अभ्यारण मे करा दिया गया सडक निर्माण……निर्माण भी घटिया और भुगतान हुआ 2 करोड ज्यादा ।

Khtwabarther Village , Balrampur (1)
Khtwabarther Village , Balrampur (1)
सरगुजा-बलरामपुर से  विशेष रिपोर्ट
भ्रष्टाचार की जन्मस्थली और भ्रष्टाचारियो की कर्मस्थली के रुप मे पहचान स्थापित करने वाले सरगुजा मे भ्रष्टाचार के रोज नए खुलासे हो रहे है, कभी एक ही पुलिया के लिए दो बार राशि निकाल ली जाती है, तो कभी जंगली जानवरो के लिए आरक्षित भूमि मे बिना अनुमति सडक बनवा दी जाती है और उसमे भी करोडो को गोलमाल कर शासन को बेवकूफ बनाने की प्रयास किया जाता है. खास रिपोर्ट
हर्ष कंस्ट्रक्सन ने कराया सडक निर्माण
3 करोड की स्वीकृत राशि के बदले 5 करोड का भुगतान

सेमरसोत अभ्यारण(सेंचरी) बलरामपुर
सेमरसोत अभ्यारण(सेंचरी) बलरामपुर
सेमरसोत अभ्यारण(सेंचूरी) मे हुआ निर्माण कार्य
पर्यावरण मंत्रालय और वन विभाग की नही थी अनुमति
लोक निर्माण विभाग शिकायत के बाद भी मौन
सूचना के अधिकार के तहत हुआ पूरे मामले की खुलासा
Khtwabarther Village , Balrampur (1)सरगुजा मे भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखी जा रही है।  अधिकारी अपने सपनो का ताजमहल बनाने के लिए नियमो की धज्जियां उडा रहे है, भ्रष्टाचार उनका ईमान बन गया है। इस बार मामला लोक निर्माण विभाग के एक बडे भ्रष्टाचार का है, दरअसल मामला अविभाजित सरगुजा जिले के पौढी से खटवाबरदर वन मार्ग का है,, जिसमे पीडब्लूडी की एक वफादार ठेकेदार कंपनी हर्ष कंस्ट्रक्शन ने 2010 मे वन मार्ग के उपर ही सडक निर्माण कर दिया। लेकिन 2012-13 मे इस काम के पूर्ण होते ही डामर और सडक का संपर्क आपस मे टूटने लगा , मतलब वर्षो की गारण्टी वाला डामर हाथ से उखाडने मे उखड रहा, और 6 किलो मीटर के इस मार्ग मे बनी पुल पुलिया इस बरसात मे ही बहने की कगार मे है।
जवाहर यादव , ग्रामीण और  संतोष यादव, स्थानिय नागरिक
निर्माण कार्य एकदम घटिया किया गया है। सडक के अलावा रास्ते मे जिन पुलिया का निर्माण कराया गया है, वो इसी बरसात की मेहमान है। जबकि सडक बने अभी एक साल ही हुआ है लेकिन सडक का डामर पूरी तरह से उखड कर धूल बन गया है। उसे हाथ से भी उखाडा जा सकता है। इस मामले की शिकायत यंहा आए अधिकारियो से की गई, लेकिन उनका कहना है कि इस सडक मे वाहन तो चलना नही है, उस हिसाब से सडक बढिया बनी है।
गौरतलब है कि अम्बिकापुर-बलरामपुर मुख्यमार्ग से खटवाबरदर जाने वाला 6 किलो मीटर का रास्ता वन मार्ग है, इसे 365 दिन मे 365 वाहन भी शायद ही गुजरता हो, लेकिन उसके बावजूद इसका ऐसे उखडना भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयां कर रहा है। लेकिन सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजो से जो खुलासा हुआ, उससे इस मामले मे हुए और भी भ्रष्टाचार की परते खुल गई है, दरअसल इस अवैध सडक निर्माण के लिए 3 करोड 22 लाख रुपए की स्वीकृति हुई थी, लेकिन ठेकेदार को लाभ पंहुचाने के लिए स्वीकृत राशि से तकरीबन 2 करोड रुपए अधिक 5 करोड 5 लाख रुपए निकाल लिए गए। इतना ही जिस मार्ग मे पीडब्लूडी विभाग ने अपना निर्माण कार्य किया है, वो संरक्षित वन की भूमि है, जिसमे कोई भी विभाग , अनुमति बिना निर्माण नही कर सकता है।
