आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के साथ मुर्दों ने की चेक डेम बनाने मनरेगा में मजदूरी..!

@Krishnmohan

बलरामपुर केंद्र सरकार की मनरेगा योजना का जिले में बुरा हाल है,कही मनरेगा से कराये गए निर्माण कार्य गुणवत्ताविहीन है,तो दूसरी ओर मनरेगा के कार्यो में संलग्न मजदूरों को मजदूरी भुगतान नही हो पा रहा है,वही आरटीआई से मिली जानकारी के तहत खुलासा हुआ है, की मनरेगा योजना में करप्शन  की फेहरिस्त में मृत लोगो के नाम से मस्टररोल भरकर राशि आहरण के मामले सामने आ रहे है।

बलरामपुर जिले के ग्राम महराजगंज में वर्ष 2016 में महात्मा गांधी रोजगार गारण्टी योजना के तहत बोल्डर चेक डेम का निर्माण कराया जाना था,जिसके लिए जनपद पंचायत बलरामपुर से बोल्डर चेक डेम निर्माण करने के कार्य को मंजूरी मिली थी,बावजूद इसके ग्रामीणों का आरोप है की सरपंच,सचिव, रोजगार सहायक की मिलीभगत से बोल्डर चेक डेम निर्माण में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया।

बोल्डर चेक डेम निर्माण में लापरवाही…

बोल्डर चेक डेम की वास्तविकता का अंदाजा इसी तस्वीर से लगाया जा सकता है,की मौके पर बना बोल्डर चेक डेम अब पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है,और वह भी रोजगार सहायक की लापरवाही के चलते ,गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य और सरकारी योजना में करप्शन के खेल ने मनरेगा को अब ना सिर्फ बदनाम किया है,बल्कि ग्रामीणों का मनरेगा के प्रति मोह भंग हो गया है।

100 दिन रोजगार की गारंटी में -फर्जी मस्टररोल

मनरेगा के माध्यम से सरकार ग्रामीण मजदूरों को 100 दिन की मजदूरी का गांरटी देती है,लेकिन पंचायत स्तर से लेकर स्थानीय तंत्र तक फैले क्रप्शन के जाल से मजदूरों के साथ आये दिन खिलवाड़ होते रहता है।
एक ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत महराजगंज में देखने को मिला है,जहाँ दो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के नाम मस्टररोल में दर्ज है,इसके अलावा दो मृत व्यक्तियों के नाम से भी फर्जी मस्टररोल बनाकर राशि आहरण कर लिया गया है।

मुर्दे भी बोल्डर चेक डेम में करने लगे काम..

ग्रामीणों का आरोप है कि गाँव के ही अमरावती, और उर्मिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है,तथा ग्रामीण फुलवा की मृत्यु 18/12/15 और मनोज राम की मृत्यु 6/7/15 को हो चुकी है, जिनके नाम भी मस्टररोल में है, जबकि बोल्डर चेक डेम निर्माण की स्वीकृति ही 2016 में हुई है। वही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है,की उन्होंने कभी मनरेगा में मजदूरी नही की, उन्हें आंगनबाड़ी के कार्यो से इतनी फुर्सत नही है कि वे मनरेगा में मजदूरी करे, उन्हें मस्टररोल में कैसे उनका नाम आया यही पता नही है।

जांच चल रही है!-प्रमोद सिंह…

ग्रामीण मनरेगा के कार्यों में हुए करप्शन की शिकायत कई बार की,लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई,तब ग्रामीणों ने आरटीआई से निकाले दस्तावेज के साथ लोक सुराज में इसकी शिकायत की थी,बावजूद इन सब के जिम्मेदार अधिकारियों का बेतुके बयान से सहज अनुमान लगाया जा सकता है,की वे  कई बार शिकायत के बाद मामले में कैसी जांच कर रही है,समझ से परे है।