छत्तीसगढ़ के 48 लाख गरीब परिवारों को नए वर्ष पर रमन सरकार की सौगात ..

नये वर्ष में प्रदेशवासियों पर होगी सौगातों की बारिश :

प्रत्येक गरीब परिवार को सिर्फ एक रूपए किलो में 35 किलो चावल
मध्यान्ह भोजन और पूरक पोषण आहार की कमान महिला स्व-सहायता समूहों को

 

स्कूली बच्चों की गणवेश सिलाई और आपूर्ति का जिम्मा भी मिलेगा महिला समूहों को
धान पर 300 रूपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों को बोनस देने हम वचनबद्ध
प्रदेश के लगभग 17 लाख खेतिहर मजदूरों के लिए अटल बीमा योजना शुरू

रायपुर, 31 दिसम्बर 2013

नये वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ की जनता पर नयी सौगातों की बारिश होगी। प्रदेशवासियों के लिए अनेक रमन सरकार की ओर से अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरूआत होने जा रही है। रमन सरकार ने अपने घोषणा पत्र में समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों तथा गांव, गरीब और किसानों सहित सभी वर्गो के हितों और सभी लोगों की जरूरतों का ध्यान रखा है। समर्थन मूल्य नीति के तहत सहकारी समितियों में धान बेचने वाले प्रदेश के लाखों किसानों को पिछले खरीफ सीजन में 270 रूपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिया गया था, जिसे नये वर्ष में बढ़ाकर 300 रूपए करने की घोषणा की गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार इसके लिए वचनबद्ध है और आगामी बजट में जरूरी वित्तीय प्रावधान करके बोनस वितरण शुरू कर दिया जाएगा। किसानों को तीन सौ रूपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस देने की घोषणा पर अमल के लिए राज्य सरकार वचनबद्ध है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने नये वर्ष के आगमन की पूर्व संध्या पर आज यहां बताया कि घोषणा पत्र के वायदों पर अमल शुरू करते हुए कल एक जनवरी से प्रदेश के लगभग 48 लाख गरीब परिवारों को सिर्फ एक रूपए किलो में हर महीने 35 किलो अनाज (चावल अथवा गेहूं) देने की व्यवस्था की जा रही है। छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा कानून 2012 केे तहत राज्य में प्राथमिकता वाले नीले राशन कार्ड धारकों सहित हरे रंग के राशन कार्ड धारक निःशक्तजनों और मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के पुराने अनवीनीकृत राशन कार्ड धारकों को भी एक जनवरी 2014 से मात्र रूपए किलो में यह रियायती अनाज दिया जाएगा। अब तक ऐसे परिवारों को सिर्फ एक रूपए और दो रूपए किलो में 35 किलो के हिसाब से चावल मिल रहा था। अब इन सभी परिवारों को राज्य सरकार की इस घोषणा का लाभ मिलेगा।
मध्यान्ह भोजन व्यवस्था की पूरी कमान महिला समूहों को – मुख्यमंत्री ने बताया कि हमने अपने घोषणा पत्र में महिला सशक्तिकरण की भावना के अनुरूप नये वर्ष 2014 से से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में बच्चों के मध्यान्ह भोजन की योजना शत-प्रतिशत महिला समूहों को सौंपने का वायदा किया है। इसके अंतर्गत नये कैलेण्डर वर्ष के शुभारंभ के साथ ही कल एक जनवरी 2014 से यह व्यवस्था लागू  हो रही है। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मंत्रालय से आदेश जारी कर दिए गए हैं। प्रदेश में लगभग 47 हजार स्कूल हैं और महिला स्व-सहायता समूहों की संख्या लगभग 70 हजार है। इनमें लगभग आठ लाख महिलाएं सदस्य हैं। राज्य के अधिकांश प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में इस समय महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा मध्यान्ह भोजन व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है, लेकिन कुछ स्कूलों में ग्राम पंचायतों और शाला प्रबंध समितियों के माध्यम से भी यह योजना चल रही है, लेकिन अब यह सम्पूर्ण व्यवस्था एक जनवरी 2014 से शत-प्रतिशत महिला समूहों के हाथों में सौंपी जा रही है। इस समय मध्यान्ह भोजन योजना के लिए सभी जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय मॉनिटरिंग और संचालन समिति कार्यरत है। प्रत्येक अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को इस योजना की जिम्मेदारी महिला समूहों को सौंपने का अधिकार है। अगर किसी जिले के किसी क्षेत्र विशेष में महिला समूह का गठन नहीं हुआ हो तो ऐसे स्थान में 15 दिन के भीतर समूह गठित करने और उनके बैंक खाता खुलवाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार की व्यवस्था भी महिला समूहों को सौंपी जा रही है। आगामी 15 जनवरी 2014 से यह कार्य उन्हें सौंप दिया जाएगा। इसके लिए भी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मंत्रालय से आदेश जारी कर दिए गए हैं।