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डी.के.सोनी, आरटीआई कार्यकर्ता एंव अधिवक्ता
इस मामले मे भ्रष्टाचार को अलग अलग ढंग से किया है, जिसका पता हमे तब चला जब लोकनिर्माण विभाग और वन विभाग से हमे सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मिली। दरअसल उक्त निर्माण कार्य मे 3 करोड 22 लाख रुपए स्वीकृत थे, लेकिन ठेकेदार हर्ष कांस्ट्रक्सन कंपनी को लाभ पंहुचाने 5 करोड से ज्यादा की राशि आहरित कर ली गई। इसके अलावा सडक निर्माण कार्य जिस मार्ग मे कराया गया है, वो सेमरसोत अभ्यारण का वन मार्ग है। जिसमे किसी भी निर्माण कार्य के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय और वन मंत्रालय से अनुमति लेना जरुरी होता है।
सूचना के अधिकार मे निकाली गई इस जानकारी की शिकायत लोक निर्माम विभाग के मुख्य अभियंता और विभाग के आला अधिकारियो की भी की गई है, लेकिन उनके कान मे जू तक नही रेंग रहा है, लिहाजा शिकायतकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री,  मुख्यमंत्री, लोकनिर्माण मंत्री और सरगुजा संभाग आयुक्त से की है।
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ए.पी.साण्डिल्य , उपायुक्त , (सरगुजा संभाग )
मामले की शिकायत प्राप्त हुई है। मामले की शिकायत के आधार पर जांच करने के लिए कलेक्टर को निर्देश दिया , जिसमे ये निर्देश मामले की जांच के लिए अन्य विभागो के दो कार्यपालन अभियंताओ की टीम बना कर 15 दिनो के भीतर जांच कराए।
मामला लोक निर्माण विभाग के बहुमुखी भ्रष्टाचार से जुडा है, लेकिन इसका मुख वन विभाग की मिली भगत की ओर भी इशारा करता है, क्योकि जानकर हैरत होगी कि खटवाबरदर मार्ग बलरामपुर जिले के सेमरसोत अभ्यारण मे आता है, और सेंचूरी एरिया मे किसी भी निर्माण कार्य के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय और वन मंत्रालय से अनुमति लेने होती है, लेकिन इस सवाल को लेकर जब हम वन अधिकारी के पास गए तो अवैध निर्माण मे आंखे मूंदने वाले अधिकारी हमे अंदर आने की अनुमति तो दूर बाहर का रास्ता दिखाने मे तनिक भी देर नही किए
अभिषेक सिंह, डीएफओ, वाईल्ड लाईफ
अभिषेक सिंह, डीएफओ, वाईल्ड लाईफ
अभिषेक सिंह , डीएफओ, वाईल्ड लाईफ

बाहर जाओ, बाहर जाओ, बिल्कुल बाहर जाओ …….कैमरा बंद कर लो

मामला ना केवल लोक निर्माण विभाग के बडे भ्रष्टाचार और शासकीय राशि के बंदरबाट का है, बल्कि मामला सेंचूरी एरिया मे डामरीकृत मार्ग बनाने का भी है। बहरहाल अब मामले से जुडी शिकायत दस्तावेजो के माध्यम से उन सभी अधिकारियो और आला नेताओ के पास पंहुच चुकी है, जिनको मामले की जांच और कारवाही करना है। लेकिन देखना ये होगा कि पुख्ता दस्तावेजी शिकायत पर आखिर क्या कारवाही होती है।