हाथियों के तांडव की ग्राउंड रिपोर्ट..3 इंसानों की मौत का मसला.. ग्रामीण ने क्यों माँगी मौत..!

@Krantirawat

अम्बिकापुर सरगुजा में हाथियों का आतंक इस कदर व्याप्त है की ग्रामीण अब सरकार से मौत की कामना कर रहे है.. ग्रामीण कहते है की सरकार या तो हाथियों को मार दे या हम लोगो को मार दे.. दरअसल बीती रात उदयपुर क्षेत्र के घाटबर्रा में हाथियों ने तीन लोगो को दौड़ा दौड़ा कर मार दिया.. और इसके पीछे वजह कोयला खादान के अदानी के द्वारा जंगलो को काटना और वन विभाग द्वारा संसाधन ना उपलब्ध कराया जाना बाताया जा रहा है..

दरअसल प्राइवेट कोल कंपनी अदानी द्वारा इस क्षेत्र में खदान खोलने के लिए जंगलो को काटा गया है.. और जिस गाँव में यह घटना हुई है उस गाँव को कोल कंपनी ने गोद ले रखा है.. इधर ग्रामीण मानते है की हाथियों के लिए जंगल नहीं है इसलिए वो गांव में हमला कर रहे है.. इस दौरान हमारे संवाददाता क्रान्ति रावत ने मौके पर पहुच कर ग्राउंड रिपोर्टिंग की और पल पल की सही जानकारी आप तक पहुचाने का प्रयास किया..

गौरतलब है की वन परिक्षेत्र उदयपुर अंतर्गत ग्राम घाटबर्रा के आश्रित पारा टिकरापारा में शुक्रवार की रात 9:00 बजे करीब 2 हाथियों के दल ने हमला बोल दिया। जो ग्रामीण भाग सके वह सुरक्षित स्थानों पर जाकर के रुके। जो नहीं भाग सके वह लोग हाथियों के चपेट में आ गए ऐसे तीन लोग थे जो उनके शिकार बने। उनमे एक सुकुल राम 55 साल और दूसरा सुंदरी 50 वर्ष  है जो कि पति पत्नी है, वही एक महिला कौशिल्या उम्र 35 वर्ष शामिल है जिसे हाथियों ने दौड़ा-दौड़ाकर तीनों को बुरी तरह से मारा। लाश पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गई है। घटना का बड़ा कारण गांव में संसाधन का अभाव होना रहा।  गांव वालों के पास न तो लाइट की व्यवस्था थी और ना ही और कोई साधन जिससे वो रात में भाग सकें।  वन विभाग द्वारा भी टार्च की व्यवस्था नहीं की गई थी।

घटना के बाद उनके कुछ कर्मचारी मौके पर ग्रामीणों के साथ डटे हुए थे परंतु जानमाल के नुकसान से लोगों को नहीं बचा सके कुल 11 घरों को नुकसान पहुंचाया है, एक आदमी का घर पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो चुका है, उसके पास खाने और रहने की समस्या हो गई है। शनिवार की सुबह वन राजस्व और पुलिस अमला घटनास्थल पहुंचे नुकसान का जायजा लिया लगभग 600000 का नुकसान  का अनुमान लगाया गया है । मौके पर थाना उदयपुर की टीम पहुंचकर शव का पंचनामा कराकर गांव में ही पोस्टमार्टम की व्यवस्था बनाई गई है पोस्टमार्टम करा कर शव को परिजनों के सुपुर्द की जाएगी । तात्कालिक सहायता के रूप में वन विभाग की ओर से मृतक के परिजनों को 25-25 हजार सहायता राशि उपलब्ध कराई गई है वन परिक्षेत्र अधिकारी उदयपुर द्वारा प्रकरण बनाकर शेष मुआवजा राशि तत्काल प्रदान कराने की बात कही गई है। जनपद पंचायत की ओर से भी परिवार सहायता प्रकरण बनाकर मुआवजा देने की बात कही गई है । इन सब से परे सबसे बड़ी बात यह है कि जिन की जानें गई उन जान को वापस नहीं किया जा सकता । अगर संसाधन उपलब्ध कराई जाए तो और आगे होने वाली घटनाओं को रोका जा सकता है और जान माल के नुकसान से बचा जा सकता है। देखना होगा कि वन अमला राजस्व अमला किस तरह की व्यवस्था इस गांव में बनाती है कोल खनन कंपनी के प्रति गांव के लोगों में काफी आक्रोश देखा गया लोगों ने आरोप लगाया कि गोद लेने के बाद भी इस ग्राम में कोई व्यवस्था नहीं की गई है समय रहते अगर उचित संसाधन उपलब्ध हो गया रहता तो आज इतनी बड़ी जनहानि नहीं हुई होती। घटना के बाद सुबह उदयपुर जनपद सी ई ओ, क्षेत्र के रेंजर और उदयपुर थाना प्रभारी मौके पर पहुचे और मृतको के शव का पोस्टमार्टम कराया गया..

मसतराम ग्रामीण

हाथियों के आतंक से परेशान ग्रामीण अब अपने लिए सरकार से मौत मांगने लगे है.. गाँव के मसत राम ने कह दिया की सरकार या तो हाथियों को मारे या यहाँ की जनता को मार कर ख़त्म कर दे..

बहरहाल रात में हुई घटना के बाद सुबह 9 बजे वन और प्रशासनिक अमला गाँव में पहुचा और मृतकों के परिजनों को तात्कालिक सहायता राशि 25-25 हजार रूपये दी.. साथ ही पोस्टमार्टम के साथ ही मुआवजे का प्रकरण तैयार किया जा रहा है.. लेकिन एक सवाल जो बार बार ग्रामीणों को कौंध रहा है की आखिर हाथियो के आतंक से बेगुनाह लोगो की मौत का जिम्मेदार कौन है..?