नक्सल प्रभावित सबाग में खुला अस्पताल.. मुखिया के आदेश पर प्रशासन की पहल..!

बलरामपुर कृष्ण मोहन कुमार-  जिले के सबाग में जहाँ कभी नक्सलियों के भय से ग्रामीण आतंकित थे,और चिकित्सा, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हुआ करते थे,आज उसी गाँव सबाग में ग्रामीण खुशहाल जीवन जी रहे है,ग्रामीणों  के पास शिक्षा की व्यवस्था तो थी,लेकिन चिकित्सा की नही थी,उन्होंने खुद सूबे के मुखिया को दो बरस पहले अपनी आप बीती बताई थी,और  आज गाँव मे अस्पताल भी है,और डॉक्टर भी।

ग्रामीणों में खुशी की लहर….

दरसल  यह कोई कहानी नही है, यह हकीकत है कुसमी ब्लाक के सामरी तहसील के ग्राम सबाग की है,यह इलाका प्रदेश के उत्तर सरगुजा को झारखण्ड से जोड़ता है,जहाँ कभी चिकित्सा सुविधाओं के नाम पर लोगो को कभी झारखण्ड तो कभी कुसमी जाना पड़ता था,लेकिन यह सफर बीहड़ दुर्गम पहाड़ी में बसे  सबाग से आसानी से तय नही किया जा सकता था,गांव में अस्पताल खुला तो ग्रामीण खुशियों से फुले नही समा रहे है।

सीएम की घोषणा पर हो गया अमल…

बलरामपुर जिले के कुसमी ब्लाक के सबाग में लोक सुराज अभियान के तहत 2 साल पहले खुद सूबे के डॉक्टर मुखिया रमन सिंह यहाँ पहुँचे थे,उन्होंने बकायदा चौपाल भी लगाया था,लेकिन सीएम का वह चौपाल बेहद जुदा था,ग्रामीणों ने किसी विभाग की शिकायत करने से पहले एक मत होकर सबाग में अस्पताल की मांग कर डाली,और सूबे के डॉक्टर मुखिया ने भी ग्रामीणों के बीच ही चंद मिनटों में घोषणा कर दी की सरकार सबाग में  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलेगी।

ईलाज के लिए अब नही पड़ेगा भटकना…

आपको बता दे कि सबाग पहले कभी लाल आतंक के रडार पर हुआ करता था,और आज भी ग्राम पंचायत सबाग के कुछ पड़ोसी गाँव माओवादियो के निशाने पर है,बावजूद इसके पहले कभी आसपास स्वास्थ्य सेवाएं नही थी,लोग डरे सहमे 40 से 50 किलोमीटर की मशक्कतों से भरी दिक्कतों को पार कर या तो ब्लाक मुख्यालय कुसमी जाते ,या फिर पड़ोसी राज्य झारखंड में शरण लेते ,पर अब ऐसा नही है,बीते तीन महीनों से ग्रामीणों का इलाज सबाग में ही होता है,और अस्पताल भी खुल गया है।

प्रशासन ने नही छोड़ी कोई कोर कसर…

वनांचल सुदूरवर्ती सबाग में अस्पताल खुले तीन माह बीत चुके है,जहाँ  सबाग के नक्सल प्रभावित इलाकों के ग्रामीण  पहुँच कर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले रहे है,इतना ही नही जिला प्रशासन ने गांव के इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को विस्थापित करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी नही है।

लोकतंत्र में मूलभूत सुविधाएं जरूरी है…

ग्रामीण परिवेश के लोग मूलभूत सुविधाओं पर अधिक जोर देते है,और यह हो भी क्यो ना जब देश मे लोकतन्त्र की सरकारें हो,लिहाजा लोगो को तमाम सरकारी योजनाए बताने और उन्हें लाभ दिलाने का जिम्मा तो प्रशासन के कांधो पर ही है,गर्भवती माताओ की डिलीवरी से लेकर आपातकालीन चिकित्सा भी सबाग में अब सम्भव है।

संस्थागत प्रसव सम्भव है सबाग में…

सबाग सरकारी अस्पताल में पदस्थ चिकित्सक आशीष कुमार पाठक की माने तो सबाग में अबतक एक संस्थागत प्रसव भी कराया जा चुका है,मितानिनों की मदद से प्रसूता महिलाओं को चिन्हाकित कर उन्हें भी संस्थागत प्रसव कराने के लक्ष्य में रखा गया है।

बाईक एम्बुलेंस की भी हो व्यवस्था-कलेक्टर..

कलेक्टर अवनीश कुमार शरण के मुताबिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सबाग में अब जल्द ही हेल्थ कार्ड स्किम का लाभ भी ग्रामीणों को मिल सकेगा,यही नही इस सरकारी अस्पताल में  एम्बुलेंस की व्यवस्था भी कर दी गई है,इसके अतिरिक्त बीहड़ जंगलो के बीच बसे गाँवो से मरीजों को लाने बाईक एम्बुलेंस भी मुहैय्या कराये जाने की कार्ययोजना बनाई गई है।