सरदार पटेल ने कहा था कि आखिर संघ के स्वयंसेवक चोर डाकू तो नहीं है। वे अपनी मातृभूमि से प्रेम करने वाले देष भक्त हैं : मेजर

अम्बिकापुर

  • नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के बयान का पलटवार 
  • भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल सिंह मेजर ने किया पलटवार

भाजपा प्रदेष उपाध्यक्ष अनिल सिंह मेजर ने कांग्रेस के विधायक एवं नेताप्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव द्वारा आरएसएस और भाजपा को झूठ बेचने के आरोप की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन पर विरोधियों द्वारा दुष्प्रचार किया जाता रहा है। इसके बावजूद संघ का समाज में व्यवहार देखकर वह निष्प्रभावी साबित हुआ और संघ का समाज में स्वागत्, स्वीकार्यता एवं समर्थन लगातार बढ़ता ही गया है।

विधानसभा नेता प्रतिपक्ष द्वारा की गई अर्नगल बयानबाजी के कारण आज कांग्रेस के शीर्ष पर रहे दो-दो प्रधानमंत्री कटघड़े में दिखाई दे रहें हैं। उनकी समझ एवं निर्णय पर प्रष्चचिन्ह लग गया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा आर एस एस झूठ बेचने का कार्य करने वाली सांप्रदायिक पार्टी है। उन्हे शायद याद नहीं होगा कि काफी सोचसमझकर जांच परख कर ही पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 26 जनवरी 1963 को आर एस एस को परेड में शामिल किया था। लाल बहादूर शास्त्री ने 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति में संघ के द्वितीय सरसंघचालक गोलवरकर जी को विचार विमर्ष के लिये दिल्ली आमंत्रित किया था। नेता प्रतिपक्ष के अनुसार झूठे लोगों से उनके प्रधामंत्री जी गंभीर विषयों पर चर्चा करते थे। सरदार पटेल ने संघ पर प्रतिबंध लगया था किन्तु उनके द्वारा 27 फरवरी 1948 को पं. जवाहर लाल नेहरू को लिखे पत्र में स्वीकार किया था कि गांधी जी के हत्या में संघ की संलिप्तता कही भी नहीं है। यह पत्र प्रकाषित भी हो चुका है। लोकतंत्र के मार्च पर कलंक का टीका लगाने वाला कांग्रेस के आपातकाल के विरोध में सत्याग्रह करके जेल जाने वाला 80 प्रतिषत संघ के स्वयंसेवक थे। जीवन बलिदान करने वाले अधिकांष संघ के स्वयं सेवक ही थे।
आकाशवाणी लखनउ से 1948 मे प्रसारित भाषण में सरदार पटेल ने कहा था कि आखिर संघ के स्वयंसेवक चोर डाकू तो नहीं है। वे अपनी मातृभूमि से प्रेम करने वाले देष भक्त हैं।
भूतपूर्व थल सेनाध्यक्ष के.एम. करियप्पा भारत के पूर्व न्यायाधीष सुस्बाराव ने संघ की कई बार सराहना की है।
लेकिन अब ऐसा लगता है कि असाधारण बौद्धिक क्षमता वाला नेतृत्व अम्बिकापुर के नेताप्रतिपक्ष के रूप में प्रकट हो रहा है और उन्होनें अपने पूर्व के नेताओं एवं विद्धान जनों े एक तरह से लताड़ लगाते हुये आभास दिलाने का निस्फल प्रयास किया है कि केवल उन्होनें ही संघ के स्वरूप को ठीक समझा है। गांधी जी की हत्या में सुनवाई करने वाले आई.सी.एस. कैडर के न्यायमूर्ति आत्माचरण की विषेष अदालत ने पूरी तरह से संघ पर आरोप अमान्य कर दिया थां फिर भी बार-बार कांग्रेस का दुष्प्रचार चलता रहता है जो आज तक जारी है। कांग्रेस की नीति रही है कि वोट बैंक के कारण सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को कैसे परिवर्तित कर देष के न्यायधीषों को भी कटघरे में खड़ा किया जा सकता है। शाहबानों प्रकरण के उन्होंने ऐसा किया है। जैसे की संघ के बारे में कांग्रेस के नेताओं को समझ आने में समय लगता है। नेता प्रतिपक्ष इसके अपवाद कैसे हो सकते हैं। ऐसे भ्रामक प्रचार से समाज के जनमानस पर कोई असर नहीं होता है। ऐसे दूष्प्रचारों के बीच रहकर ही आर.एस.एस. आज विष्व का सबसे बडे़ असैविंक संगठन के रूप में स्वत्व और स्वाभिमान का भाव जगाने का कार्य कर रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के शासन काल एवं कांग्रेस की कार्यकाल को जनता स्वयं जानती है। कांग्रेस के कार्यकाल में घोटाले एवं भ्रष्टाचार किस सीमा तक होती है।
कई वर्षों से सत्ता से बाहर रहने के कारण विषेषकर म.प्र. एवं छ.ग. के कई दिग्गज कांग्रेसी अपना मानसिक संतुलन खोते नजर आ रहे हैं। समय-समय पर दिये जाने वाले उनके बयान तो यही सिद्ध करते हैं।