शौच मुक्त गांव की कल्पना कागजों में हो रही साकार

अधिकांश गांवों के घरों में शौचालय नहीं

बलरामपुर

स्वच्छ भारत अभियान के सपने को साकार करने ग्रामीण अंचलोें में खुले में शौच की प्रवृति पर रोक लगाने की मंशा से जनजागरूकता अभियान चलाने के साथ ही गांवों के हर घर में शौचालय का निर्माण कराने की योंजना केन्द्र व राज्य सरकार ने बनायी जिसे लागू हुये एक वर्ष से उपर हो गया है। जिसके तहत अब तक कई गांवों के घरों में शौचालय का निर्माण भी कराया गया है। परन्तु उनकी संख्या कम ही है। कागजों में कई गांवों में 100 प्रतिशत शौचालय का निर्माण करा दिया गया हैै । और तो और उन गांवों को शौच मुक्त का तमगा भी वहां के संबंधित अधिकारियों द्वारा समारोह का आयोजन कर उन गांवों के ब्लाक – तहसील जिला स्तर के जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में दे दिया जा रहा है। जबकि जमीनी स्तर पर यदि उस गांव में भी 500 घर है तो उस गांव के तीन सौ घरों में ही शौचालय का निर्माण कराया गया है। शेष घर आज भी शौचालय विहिन है। जिससे उन घरों के बासिंदे आज भी सुबह शाम खुले में शौच को जाती है।SwachhBharat-Logo

अभी हाल ही में 2 अक्टुबर गांधीजयंती के अवसर पर बलरामपुर जिले के धंधापुर ग्राम पंचायत में विधिवत समारोह का आयोजन कर खुले में शौच मुक्त के तमगे से गांव को नवाजा गया गौर करने वाली बात है कि उस समारोह में उस ग्राम के सरपंच समेत सत्ता पक्ष के जिला अध्यक्ष भी उपस्थित थे । जिन्होने सरकारी अफसर के कागजी घोडे की जीत की हामी भरी जब कि जनता उन्हें अपना प्रतिनिधि मानकर इस पद से इसलिए नवाजी थी कि जब एैसी सरकारी कागजी प्रवृति आयेगी तो उस वक्त जनता का चुना प्रतिनिधि जनता के साथ खडें़ होकर इसका विरोध कर हकिकत से रूबरू करा उस कार्य को जमीनी हकिकत के साथ अंजाम तक पंहुचायेंगे मगर एैसा नहीं हुआ जनता के प्रतिनिधि भी सरकारी अफसर के साथ मिलकर शौच मुक्त कागजी घोडे को लगाम देने में खुशाी जाहिर की ।

ये वाक्या बलरामपुर जिले के धंधापुर पंचायत को भी गांधी जयंती 2 अक्टुबर के दिन विविध समारोह आयोजित कर खुले मेे शौच मुक्त गांव का सरकारी तमगा दे दिया , लेकिन गांव के हर घर में न तो शौचालय बने है और न ही खुले में शौच की प्रवृति पर ही रोक लग सकी है। इसके बावजूद आनन -फानन में गांव को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है।
स्वच्छता अभियान के तहत खुले मंेें शौच की प्रवृत्ति पर भी रोक लगाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए सरकारी तौर पर सहायता भी उपलब्ध कराइ्र्र जा रही है और शौचालय का निर्माण कराया जा रहा हैै। एक वर्ष पहले स्वच्छ भारत अभियान लागू होनें के बाद से सरगुजा , सूरजपुर व बलरामपुर जिलें में शौचालयों के निर्माण व इसके उपयोग को लेकर लोगो में जनजागृति भी देखी जा रही है। शासन प्रशासन भी शौचालय के निर्माण में पूरी ताकत झोंक रहा है, लेकिन न जाने क्यों आधी अधूरी व्यवस्था में गांवोे को खुले में शौच मुक्त घोषित करने की होड़ मची हुई है। ताजा मामला बलरामपुर जिले केे राजपुर विकासखंड़ अंतर्गत ग्राम पंचायत धंधापुर से जुडा हुआ है। लगभग आधा दर्जन पारों में विभक्त धंधापुर पंचायत के हर घर में शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है। इसके बावजूद शुक्रवार को धंधापुर पंचायत को खुले में शौच मुक्त पंचायत घाषित कर दिया गया । इसके लिए गांव में समारोह आयोजित किया गया । एसडीएम, जनपद सीईओ के साथ सत्ता पक्ष के जिला अघ्यक्ष समेत कई ग्राम के सरपंच पंच व अन्य जनप्रतिनिधि नेता के मौजूदगी में उक्त ग्राम को खुले मे शौच मुक्त गांव का सरकारी तमगा पहनाया दिया गया । परन्तु क्यां जमीनी स्तर में उन गांव को तमगा पहनाने की जरूरत थी या फिर योजना का कोरम पूरा करने के लिए आनन -फानन में एैसी सरकारी कुटरचना रची गई थी । जिसका समर्थन जनता के प्रतिनिधि भी साक्ष्य बन कर कर रहे थे । ये सिर्फ धंधापुर ग्राम पंचायत की बात नहींे है एैसे ही सरगुजा संभाग में कई ग्राम है जहां अब तक दस प्रतिशत भी शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है। जैसे शंकरगढ़ तहसील के ग्राम मानपुर ,कोरोंधा, धारानगर , बेलकोना , के ग्राम के ग्रामीण ये भी नहीं जानते कि एैसा भी कोई योजना सरकार के द्वारा चलाया जा रहा है। जिसमें शासन के द्वारा आर्थिक सहायता दे घर – घर शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। यदि एैसा ही हाल रहा तो स्वच्छ भारत का मिशन सिर्फ कागजों में ही सीमित हो कर रह जायेगा । जमीनी स्तर पर इस योजना का ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल पायेगा ।

डा. प्रीतम राम विधायक सामरी

आनन- फानन में केवल श्रेय लेने के लिए जिले के अधिकारी कर्मचारी इस तरह के कार्य करने मे लगे हुये है। कागजों के बजाय धरातल पर वास्तविकता कुछ और है। उक्त ग्राम में जब पूर्ण घरों में लक्ष्य से कम शौचालय बने है तो एैसी स्थिति में गांव को खुले में शौच मुक्त का तमगा देना अनुचित है।