रामगढ़ की नाट्य शाला की झांकी दिखेगी दिल्ली के गणतंत्र दिवस समारोह में ..!

अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ राज्य की झांकी एक बार फिर गणतंत्र दिवस मुख्य परेड में राजपथ पर अपनी कला और संस्कृति की खुषबू बिखेरेगी। ईसा पूर्व 300 में निर्मित सरगुजा जिले की रामगढ़ की पहाड़ियों में स्थित भारत की प्राचीन नाट्यषाला रामगढ़ और सीता बेंगरा की गुफा पर आधारित छत्तीसगढ़ की झांकी को गणतंत्र दिवस मुख्य परेड में चयन किया गया है।

छत्तीसगढ़ की झांकी में रामगढ़ की पहाड़ियों में महाकवि कालीदास द्वारा रचित मेघदूत को झांकी के साथ प्रदर्षित किया जाएगा। इस झांकी में इंदिरा कला संगीत विष्वविद्यालय के कत्थक, ओड़िसी और भरत नाट्यम के कलाकार अपनी कला का प्रदर्षन कर रहे हैं। राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ की झांकी लगातार मुख्य परेड में शामिल होती रही हैं। वर्ष 2006, 2010 एवं 2013 में राज्य की झांकी को पुरस्कृत किया जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की झांकी में देष की सबसे पुरानी नाट्यषाला को प्रदर्षित किया गया है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में रामगढ़ की पहाड़ियों में स्थित यह प्राचीन नाट्य शाला 300 ईसा पूर्व की है। यहॉ प्राप्त षिलालेख बताते हैं कि इस नाट्य शाला में क्षेत्रीय राजाओं द्वारा नाटक और नृत्य उत्सव आयोजित किए जाते थे। दूसरे राज्यों से कलाकार आकर यहां अपनी प्रतिभा का प्रदर्षन करते थे। कालीदास ने अपने प्रसिद्ध काव्य ‘‘मेघदूत‘‘ की रचना इसी स्थान पर की थी, जिसमें उन्होंने बादलों के माध्यम से प्रेम के संदेष को पहुँचाने का चित्रण किया है। ज्ञातव्य है कि इस वर्ष पहली बार सरगुजा जिले की रामगढ़ की पहाड़ी को गणतंत्र दिवस की मुख्य परेड में छत्तीसगढ़ की झांकी में शामिल किया गया है,जो सरगुजा क्षेत्र के लिए गौरव का विषय है।