12 घंटे तक चली झांडफूंक में मासूम ने तोडा दम : अस्पताल मे नही थी एंटी स्नैक मेडिसीन

अम्बिकापुर

शासन प्रशासन और तथाकथित समाजसेवी जन जागरुकता और समाज में फैले अंधविश्वास को दूर भगाने का दावा करते है। तो दूसरी ओर अंधविश्वास लोगो की मौत का गवाह बनता जा रहा है। सूरजपुर के अजबनगर गांव मे अंधविश्वास का एक ऐसा ही मामला सामने आया है,, जिसमें छह वर्षीय बच्चे को सांप ने डंस लिया और परिजनो ने लगभग बारह घंटे तक झाङ फूंक और बैगाओ का सहारा लिया लिहाजा इजाल के आभाव में मासूम ने दम तोङ दिया ।

जयनगर थाना क्षेत्र के अजबनगर गांव ,,, अम्बिकापुर शहर से समीप और शहरीकरण के नजदीक है ,, लेकिन यंहा आज भी अंधविश्वास और अज्ञानता ग्रामीणो के जहन में वास करती है।  दरअसल अजबनगर जैसे विकाशील गांव में एक 6 वर्षीय मासूम कृष्णा प्रजापती को रात मे सोते वक्त एक सांप ने डस लिया और परिजन पहले तो झाङ फूंक करने वाले बैगा के पास गए और बच्चे के बेहोश हो जाने पर उसे इलाज के लिए अंबिकापुर अस्पताल  ले गए,, जहां डाक्टरो ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया । बच्चे की मौत के बाद भी अंशविश्वास का खेल समाप्त नही हुआ ,,, बल्कि बच्चे को जब मेंडकिल साईंस ने मृत घोषित कर दिया । उशके बाद भी परिजनो ने झाड फूंक के सहारे मासूम की मौत को जिंदगी मे परिवर्तित करने का प्रयास किया। मतलब मृत बच्चे को जिंदा करने के लिए परजिनो ने गांव से कई किलोमीटर दूर अपनी दुकानदारी चला रहे एक किसी ऐसा बैगा की तलाश शुरु की,,, जो पिछले बैगा से भी ज्यादा ताकतवर हो,, और जो उनके बच्चो को बचा सके। लेकिन हकीकत तो ये थी कि इलाज के आभाव में मासूम कृष्णा असमय ही इस दुनिया को छोङ कर जा चुका था ।

अंधविश्वास की इस क़डवी हकीकत के कारण मासूम कृष्णा तो इस दुनिया से रुकतस हो गया,,, लेकिन अंधविश्वास के साथ ही स्वास्थ व्यवस्था पर भी वही पुराना सवाल छोड गया कि आखिर बिना इलाज और दवा के आखिर और कितने बच्चो की मौत होगी।  दरअसल झाड फूंक के सहारे कृष्णा को जिंदा करने का जंहा बनावटी खेल चल रहा था,,, वंहा से चंद कदमो के फासले मे गांव का प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र है ,,, लेकिन इस अस्पताल में एंटी स्नैक मेडीसीन उपलब्ध ही नही है ,, जिससे यह कहना गलत नही होगा कि आखिर जब अस्पताल मे दवा नही है तो ग्रामीण झाड फूंक का सहारा क्यो ना लें ………. लेकीन ऐसी परिस्थिती में भी अजबनगर स्वास्थ केन्द्र मे पदस्थ डाक्टर सुचिता किंडो विभाग की कमियो को छुपाने के लिए अंधवश्वास से बचने की अपील कर रहे है। जबकि दवाईयो की उपल्बधता और मृत्यु दर रोकने की जिम्मेदारी भी इन्ही डाक्टरो के हवाले है।

जिले मे सर्प दंश से होने वाली मौतो की संख्या मे लगातार इजाफा हो रहा है,,, इसकी क्या वजह है शादय उपर लिखी दास्तान के बाद बताने की जरुरत नही है।  6 वर्षीय मासूम कृष्णा की आकाल मृत्यु एक तरफ जंहा स्वास्थ व्यवस्था के लिए बदनुमा दाग है,, तो दूसरी ओर दवाईयो के आभाव मे किसी की जान जाना भी किसी अपराध से कम नही है….बहरहाल कृष्णा की मौत का एक दोषी स्वास्थ विभाग है तो दूसरा 21वी शदी मे फैला वो अंधविश्वास जिसकी जकडन ने लोगो को जकड रखा है।