हाथी प्रभावित क्षेत्रो का विकास होगा मनरेगा के तहत

वन परिक्षेत्राधिकारियों को प्रोजेक्ट तैयार करने दिये गए निर्देश

अम्बिकापुर

सरगुजा , बलरामपुर व सूरजपुर क्षेत्र में जंगली व उत्पाती हाथियों के कहर से लगातार हर वर्ष हो रहे भारी नुकसान व दहशत में जीवन यापन कर रहे ग्रामीणों सहित उन क्षेत्रों के विकास के लिए शासन के द्वारा तैयार की गई गजराज परियोजना का काम अब मनरेगा के तहत किया जाएगा । इसे लेकर 20 दिन पूर्व जशपुर में वनमंत्री द्वारा ली गई बैठक में मुख्य वन संरक्षक सरगुजा को हाथी प्रभावित क्षेत्रों में किये जाने वाले कार्यो का एक प्रोजेक्ट तैयार कर जल्द ही प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे।

मुख्य वन संरक्षक ने सभी वन परिक्षेत्राधिकारियों व उप वन मण्डलाधिकारियों को हाथी प्रभावित क्षेत्रों का  प्राक्कलन प्रस्तुत करने का निर्देश जारी  किया है। ज्ञात हो कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए नाला प्रबंधन कार्य , जलग्रहण क्षेत्रों के विकास एवं हाथियों के चारागाह विकास हेतु गजराज परियोजना बनायी गयी थी । इस प्रोजेक्ट को लेकर वनपरिक्षेत्राधिकारियों ने अपना काम लगभग पूर्ण ही कर लिया था । किन्तु अब ये सारे प्रोजेक्ट को मनरेगा के तहत तैयार करने के निर्देश से वनपरिक्षेत्राधिकारियों को नये सिरे से पूरी योजना का प्राक्कलन तैयार करना होगा । इसे लेकर वनअधिकारियों के कंधांे पर मानों भारी बोझ़ लाद दिया गया हो , ऐसा अधिकारी समझ रहे है। खैर शासन के निर्देश पर अब वन अधिकारियों को हाथी प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों को अनाज के भंडारन हेतु सीमेंट के टैंक वन विभाग क्षेत्रवार आवश्यकता के तहत मनरेगा में बनाएगा । यहीं नहीं हाथी प्रभावित क्षेत्र में हल्दी , अदरक , मिर्ची , सूरजमुखी एवं मधुमक्खी पालन हेतु कलस्टर बनाकर हितग्राहियों का चयन किया जाएगा । इस सबसे संबंधित वांछित जानकारियां एक प्रोजेक्ट बनाकर वनमण्डलाधिकारियों को मुख्य वन संरक्षक के समक्ष प्रस्तुत करना है। इस पर काम प्रारंभ हो चुका है।
उल्लेखनिय है कि अविभाजित सरगुजा में पिछले कई वर्षो का रिकार्ड देखा जाए तो जंगली हाथियों के कहर से कई लोगो की जान जा चुकी है। यहीं नहीं किसानों की सैकडों एकड़ फसल तबाह हो चुकी है। ग्रामीणों व उनके फसलों को हाथियों के उत्पात से बचाने वन विभाग के द्वारा पहले भी कई कवायद की जा चुकी है। जंगलों में फेंसिंग तार लाखों करोडो की लागत से लगाया गया था । परन्तु कहा जाए कि घटिया स्तर व बिना किसी आधार के लगाए गए फेंसिंग तार हाथियों को रोक पाने सफल नहीं हो सके । आलम यह है कि आज भी दर्जनों की संख्या में हाथियों का झुण्ड़ गांव के अंदर तक घुस जा रहा है।  कई गांव तो ऐसे है जहां हर वर्ष हाथियों के द्वारा भारी तबाही मचायी जाती है। साल भर तक उस क्षेत्र के ग्रामीणों को अपनी व्यवस्था बहाल करने मे लग जाते है। हाथियों के कहर के कारण कई गांव में विकास कार्य अभी भी दूर है।  ग्रामीणों को हाथियों से बचाने अब गजराज परियोजना के तहत विभाग काम कर रहा है। काफी दिनों से चल रही यह योजना में काफी प्रोजेक्ट बनने के बाद अब शासन ने निर्णय लिया है कि इस प्रोजेक्ट के तहत जितने भी काम होगें, सभी मनरेगा के तहत करवाये जाऐंगे । 1 अक्टुबर को वनमंत्री द्वारा जारी किये गए के निर्देेश के बाद सभी क्षेत्र के वनपरिक्षेत्राधिकारी व उप वनमण्डलाधिकारी प्राक्कलन तैयार करने जुट गए है।  देखना यह है कि कब तक गजराज परियोजना धरातल पर मूर्त रूप ले सकेगी। ग्रामीण किसानों को जंगली हाथियों के कहर से कब तक निजात मिल सकेेगी ।
दल से बिछ़डा हाथी

बगीचा सामरबार की ओर से गजदल से बिछड़ा एक हाथी बतौली के कदमहुआ में प्रवेश कर जाने से एक बार पुनः ग्रामीणजन भयभीत है। हाथी के स्वच्छंद विचरण किये जाने की सूचना पर वन अमला उसकी निरागनी में जुट गया है।  ज्ञात हो कि लगभग 15 दिनों पूर्व 32 हाथियों के दल ने कदमहुआ क्षेत्र में भारी तबाही मचायी थी । जिसमें आधा दर्जन से भी अधिक घरों को हाथी ने ढ़हा दिया था और फसलों को भी नुकसान पहुचाया है।  अब तक हाथी के पुनः वापस लौट आने से ग्रामीणजन सतर्क हो रतजगा की तैयारी कर रहे है।