बृहस्पत सिंह का छलका दर्द..कहा आलाकमान का निर्णय मान्य पर मैं सन्तुष्ट नही..कब तक 1847 की क्रांति का असर झेलेंगे!..

रायपुर…(कृष्णमोहन कुमार)...भूपेश मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद मानो ऐसा लग रहा है की.. प्रदेश की कांग्रेस को ग्रहण लग गया है..एक के बाद एक नव निर्वाचित विधायक आरोप लगा रहे है..जिससे लगता है की वे आलाकमान के फैसले के सामने नतमस्तक तो है..पर सन्तुष्ट नही..

दरसल प्रदेश के रामानुजगंज सीट से विधायक बृहस्पत सिह लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुँचे है..उन्होंने रमन कैबिनेट में जलसंसाधन विभाग के अलावा अन्य महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे रामविचार नेताम को पटखनी दी थी..पर इस बार के चुनाव मे रामविचार चुनाव मैदान में नही उतरे..लिहाजा भाजपा में बगावत के शुर दिखे..नतीजा बृहस्पत सिह बाजी जीत गए..

बृहस्पत सिह 2008 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर पाल सीट से चुनाव लड़े पर वह भाजपा के रामविचार से हार गए..जिसके बाद वे 2013 में कांग्रेस की ही टिकट पर रामविचार नेताम को हराकर जीते..और विपक्ष में एक अहम भूमिका का निर्वहन किया..और वे इस बार फिर से विधानसभा चुनाव जीते है..

बता दे की बृहस्पत सिह ने विपक्ष में रहते तत्कालीन रमन सरकार के नीतियों के विरुद्ध सड़क से लेकर सदन तक कि लड़ाई लड़ी..पर वे अब दुःखी है..

कांग्रेसी विधायक बृहस्पत सिह ने भूपेश मंत्रिमंडल को लेकर नाराजगी जताई है.. उन्होंने कहा कि 15 साल संघर्ष करके आए हैं.. सरगुजा बस्तर के विधायकों का सुझाव था कि आधे पुराने आधे नए को लेकर टीम बना लिया जाए.. कब तक 1847 के जवानों को कुश्ती लड़ाते रहोगे।

वही बृहस्पत सिंह ने कहा कि पहले जो मंत्री थे, जिनके काम के कारण हम 15 साल सत्ता से बाहर रहे. लगातार वे लोग चुनाव हारते रहे.. लोकसभा में भी अपनी सीट से 20 से 40 हजार से हारे.. इसके बाद भी ऐसे लोगों को मंत्रिमंडल में थोपते जाना समझ नहीं आया.. उन्होंने कहा कि हमारे नेता का निर्णय है तो मान्य है पर संतुष्टि नहीं है..