संजीवनी-मुक्तांजलि की निःशुल्क सुविधा से हसन अली को मिली दुःख की घड़ी में राहत

रायपुर

राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग की आपात कालीन चिकित्सा हेतु निःशुल्क सेवा संजीवनी-108 और मरणोपरान्त शव को घर तक पहुँचाने  के लिए निःशुल्क मुक्तांजलि-1099 की सुविधा से दुःख की घड़ी में हजारों परिवारों को राहत मिल रही है। कोरबा जिले के ग्राम बरपाली निवासी  हसन अली ने बताया कि उनकी 52 वर्षीय सास तरीकुन बी हृदय रोग की बीमारी से जूझ रही थी। कोरबा में उनका उपचार कराया जा रहा था। स्वास्थ्य ज्यादा खराब होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें बेहतर इलाज कोरबा से रायपुर के लिए रिफर किया। तरीकुन बी को उपचार के लिए संजीवनी-108 के माध्यम से 26 जनवरी को राजधानी रायपुर के डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।

अगले दिन स्थिति खराब होने के कारण उनकी मौत हो गयी। बीमारी से तंगी हालत के कारण परिजनों के लिए निजी वाहन से शव को गृह ग्राम ले जाने के लिए कठिनाई हो रही थी। ऐसे मुश्किल की घड़ी में उनकी नजर अस्पताल में ही लगे बोर्ड में दिए गए निःशुल्क मुक्तांजलि सेवा सुविधा-1099 पर पड़ी। परिजनों के इस नम्बर पर फोन करने के बाद लगभग 20 मिनट में मुक्तांजलि वाहन मृतिका के दामाद श्री हसन अली के पास पहुच गया। कुछ देर में आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने के बाद रात एक बजे शव लेकर कोरबा के लिए रवाना हुए और रात भर सफर करने के बाद सुबह लगभग 8 बजे ग्राम बरपाली पहुच गए।  अली ने बताया कि उनकी सास के पास गरीबी रेखा का कार्ड और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निःशुल्क इलाज के लिए बनाया गया स्मार्ट कार्ड भी था। निःशुल्क संजीवनी और मुक्तांजलि सुविधा से विपरित परिस्थितियों में मिले सहारा के लिए उन्होंने राज्य सरकार की इन  कल्याणकारी योजनाओं की सराहना की है।