निजी नर्सिंग होम मेडिकल वेस्ट देने नहीं दिखा रहे रूचि

इंसीनेटर मशीन में खर्च ज्यादा आमदनी कम

अम्बिकापुर “दीपक सराठे”

सरगुजा की सबसे बड़ी इंसीनेटर मशीन में आमदनी नहीं खर्च ज्यादा होने से प्रबंधन भी परेशान है। इसका मुख्य कारण यह है कि शहर के निजी नर्सिंग होम के संचालक वहां मेडिकल वेस्ट देने में कोई रूचि नहीं दे रहे और जो कचरा दे भी रहे हैं उनसे मात्र माह का दो हजार रूपया लिया जा रहा है। इसी तरह पैथोलेब से मात्र माह का 750 रूपये शुल्क लिया जाता है। जबकि इंसीनेटर मशीन में अपरेटर, बिजली बिल सहित एक बार मशीन चलाने में लगभग 70 लीटर डीजल की खपत हो जाती है और अगर मशीन में कोई खराबी आ जाये तो इंजीनियर का शुल्क भी 50 हजार से कम नहीं आता। ऐसे में आमदनी कम और खर्च ज्यादा वाली यह मशीन का कभी भी भऋा बैठ सकता है।

जानकारी के अनुसार मेडिकल कलेज अस्पताल परिसर में जिला अस्पताल के समय से ही संभाग की सबसे बड़ी इंसीनेटर मशीन स्थापित है। मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के उद्देश्य से स्थापित की गई इस मशीन में जिला अस्पताल सह मेडिकल कॅलेज अस्पताल का मेडिकल वेस्ट के साथ-साथ नगर के निजी नर्सिंग होम व पैथोलैब से निकले मेडिकल वेस्ट  को नष्ट करने का काम किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नगर में कुल 22 छोटे-बड़े नर्सिंग होम सहित  कई पैथोलैब स्थापित हैं। इनमें से मात्र 6-7 नर्सिंग होम के संचालकों द्वारा ही मेडिकल वेस्ट इंसीनेटर तक पहुंचाया जाता है। इसके साथ ही कुछ पैथोलैब के लोग मेडिकल वेस्ट देते हैं। इनसें होने वाली आय का अनुमान लगाया जाये तो निजी नर्सिंग होम से 1 लाख 68 हजार साल भर में होने वाली आमदनी है, वहीं पैथोलैब से साल भर में ज्यादा से ज्यादा 50 हजार रूपये की आमदनी होती है। इंसीनेटर मशीन में एक अपरेटर का वेतन, बिजली बिल व एक बार मशीन चलने में 70 लीटर डीजल की खपत से यह साफ जाहिर होता है कि किसी तरह से प्रबंधन मशीन के खर्चे को ढो रहा है। आलम यह है कि मशीन की न तो सही समय पर देख-रेख हो पाती है और न ही उसके बिगडने पर तत्काल उसकी मरम्मत। इंजीनियर अगर उसे बनाने तो उनका बिल भी कई हजारों में बनता है।

पांच साल से बना मात्र दो हजार किराया
निजी नर्सिंग होम द्वारा मेडिकल वेस्ट देने के एवज में प्रबंधन मात्र महीने के दो हजार रूपये लेता है, वहीं पैथोलैब का किराया मात्र 750 रूपये है। यह कीमत पिछले पांच साल से चली आ रही है। डीजल का मूल्य बढने के बाद भी किराया में वृद्धि नहीं करने पर मशीन का खर्च ज्यादा वहन करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ कई नर्सिंग होम व पैथोलैब के लोग मेडिकल वेस्ट देने में रूचि नहीं ले रहे हैं, जो आमदनी नहीं होने का मुख्य कारण माना जा रहा है।