुर की माहामाया मंदिर में साफ़ सफाई का बीड़ा उठा लिया था.. ऐसे में अगर कहा जाए की 15 साल पहले ही इन युवाओ ने स्वच्छ भारत मिशन का आगाज कर दिया था तों ये गलत ना होगा…
संस्था के संरक्षक शशिकांत सिंह और राजीव पाठक बताते है की लगभग 15 साल पहले उनके वरिष्ठ लोगो ने साफ़ सफाई के काम की नीव रखी थी और तब महज 5 से 7 लोगो की टीम ने काम शुरू किया था.. ये लोग नवरात्री में नौ दिन तक रात में मंदिर बंद होने के बाद मंदिर आते और पूरे प्रांगण में साफ़ सफाई करते थे.. उस समय कुछ महिलायें भी टीम में शामिल हुई और सफाई के बाद मंदिर में रंगोली भी बनाई जाती थी…

फिलहाल ये प्रयास आज एक संगठन का रूप ले चुका है गुफा सेवा समिति के नाम से प्रसिद्द इस समिति के लगभग 70 कार्यकर्ता बिना किसी चाह के इस नेक काम में लगे हुए है.. स्वच्छ भरत मिशन के कार्यक्रमों में अक्सर नेताओ के द्वारा झाडू लगाने की औपचारिकता की जाती है.. जबकी असल सफाई ये कभी नहीं करते.. लेकिन इस टीम का हर शख्स बड़ी ही मेहनत से पूरे प्रांगण में झाडू लगाता है और फिर पानी से धुलाई का काम करता है… साफ़ सफाई का ये सिलसिला सिर्फ नवरात्रों में बस नहीं चलता बल्की इस मदिर में हर मंगलवार को अधिक भीड़ होने की वजह से अधिक गन्दगी भी हो जाती है, इस वजह से हर मंगलवार की रात भी ये टीम मंदिर सफाई में लगी रहती है और ये सिलसिला 15 वर्षो से अनवरत जारी है..

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सावन में कराते है भंडारा
इसके आलावा इस टीम के द्वारा सावन महीने में जशपुर जिले की दुर्गम स्थान में स्थित कैलाश गुफा में उमड़ने वाली भीड़ के लिए विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है.. और बड़ी बात ये है की इस पूरे आयोजन में आने वाला पूरा खर्च समिति के लोग मिलकर उठाते है..
बहरहाल श्रद्धा, सेवा और संकल्प का ऐसा उदाहरण शायद ही देखने को मिलेगा.. और अब तो ये टीम प्रधान मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को साकार करने का अहम् हिस्सा बन चुकी है.. लेकिन यकीन मानिए जब यह कार्य शुरू किया गया था तब ना तो स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई थी और ना ही स्वच्छता के शंदेश से प्रसिद्धी पाने का कोई जुगाड़ था.. ये लोग तो बस खुद की संतुष्टी के लिए इस काम को किये जा रहे है…