गणवेश सिलाई और वितरण कार्य भी महिला समूहों को – मुख्यमंत्री ने बताया कि नये शिक्षा सत्र 2014-15 में प्रदेश के सभी महिला स्व-सहायता समूहों को प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक (मिडिलं)  स्कूलों में बच्चों के गणवेश सिलाई और उसकी आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसका आदेश भी महिला और बाल विकास विभाग द्वारा दिसम्बर 2013 को जारी कर दिया गया है। चूंकि वर्तमान शिक्षा सत्र 2013-14 के लिए स्कूली बच्चों को गणवेश आपूर्ति हो चुकी है। इसलिए नई व्यवस्था नए शिक्षा सत्र 2014-15 से शुरू हो जाएगी, लेकिन इसके लिए महिला स्व-सहायता समूहों की सूची बनाकर उन्हें विकासखंड स्तर पर जनवरी 2014 में महिला और बाल विकास विभाग द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। गणवेश सिलाई और वितरण कार्य के लिए महिला समूहों का चयन अंतिम रूप से विकासखंड स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा।
वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में बदलने की तैयारी- मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में चार सौ के आसपास वन ग्राम हैं। इनकी आबादी लगभग 40 हजार है। हमने अपने घोषणा पत्र में वनग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने का संकल्प लिया है। इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों और वन मंडलाधिकारियों को वन ग्रामों का सीमांकन 15 जनवरी 2014 तक पूर्ण करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने पर वहां के निवासियों को बैंकों से लोन, खाद-बीज सहित अनेक योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। इसके अलावा उन्हें वन विभाग की योजनाओं का फायदा भी यथावत मिलता रहेगा। मैंने 19 दिसम्बर को मंत्रालय में इस संबंध में अधिकारियों की बैठक लेकर उन्हें त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
अराष्ट्रीयकृत पांच प्रमुख लघु वनोपजों की शासकीय खरीदी- डॉ. रमन सिंह ने कहा कि घोषणा पत्र के संकल्प के अनुरूप इमली, चिरौंजी, कोसा-ककून, महुआ-बीज और लाख की खरीदी लघु वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से तेन्दूपत्ते की तर्ज पर की जाएगी। राज्य में इन लघु वनोपजों का लगभग 450 करोड़ रूपए का कारोबार है। लघु वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से इनकी खरीदी होने पर लगभग 14 लाख वनवासी परिवारों को इनका उचित मूल्य प्राप्त होगा। शासन द्वारा निर्धारित दर पर इनकी खरीदी की जाएगी। जिन क्षेत्रों में इन लघु वनोपजों का उत्पादन होता है, वहां के साप्ताहिक हाट-बाजारों में इनकी खरीदी की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए भी मैंने 19 दिसम्बर को मंत्रालय में अधिकारियों की बैठक में उन्हें सभी तैयारी पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।
अटल खेतिहर मजदूर बीमा योजना – डॉ. रमन सिंह ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन पर 25 दिसम्बर 2013 से छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के 17 लाख से ज्यादा खेतिहर श्रमिकों के लिए अटल खेतिहर मजदूर बीमा योजना की शुरूआत कर दी है। ग्रामीण क्षेत्रों में ढाई एकड़ अथवा उससे कम कृषि योग्य भूमि धारण करने वाले और दूसरों के खेतों में मजदूरी करने वालों को इसका लाभ मिलेगा। बी.पी.एल. श्रेणी अथवा उसके आस-पास खेतिहर मजदूरों को भी इसकी पात्रता होगी। योजना में 18 वर्ष से 59 वर्ष तक आयु समूह के लोगों को शामिल किया जा रहा है। दुर्घटना मत्यु पर 75 हजार रूपए मृतक के परिवार को दिए जाएंगे। उसके नामांकित व्यक्ति को यह राशि मिलेगी। सामान्य अथवा प्राकृतिक मौत पर मृतक के परिवार को 30 हजार, दुर्घटना में पूर्ण अपंग होने पर 75 हजार रूपए और एक आंख या एक हाथ/पैर क्षतिग्रस्त होने पर 37 हजार 500 रूपए की सहायता मिलेगी। योजना का संचालन राज्य सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम के माध्यम से किया जाएगा।