सूरजपुर (भैयाथान से प्रकाश दुबे).. जिले में इन दिनों भाजपा की बैठकों का दौर चल रहा है एक तरफ विधानसभा चुनाव में हार समीक्षा व साथ- साथ सांसद प्रत्याशी की कार्यकर्ताओ से टोह ले रही है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रखते हुए इन दिनों भाजपा में कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने व उनकी इच्छा, सांसद प्रत्यासी के बारे में उनका राय भी लिया जा रहा है, यह बताया जा रहा कि जिले में युवा चेहरा को इस बार सरगुजा लोकसभा सीट से चुनाव में प्रत्याशी बनाने की कार्यकर्ताओ में मांग उठ रही है। ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा कि क्या युवा नेता में विजय प्रताप सिंह पर इस बार बीजेपी दांव लगा सकती है। यहा पर यह बताना लाजमी होगा कि विजय प्रताप सिंह पूर्व मंत्री व छत्तीसगढ़ के कदावर आदिवासी नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वर्गीय शिवप्रताप सिंह के पुत्र है विजय प्रताप सिंह जब विधानसभा चुनाव के दरमियान जब टिकट की माथा पच्ची चल रही थी तो एकलौते ऐसे प्रत्यासी थे जिन्हें प्रेमनगर, भटगांव,व प्रतापपुर से उनको टिकट देने की उमीद जताई गई थी। बहरहाल उन्हें प्रेमनगर विधानसभा सीट से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा गया था कमोपेश भले ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन अन्य प्रत्यासियो से कम अंतर से हार मिली थी श्री सिंह इससे पूर्व अविभाजित सरगुजा के जिला पंचायत के अध्यक्ष रह चुके हैं इस दौरान उन्होंने ने पूरे सरगुजा जिले में दौरा कर उन्होंने एक अपना अलग छाप छोडा है।
वही दूसरी ओर कांग्रेश में भी अपना प्रत्यासी चयन को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है वही सूत्रों की माने तो वरिष्ठ आदिवासी नेता व प्रेमनगर विधायक खेलसाय सिंह का नाम लिया जा रहा है वही दूसरी ओर रामदेवराम वर्तमान में जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष को भी प्रबल दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है वही खेलसाय सिंह का तो यह भी कहना है कि वे अब चुनाव ना लड़ने की बाते कहकर इस सियासी पारा को और भी ऊपर चढ़ा दिया है।
वही जानकारी के अनुसार आगामी लोकसभा का चुनाव मई व अप्रैल माह 2019 का चुनाव होने हैं और इलाके में अभी से ही अपने दो प्रमुख दल बीजेपी व कांग्रेश दो मुख्य प्रतिद्वंदी है। वही साथ ही साथ दो प्रमुख दलों के नेता व कार्यकर्ताओं की बैठकों का दौर लगातार जारी है वे ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लगातार प्रत्याशी चयन को लेकर बैठके कर रहे हैं व कार्यकर्ताओं की राय लिया जा रहा है। जहां लगातार सरगुजा लोकसभा सीट भाजपा की झोली में जाती रही है तो क्या इस बार बीजेपी इस जीत के सिलसिले को बरकरार रखेगी या कांग्रेस अपनी साख बचाने में कामयाब होगी।